टेस्ट मैच के दौरान 12वें खिलाड़ी के दिमाग में क्या चल रहा होता है?

3. झुंझुलाहट बढ़ती जा रही है- क्या अब वे मेरा दम निकालकर ही छोड़ेंगे ?
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भले ही 12वां खिलाड़ी मैच नहीं खेल रहा होता है, लेकिन उसको मेहनत उतनी ही करनी पड़ती है। ऐसा नहीं है कि हर समय वो सोफे पर बैठकर आराम कर रहा होता है। मैच के दौरान किसी खिलाड़ी के चोटिल होने, ड्रिंक्स लेने या फिर कुछ बात होने पर 12वें खिलाड़ी को ही भागकर मैदान में जाना होता है। अगर कोई खिलाड़ी मैदान से बाहर चला गया तो सब्सीट्यूट खिलाड़ी के रुप में फील्डिंग भी करनी पड़ती है। कभी-कभी मैच में एक ऐसी स्थिति आ जाती है जब विरोधी टीम काफी मजबूत स्थिति में होती है तब कप्तान पारी घोषित करने के बारे में सोचता है। वहीं कभी-कभी जब कोई बल्लेबाज किसी ऐतिहासिक उपलब्धि को पाने के काफी करीब होता है तब भी कप्तान संदेश पहुंचाता है। ये सब काम 12वें खिलाड़ी के ऊपर होता है कि वो नियमित अंतराल पर कप्तान के निर्देशानुसार मैदान में खेल रहे खिलाड़ियों तक संदेश पहुंचाए। बार-बार ऐसा करने से 12वें खिलाड़ी में झुंझुलाहट भी काफी आ जाती है, लेकिन अपने चेहरे पर वे इसे प्रकट नहीं होने देते। पर ड्रेसिंग रुम से मैदान और मैदान से ड्रेसिंग रुम तक चक्कर लगाते-लगाते उनके अंदर झुंझुलाहट आ ही जाती है।