क्रिकेट को जेंटलमैन गेम यूं हीं नहीं कहा जाता है, जब-जब इस खेस को किसी खिलाड़ी ने खराब करने की कोशिश की है, उस खिलाड़ी को तत्काल इसका हर्जाना भी भुगतना पड़ा है। आईसीसी का संदेश भी साफ है कि क्रिकेट की गरिमा से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक बार फिर से आईसीसी के फैसले ने यह दिखा दिया है कि नियम तोड़ने वालों पर आईसीसी पहले भी सख्त थी, और अब भी सख्त है।
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे वनडे में पाकिस्तान के कप्तान ने दक्षिण अफ्रीका के ऑलराउंडर फेहलूकवायो पर नस्लभेदी टिप्पणी कर क्रिकेट को शर्मसार किया था। आईसीसी ने इस पर सख्त रवैया अपनाते हुए सरफराज अहमद पर चार मैचों का प्रतिबंध लगा दिया ।
क्या था मामला...
सरफराज अहमद ने दूसरे वनडे में दक्षिण अफ्रीका के ऑलराउंडर एंडिले फेहलूकवायो पर नस्लीय टिप्पणी की थी, जिसके बाद चारों तरफ से सरफराज की आलोचना हुई थी। हालाकिं सरफराज ने उसके बाद फौरन फेहलूकवायो से मुलाकात कर उनसे माफी मांग ली थी। उसके बाद सरफराज ने बयान भी दिया था कि फेहलूकवायो ने उन्हें माफ कर दिया है।
क्या है आईसीसी की एंटी रेसिस्ट पॉलिसी ?
आईसीसी ने क्रिकेट में भेदभाव से बचने के लिए अक्टूबर 2012 में एंटी रेसिस्ट पॉलिसी की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य इस खेल की अखंडता को बनाए रखना था, इसकी लोकप्रियता को बनाए रखना था। हालांकि पहले यह एंटी रेसिस्ट कोड के नाम से जाना जाता था।
इस पॉलिसी के तहत शामिल अपराध..
इस पॉलिसी के तहत यह सुनिश्चित किया गया कि नस्ल, रंग, धर्म, वंश संस्कृति या जातिय मूल की परवाह किए बिना खेल में किसी तरह का भेदभाव न होने दिया जाए, और आईसीसी इन मामलों में बेहद सख्त रवैया अपनाते रही है, और इस बार भी यही हुआ।
इस पॉलिसी के तहत सजा का प्रावधान...
आईसीसी इस पॉलिसी के तहत किसी तरह का समझौता नहीं करती है। इस पॉलिसी के तहत अपराध की मौलिकता को देखते हुए सजा दी जाती है, जिसमें मैच बैन शामिल है, यह आईसीसी पर निर्भर करता है कि वो कितने मैचों का बैन दोषी क्रिकेटर पर लगाता है। हालांकि इसकी अधिकतम सजा लाइफ बैन है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तानी कप्तान सऱफराज को माफी मांगने के कारण थोड़ी रियायत दी गई और वो सस्ते में छूट गए।
सरफराज पर लगाया गया बैन उन क्रिकेटरों के लिए एक सबक की तरह है जो जोश में स्लेजिंग के दौरान कुछ ऐसी टिप्णी कर देते हैं, जो खिलाड़ी और इस खेल की लिहाज से सही नहीं कहा जा सकता है, और जरूरी है कि खेल मैदान पर खेल भावना से हीं खेली जाए।
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