आईपीएल में राउंड रॉबिन मुकाबले खत्म होने के बाद सनराइज़र्स हैदराबाद, चेन्नई सुपर किंग्स, कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स ने प्लेऑफ में जगह बना ली है। जबकि पॉइंट टेबल में सबसे नीचे रहने वाली चार टीमें, किंग्स इलेवन पंजाब, दिल्ली डेयरडेविल्स, मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर लीग से बाहर हो गई हैं। तो आइए नज़र डालते हैं इन चार टीमों पर और इनके बाहर होने का विश्लेषण करते हैं।
मुंबई इंडियंस
मुंबई इंडियंस के लीग से बाहर होने का विश्लेषण करना बहुत मुश्किल है। विस्फोटक सलामी बल्लेबाज़, ऑलराउंडर्स, फिनिशर, बुमराह और रहमान जैसे बेहतरीन गेंदबाजों के टीम में रहते हुए मुंबई का प्लेऑफ में जगह ना बना पाना दुखद है। मुंबई के बाहर होने का पहला कारण स्पिनरों की कमी है। मयंक मार्कंडेय ने आईपीएल की शुरुआत में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन वह अपनी लय बरकरार नहीं रख सके ख़ासकर लीग के आखिरी मैचों में उन्होंने निराशाजनक प्रदर्शन किया। आईपीएल में जहां मैच जिताने में स्पिनरों की अहम भूमिका होती है, ऐसे में मयंक का खराब प्रदर्शन मुंबई के बाहर होने का कारण बना। इसके अलावा मुंबई के पास कोई अन्य विशेषज्ञ स्पिनर भी नहीं था। दूसरा कारण रोहित शर्मा के बल्लेबाज़ी क्रम में फ़ेरबदल करना रहा। सफेद गेंद के साथ सलामी बल्लेबाज के रूप में रोहित की क्षमता से हम सभी भली-भांति परिचित हैं लेकिन टीम प्रबंधन ने लुईस और यादव की जोड़ी को ओपनिंग करने के लिए भेजा। निश्चित रूप से एक सलामी बल्लेबाज़ के रूप में खेलते आ रहे रोहित की बल्लेबाज़ी क्षमता इससे प्रभावित हुई होगी। ऐसे में अपना पहला आईपीएल खेल रहे युवा बल्लेबाज़ एविन लुईस को अनुभवी रोहित शर्मा के साथ पारी की शुरुआत करने भेजा जा सकता था। मुस्तफिज़ुर रहमान का निराशाजनक प्रदर्शन भी मुंबई के बाहर होने का कारण बना। उनके ऐसे खराब प्रदर्शन से गेंदबाज़ी का भार मिचेल मैकलेनाघन पर आ गया, जिन्हें आईपीएल नीलामी की शुरुआत में किसी टीम ने नहीं खरीदा था।
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर
आईपीएल में आरसीबी के बाहर होने का पहला कारण स्पष्ट रूप से उनकी गेंदबाजी है। उमेश यादव और युजवेंद्र चहल को छोड़ कर उनका कोई भी गेंदबाज़ अपेक्षा अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाया। ऐसे में टी-20 क्रिकेट में अगर आपके आधे से ज़्यादा गेंदबाज़ खराब प्रदर्शन कर रहे हों तो आपका टूर्नामेंट स बाहर होना तो निश्चित है। आरसीबी के बाहर होने का दूसरा बड़ा कारण है बल्लेबाज़ों का निरंतर गिरता प्रदर्शन। आईपीएल में एक टीम सिर्फ चार विदेशी खिलाड़ियों को टीम में शामिल कर सकती है, ऐसे में पूरा सीज़न आरसीबी आदर्श टीम बनाने के लिए जूझती नज़र आई। इसी क्रम में क्विंटन डी कॉक और ब्रेंडन मैकुलम जैसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को कई मैच बाहर बैठ कर देखने पड़े। वहीं दूसरी और हैदराबाद और चेन्नई जैसी दो सर्वश्रेष्ठ टीमें हैं जिन्होंने शायद ही कभी अपनी अंतिम एकादश में फ़ेरबदल किया हो। इसके अलावा टीम का विराट कोहली और एबी डीविलियर्स पर ज़रूरत से ज़्यादा भरोसा भी टीम की हार का कारण बना।
किंग्स XI पंजाब
आईपीएल के शुरू होने से पहले हमने किंग्स इलेवन और दिल्ली की टीमों की प्वाइंट टेबल में सबसे नीचे रहने की भविष्यवाणी की थी। हालाँकि इन दोनों टीमों में से किंग्स इलेवन पंजाब ने टूर्नामेंट के शुरूआती चरण में अच्छा प्रदर्शन किया था। इस सीज़न में केएल राहुल और एंड्रयू टाई किंग्स इलेवन के दो सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी रहे। इसके अलावा क्रिस गेल और मुजीब उर रहमान ने भी टीम में अहम योगदान दिया लेकिन पंजाब के मध्य क्रम ने टीम को कभी भी जीत की राह नहीं दिखाई। केएल राहुल और गेल ने हर मैच में टीम को अच्छी शुरुआती दिलाई लेकिन मध्य-क्रम अच्छी शुरुआत को बेहतर परिणाम में बदलने में नाकाम रहा। किंग्स इलेवन ने आईपीएल नीलामी में टीम में रिटेन किये गए डेविड मिलर को ज़्यादातर बेंच पर ही बैठाया, मिलर सिर्फ़ 3 मैचों में ही अंतिम एकादश में शामिल हुए जो हैरान करने वाला था। वास्तव में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाड़ियों ने सामूहिक प्रयास की बजाय व्यक्तिगत प्रदर्शन पर ज़्यादा ज़ोर दिया। इसके अलावा आईपीएल नीलामी में इयोन मोर्गन को टीम से जाने देने का फैसला टीम को भारी पड़ा क्योंकि वह टीम के मध्य क्रम को मजबूत बना सकते थे।
दिल्ली डेयरडेविल्स
दिल्ली ने युवा और अनुभवी खिलाड़ियों से भरी हुई एक बेहतरीन टीम बनाई थी लेकिन अंततः वह इस सीज़न में भी पॉइंट टेबल में सबसे निचले स्थान पर रहे। उनके विदेशी बल्लेबाजों की विफलता इसका मुख्य कारण बनी। जेसन रॉय ने एक मैच में मैच जिताऊ पारी खेली थी, जबकि कॉलिन मुनरो का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। ग्लेन मैक्सवेल तो इतने निष्प्रभावी थे कि उनका टीम में होना या ना होना एक जैसा था। विश्वस्तरीय खिलाड़ियों की विफलता की वजह से सारा बोझ युवा और अनुभवहीन भारतीय बल्लेबाज़ों पर आ गया, जिन्होंने दबाव में खेलना अभी सीखा नहीं है। चालू सीज़न के बीच में कप्तान बदलने से भी दिल्ली के दिन नहीं बदले। अमित मिश्रा और खासकर नेपाली युवा गेंदबाज़ संदीप लामिछाने को भी अपनी क्षमता दिखाने का पर्याप्त मौका नहीं मिला। हालांकि, दिल्ली के लिए इस सीज़न में काफी अच्छी बातें भी रहीं, और अगर क्रिस मॉरिस और कगिसो रबाडा चोटिल होकर टीम से बाहर ना होते तो शायद परिणाम कुछ अलग ही होता। लेखक: जयेश सिन्हा अनुवादक: आशीष कुमार