पार्थिव पटेल साल 2003 के विश्वकप टीम में भारत के बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज़ शामिल किए गये थे। लेकिन पूरे टूर्नामेंट में पटेल के बजाय द्रविड़ ने कीपिंग की थी। ऐसे में अगर टीम इंडिया फाइनल जीत जाती तो धोनी जो छोटे शहर से ताल्लुक रखते हैं उन्हें इंतजार करना पड़ता। एक आदमी का नुकसान दूसरे के लिये फायदा भी बन सकता है। दुर्भाग्य से भारत 2003 के विश्वकप हार गया था। उसके बाद टीम इंडिया पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया से दो लगातार सीरीज हार गयी। जिससे बोर्ड भी निराश था। लेकिन सबसे खराब दौर तब शुरू हुआ जब नए कोच ग्रेग चैपल और गांगुली के मतभेद सुर्खियाँ पाने लगे। इस दौरान धोनी ने टीम में जगह पायी और शानदार खेल अपना जारी रखा। उसके बाद धोनी को कप्तानी भी मिल गयी। शुरूआती मैचों की सफलता के बाद धोनी ने स्पीड पकड़ ली और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालाँकि अब चाहे हम कुछ कर लें लेकिन समय पीछे नहीं जा सकता। हमारी सारी कोशिशें बेकार हैं। वैसे एक बात जो खास है, वह है भारत ने साल 2011 में वर्ल्डकप में ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टरफाइनल में हराकर ख़िताब पर कब्जा किया। लेखक-ईषा नंदराज, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी