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जैसे ही दिमाग ठीक होता है और खेल पर केंद्रित होने लगता है, मेरे दिमाग में एक विचार आता है। हेलमेट पर गेंद लगने के बाद मुझे अपनी बहादुरी दिखाने का एक अवसर मिलता है। दर्शकों की तरफ से संकेत मिलता है कि उन्हें बल्लेबाज से काफी उम्मीद है और ऐसे में निडर होकर सामना करने की बात ही अलग है। ठंडे दिल का तेज गेंदबाज अपने कप्तान से कुछ विचार-विमर्श करेगा। अधिकांश तो कप्तान उनसे फिर बाउंसर की उम्मीद करेगा। मगर मैं बहादुरी का नमूना पेश करके उसकी योजना पर पानी फेर दूंगा। क्या इससे बेहतर कोई और कहानी खेल में हो सकती है कि बाउंसर झेलने के अगली गेंद पर बल्लेबाज शानदार कवर ड्राइव खेले? पैर फिर से बढ़िया तरीके से हिलने लगे और मैं अपने चरम फॉर्म पर पहुंच जाऊं? क्रिकेट फील्ड में ऐसा संभव है, मुझे तो लगता है।
Edited by Staff Editor