भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच 4 टेस्ट मैचो की सीरीज़ में अब सिर्फ़ कुछ घंटे ही बचे हैं, गुरुवार को एंटीगुआ में खेला जाएगा पहला टेस्ट। भारत के वेस्टइंडीज़ दौरे की जब यादों में हम जाते हैं तो 1970-80 का दशक कभी नहीं भूल पाते। जब वेस्टइंडीज़ पेस बैट्री और उछाल भरी पिच पर खेलना किसी इम्तेहान से कम नहीं होता था। हालांकि अब न वेस्टइंडीज़ की पिचें वैसे रह गई हैं, और न ही वेस्टइंडीज़ के पास अब वैसे गेंदबाज़ हैं। वेस्टइंडीज़ अब पूरी तरह से बदल चुका है, परिस्थिति और टीम के साथ साथ पिच का मिज़ाज़ भले ही बदल गया हो लेकिन वहां रन बनाना अभी भी एक उपलब्धि माना जाता है। भारतीय बल्लेबाज़ों ने वेस्टइंडीज़ में कई शानदार और मैच जिताऊ पारियां खेली हैं, उन्हीं में से 5 बेहतरीन पारियां आपके सामने लेकर हम आए हैं: #1 सुनील गावस्कर - 220 साल 1971, एक ऐसा साल जो कई मायनों में टीम इंडिया के लिए एक अलग पहचान लेकर आया। भारत ने पहली बार मज़बूत वेस्टइंडीज़ को उन्हीं के घर में हराया था, जिसके बाद पूरी दुनिया में भारतीय क्रिकेट टीम की वाहवाही होने लगी थी। इस सीरीज़ में पहली बार सुनील गावस्कर को दुनिया ने देखा था, 21 वर्षीय गावस्कर ने अपनी डेब्यू सीरीज़ में ही 5 मैचों में 774 रन बना डाले थे। भारत 5 मैचों की सीरीज़ में 1-0 से बढ़त बनाए हुए था और आख़िरी टेस्ट में सभी की नज़रे भारतीय टीम पर थी। अपनी शानदार बल्लेबाज़ी से सभी का दिल जीत चुके लिटिल मास्टर की रनों की भूख अभी भी ख़त्म नहीं हुई थी। उन्होंने कुछ ख़ास बड़े मौक़े के लिए बचा कर रखा हुआ था, सुनील गावस्कर ने इस निर्णायक टेस्ट की पहली पारी में 124 रन बनाए और फिर दूसरी पारी में शानदार 220 रन की पारी खेलते हुए मैच ड्रॉ कराते हुए भारत को सीरीज़ में जीत दिला दी। 1971 में सुनील गावस्कर की 220 रनों की पारी आज तक वेस्टइंडीज़ की धरती पर किसी भी भारतीय बल्लेबाज़ का सबसे बड़ा स्कोर है। #2 दिलीप सरदेसाई अगर गावस्कर वेस्टइंडीज़ में चर्चा के केंद्र बने तो, दिलिप सरदेसाई ने आराम आराम से लेकिन एक असरदार भूमिका में नज़र आए। सरदेसाई ने सीरीज़ के पहले ही मैच में 212 रनों की पारी खेलते हुए भारतीय क्रिकेट टीम को एक शानदार शुरुआत दिला दी थी। सरदेसाई की ये पारी बेहद नाज़ुक मौक़े पर आई थी, भारत की 5 विकेट 75 रनों पर गिर गई थी और वहां से 212 रनों की पारी खेलते हुए इस दिग्गज बल्लेबाज़ ने टीम इंडिया को संकट से बाहर निकाला था। सुनील गावस्कर ने भी दिलीप सरदेसाई की उस पारी की ख़ूब तारीफ़ की थी और कहा था उस पारी की बदौलत हम सभी को एक साहस मिला और भारत ने मोमेंटम हासिल कर लिया था। सरदेसाई की उस पारी में वेस्टइंडीज़ के तेज़ गेंदबाज़ों को उन्हीं की शैली में जवाब मिला था। #3 वसीम जाफ़र - 212 भारतीय घरेलू क्रिकेट के दिग्गजों में शुमार टीम इंडिया के इस दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ के नाम भी वेस्टइंडीज़ की सरज़मीं पर दोहरा शतक है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वसीम