यदि आप अनिल कुंबले, शेन वार्न या ब्रैड हॉग के फैन हैं या इन्हें गेंदबाजी करते हुए देखना पसंद करते हैं, तो आप शायद फ्लिपर के बारे में थोड़ा-बहुत जानते ही होंगे। स्पिनर के पास स्टॉक डिलिवरी के बाद दूसरा सबसे अच्छा विकल्प फ्लिपर ही होता है। फ्लिपर गेंद करने के लिए गेंद को, अंगूठे और पहली दो उंगलियों का उपयोग करते हुए हाथ के सामने से बाहर किया जाता है। इसकी विशेषता इसके बैकस्पिन प्रभाव में हैं, यह गेंद पिच पर एक बार टिप खाकर दूसरी तरफ मुड़ जाती है जिससे बल्लेबाज आश्चर्यचकित हो जाता है। फ्लिपर के पीछे का विज्ञान फ्लिपर में कलाई और उंगलियों का उपयोग करके हवा की दिशा को बदलना होता है, क्योंकि हवा ऊपर और नीचे की तरफ ज्यादा लगती है। कलाई और उंगलियों की गति के कारण, गेंद के नीचे हवा कम प्रवेश कर पाती है इससे उसकी गति कम होती है, जबकि ऊपर हवा की गति अपेक्षाकृत तेज रहती है। दोनों तरफ की हवाओं की गति में बना यह अंतर गेंद की उड़ान में कुछ परिवर्तन लाता है। इसके कारण पिच से गेंद का उतार धीमा होता जाता है। इससे गेंद में उछाल तो कम होता है और वह लेग स्पिनर की सामान्य लेग ब्रैक गेंद से आगे तक बढ़ जाती है। एक सामान्य लेग ब्रैक और फ्लिपर की गति और मार्ग के अंतर को अक्सर पॉप के रूप में जाना जाता है। फ्लिपर के मास्टर्स फ्लिपर को लोकप्रिय बनाने का श्रेय ऑस्ट्रेलिया के क्लेरी ग्रिमेट को जाता है। उन्होंने उस समय इसको लोकप्रिय बनाने में अपना योगदान दिया जब पश्चिम के कुछ देशों में क्रिकेट पर प्रतिबंध था। ग्रिमेट, डॉन ब्रैडमैन के ही समकालीन थे। वह अपनी फ्लिपर से ब्रैडमैन के ऑफ स्टंप को उड़ाने के लिए जाने जाते हैं। ग्रिमेट के ऐंसा करने के बाद एक प्रसिद्ध बल्लेबाज ने कहा था कि उसे ग्रिमेट की सामान्य और फ्लिकर में अंतर समझ नहीं आता। जाहिर तौर पर फ्लिपर के अविष्कार के बाद, अपने करियर में कई गेंदबाजों द्वारा इसका उपयोग किया गया है। जैसे अनिल कुंबले, उपमहाद्वीपीय देशों में, जो अधिकांशत: स्पिनरों के लिए सहायक माने जाते हैं, बहुत प्रभावी ढंग से फ्लिपर का उपयोग करने के लिए जाने जाते थे। लेग स्पिनर्स उम्र के साथ-साथ फ्लिपर का उपयोग कम करने लगते हैं क्योंकि इसके लिए कलाई का लचीला होना बहुत जरुरी होता है जिसमें एक उम्र के बाद दिक्कत होने लगती है। उदाहरण के लिए ब्रैड हॉग जो, इंडियन प्रीमियर लीग में खेल रहे थे, वह आजकल फ्लिपर का कम ही उपयोग करते दीखते हैं। शेन वॉर्न ने भी अपने करियर के आखिर में फ्लिपर का उपयोग करना बंद कर दिया था। हालांकि इसका एक कारण उनके कंधे की चोट भी थी। कहा जाता है कि यह डिलिवरी लेग स्पिनर्स का हथियार है, लेकिन इसकी सटीकता में गलती होने से विफल होने की संभावना ज्यादा रहती है। गेंदबाजों को कोच द्वारा इसका उपयोग करते समय बेहद सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। लेखक: देबुतोश चटर्जी अनुवादक: आशुतोष शर्मा