अगर महेंद्र सिंह धोनी भारत के कप्तान नहीं बनते तो क्या-क्या हो सकता था

ganguly dhoni

हार से निराश करने वाले दुःख तथा चौंकाने वाली जीत से खेल के शिखर तक पहुँचने वाले खिलाड़ियों में महेंद्र सिंह धोनी ही वो खिलाड़ी हैं जिन्हें हमने इन सभी परिस्थितियों से गुजरते हुए देखा | अपने 11 वर्षीय क्रिकेट करियर में धोनी 9 वर्ष तक टीम इंडिया के कप्तान रहे हैं | आइए देखते हैं कि अगर धोनी को 2007 में कप्तानी नहीं मिलती तब क्या-क्या हो सकता था |


  1. गांगुली, द्रविड़ व भज्जी जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों के करियर और लम्बे हो सकते थे

2007 में जब धोनी ने सीमित ओवर क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व सम्भाला तो उन्होंने अपने कार्यकाल में एक नई रणनीति इजाद की जो थी गांगुली, द्रविड़ और हरभजन जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों की कीमत पर युवा खिलाड़ियों का साथ देना | यह एक ऐसा निर्णय था जो बहुत लोगों को पसंद नहीं आया मगर धोनी का तर्क था कि सिस्टम से बाहर उभरते नए खिलाड़ियों को विश्वकप से पहले 80 से 100 मैचों का अनुभव हो जाना चाहिए | उस समय वरिष्ठ खिलाड़ियों का करियर छोटा नहीं करते तो उनका एकदिवसीय क्रिकेट करियर बहुत लम्बा हो सकता था | युवाओं को मौके देने की नीति के तहत इसी से मिलता-जुलता एक और निर्णय हरभजन सिंह के मामले में लिया गया जब वे कई बड़े इवेंट्स में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे | तब अश्विन को गेंदबाजी से प्रभावित करने का अवसर प्रदान किया गया |

  1. भारत आईसीसी के तीन बड़े टूर्नामेंट न जीत पाता

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अक्सर ऐसा देखने को नहीं मिलता कि आप यकायक अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आओ और सीमित समय में वो सब सफलताएं प्राप्त कर पाओ जो धोनी ने प्राप्त की है | 2007 का टी20 विश्वकप, 2011 का एकदिवसीय विश्वकप एवं 2013 की चैम्पियंस ट्रॉफी, ये तीनों ट्रोफ़ियां धोनी की श्रेष्ठता का प्रतीक है तथा यह बात उनके इस खेल से संन्यास लेने के बाद भी चर्चा में रहेगी | 2007 टी 20 विश्वकप और 2013 चैम्पियंस ट्रॉफी की जीत अपेक्षाकृत अनुभवहीन आक्रमण का वसीयतनामा उनकी कप्तानी कौशल ही नहीं बल्कि उपलब्ध साधनों का श्रेष्ठतम उपयोग करने की क्षमता भी दर्शाता है | भारत के पास सौरव गांगुली व मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे खिलाड़ी आए जो अपने समय के शानदार कप्तान माने गए लेकिन खेल के अलग-अलग प्रारूपों में इनमें से कोई भी धोनी जैसी सफलता प्राप्त नहीं कर सका | 5. सुरेश रैना चेन्नई सुपरकिंग्स का नेतृत्व करते

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2007 का टी 20 विश्वकप जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट में धोनी के नेतृत्व की मांग बढती चली गई | IPL में चेन्नई सुपरकिंग्स ने उन्हें टीम का नेतृत्व सौंपा तथा इस निर्णय पर धोनी ने भी निराश न करते हुए टीम को कई खिताब जिताये | अगर धोनी इस भूमिका में नहीं आते तो सुरेश रैना के पास चेन्नई सुपरकिंग्स की कमान संभालने की संभावना बनती | यह कल्पना करना कठिन होता कि पीली ड्रेस वाली टीम ने जो उपलब्धियां रांची के राजकुमार की अगुआई में हासिल की, क्या वो ये कामयाबी सुरेश रैना के नेतृत्व में प्राप्त कर पाते ?

  1. जड़ेजा व अश्विन के शानदार करियर नहीं होते

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टेस्ट क्रिकेट में अभी आर. अश्विन एवं रविन्द्र जड़ेजा दोनों कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में कामयाबी प्राप्त कर रहे हैं | दोनों ने अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण धोनी के नेतृत्व में किया, जिन्होंने उन्हें उच्चतम स्तर के अवसर प्रदान किये | करियर की शुरुआत में जड़ेजा को उपयोगी क्रिकेटर नहीं माना गया लेकिन धोनी ने उनका विस्तारपूर्वक समर्थन किया | अश्विन को शुरुआत में बहुत प्रयोग करने वाला गेंदबाज माना गया तथा कुछ अवसरों पर ही ऑफ-स्पिन गेंदबाजी करते देखा गया, इसके बावजूद धोनी ने उन्हें बरकरार रखा | धोनी जब क्रिकेट खेलना बंद करेंगे तो साथी खिलाडियों को साबित करने के लिए दिए हुए पर्याप्त समय से खड़ी की गई एक विरासत छोड़कर जाएंगे | वरिष्ठ खिलाड़ियों के सम्बन्ध में लिया गया धोनी का निर्णय लोगों को पसंद नहीं आया मगर बाहर से उठने वाले विरोध के स्वर धोनी के लिए अधिक मायने नहीं रखते |

  1. पत्रकार वार्ताओं में मनोरंजन नहीं होता

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धोनी के इस पहलू का लुत्फ़ सभी ने उठाया, प्रेस वार्ता के बाद उनके द्वारा दिए गए विचित्र बयान सभी का मनोरंजन करते रहे हैं | चाहे श्रीसंत की बल्लेबाजी की डॉन ब्रेडमेन से तुलना हो या भारतीय पुछल्ले क्रम के बल्लेबाजों की विरोधियों से कोस्मेटिक सर्जरी व PETA से तुलना की बात हो, धोनी ने हमेशा से गम्भीर विषयों पर मजाकिया लहजा दर्शाया है | ये कहने की जरूरत ही नहीं कि उनकी टिप्पणियों ने समीक्षकों को विभाजित किया है | किसी भी अन्य कप्तान के लिए धोनी की तरह कठिन सवालों के जवाब हल्के-फुल्के अंदाज में देना बिल्कुल आसान बात नहीं है |

  1. युवराज सिंह भारतीय टीम के कप्तान बन सकते थे

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जब धोनी को शीर्ष कार्य के लिए चुना गया उस समय युवराज सिंह टीम के पोस्टर बॉय थे, सीमित ओवर क्रिकेट में उनके सनसनीखेज प्रदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद | 2005-06 का काल उनके बल्ले का स्वर्णकाल था, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज, इंग्लैण्ड और पाकिस्तान जैसी दुर्जेय टीमों के खिलाफ शानदार रन बनाए | युवी राहुल द्रविड़ से कप्तानी की विरासत लेने के लिए वे कतार में दिख रहे थे | हालांकि यह सब नहीं हो सका और इस कार्य के लिए 2007 में महेंद्र सिंह धोनी को चुना गया तथा उसके बाद बाकी की सब चीजें एक इतिहास बन |

  1. हम उनके जीवन पर आधरित फिल्म नहीं देख पाते

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धोनी ने जितना किया उतनी कामयाबी अगर उन्हें नहीं मिलती तो हम उनके जीवन पर बनी फिल्म की तमाम संभावनाएं खो बैठते तथा सिल्वर स्क्रीन पर उनके जीवन पर आधारित फिल्म नहीं देख पाते | उन्होंने अपने 9 वर्षीय कप्तानी के करियर में शर्मनाक हार से लेकर चौंकाने वाली जीत तक सब कुछ देखा | आशा करते हैं कि जब माही सीमित ऑवर क्रिकेट से संन्यास लेंगे तो एक ऊँचाई पर जाएंगे |