जाफ़र ने कई शानदार पारियां खेलीं लेकिन उन्हें वह मुक़ाम हासिल नहीं हो पाया, जिसके वह हक़दार थे। टेस्ट क्रिकेट की 58 पारियों में 34.10 की औसत से रन बनाते हुए जाफ़र के नाम दो दोहरे शतक हैं, हालांकि उनकी प्रतिभा को ये आंकड़े सही रूप में नहीं दर्शा पाते हैं। एंटीगुआ टेस्ट की दूसरी पारी में जाफ़र ने 212 रन बनाए थे, जो उनके करियर को समझने के लिए बेहतरीन उदाहरण है। भारत वेस्टइंडीज़ से 130 रन पीछे चल रहा था, और टीम इंडिया पर भारी दबाव था। लेकिन जाफ़र ने इस दबाव का शानदार जवाब दिया और दोहरा शतक लगाते हुए भारत को संकट से निकालते हुए मज़बूत स्थिति में पहुंचा दिया था। दाएं हाथ के इस सलामी बल्लेबाज़ की लाजवाब पारी की बदौलत भारत ने वेस्टइंडीज़ के सामने 392 रनों का विशाल लक्ष्य दिया था और कैरेबियाई टीम के 9 विकेट भी गिरा दिए थे। लेकिन किसी तरह से मेज़बानों ने वह टेस्ट ड्रॉ करा लिया था। #4 नवजोत सिंह सिद्धू - 201 नवजोत सिंह सिद्धू एक आक्रमक बल्लेबाज़ थे और बेहतरीन स्ट्रोकप्ले के मालिक, लेकिन साथ ही साथ उनमें हालात के मुताबिक अपने आप को ढालने की कला भी थी। वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ ट्रिनिडाड एंड टोबैगो में 11 घंटे की लंबी पारी खेलते हुए 201 रन बनाना उनके इसी मज़बूत इरादे को दर्शाता है। 491 गेंदो का सामना करते हुए इस सरदार ने 19 चौके और एकमात्र छक्के की मदद से 201 रनों की पारी खेली थी, जो उनके टेस्ट करियर की सबसे यादगार पारियों में से एक थी। सिद्धू की इस पारी के दम पर भारत ने मेज़बानों के ख़िलाफ़ 130 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की थी। लेकिन भारतीय गेंदबाज़ों ने वेस्टइंडीज़ की दूसरी पारी में 10 विकेट लेने में नाकाम रहे और मेज़बान टीम ने मैच ड्रॉ करा लिया। #5 वीरेंदर सहवाग - 180 अगर सुनील गावस्कर बेहतरीन फ़ुटवर्क और शानदार रक्षात्मक बल्लेबाज़ी की वजह से भारतीय इतिहास के बेहतरीन सलामी बल्लेबाज़ हैं। तो वीरेंदर सहवाग की आक्रमकता और नई गेंद पर प्रहार करते हुए उसे पुरानी करने की क्षमता के लिए ऑलटाइम सलामी बल्लेबाज़ों की फ़हरीस्त में शुमार हैं। सेंट लुसिया में सहवाग की 180 रनों की पारी कुछ वैसी ही थी जैसा सहवाग का करियर, वेस्टइंडीज़ के गेंदबाज़ों को समझ में ही नहीं आ रहा था कि दिल्ली के इस बल्लेबाज़ को रोका कैसे जाए। 190 गेंदो पर 180 रनो की आतिशी पारी खेलते हुए एक सेशन में ही मेज़बानों को नजफ़गढ़ के इस नवाब ने बैकफ़ुट पर धकेल दिया था। 20 चौकों और 2 छक्कों से सजी हुई सहवाग की इस दमदार पारी की बदौलत भारत ने 588 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा कर दिया था और फिर मेज़बानों को 215 रनों पर ढेर करते हुए उन्हें फ़ॉलोऑन खेलने पर मजबूर कर दिया। हालांकि इसके बाद वेस्टइंडीज़ ने दूसरी पारी में अच्छा खेलते हुए मैच बचा लिया, लेकिन वीरू पा की ये पारी वेस्टइंडीज़ सरज़मीं पर हाल के दिनों में खेली गई बेहतरीन पारियों में से एक है।