आईपीएल 2018 के लिए अभी से ही फ़्रैंचाइज़ी तैयारियों में जुट चुके हैं, फ़ैन्स को भी इस 11वें सीज़न से काफ़ी उम्मीदें हैं। लोकप्रियता के मामले में फ़ैंस की नंबर-1 टीम चेन्नई सुपर किंग्स के साथ साथ राजस्थान रॉयल्स की भी वापसी इस सीज़न में देखने को मिलेगी। चेन्नई की वापसी की ख़बर उनके फ़ैंस की बेसब्री बढ़ा रही है और वह ये जानने के लिए बेताब हैं कि क्या सभी के चहेते महेंद्र सिंह धोनी एक बार होंगे सुपरकिंग्स के कप्तान ? चेन्नई सुपरकिंग्स ने धोनी को रिटेन करने पर औपचारिक ऐलान तो नहीं किया है, लेकिन उन्हें और कुछ दूसरे खिलाड़ियों को रिटेन करने की बातों पर क़रीब क़रीब मुहर लग गई है। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने इस बार रिटेन करने और राइट टू मैच (RTM) में थोड़ा बदलाव किया है। जिसे टीम फ़्रैंचाइज़ियों के पास भेजा जाएगा और फिर इसके तहत वह खिलाड़ियों को रिटेन करने का एलान कर सकते हैं। फ़ैंस के ज़ेहन में एक सवाल ये है कि रिटेन और राइट टू मैच (RTM) में फ़र्क़ क्या है और दोनों कैसे अलग हैं ? दरअसल, रिटेन और RTM में एक बड़ा अंतर ये है कि रिटेन खिलाड़ियों की जानकारी जहां नीलामी से पहले ही फ़्रैंचाइज़ियों को देनी होती है तो नीलामी के दौरान वह RTM का फ़ायदा उठा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर चेन्नई ने महेंद्र सिंह धोनी को रिटेन कर लिया तो वह नीलामी में नहीं रहेंगे। इसी तरह अगर आर अश्विन या हार्दिक पांड्या को उनके फ़्रैंचाइज़ी रिटेन नहीं करते हैं तो फिर उनकी नीलामी होगी। पर यहां इन दोनों ही खिलाड़ियों के फ़्रैंचाइज़ी के पास राइट टू मैच का विकल्प होगा। नीलामी के दौरान अगर हार्दिक पांड्या पर चेन्नई और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर या फिर कोई भी टीम बोली लगाती है और आख़िरी बोली 8 करोड़ पर बंद होती है तो यहां उस बोली पर मुंबई इंडियंस (क्योंकि पांड्या 2017 तक मुंबई इंडियंस का हिस्सा रहे) राइट टू मैच के विकल्प का इस्तेमाल करते हुए उन्हें उसी रक़म (जिस पर बोली नीलामी रुकी) पर अपने साथ रिटेन कर सकती है। 2018 में होने वाले आईपीएल के इस सीज़न के लिए एक फ़्रैंचाइज़ी के पास अधिकतम 3 खिलाड़ियों को रिटेन करने और 2 के लिए राइट टू मैच का इस्तेमाल करने की सीमा होगी। इस तरह वह अधिकतम 5 खिलाड़ियों को अपने पास रिटेन सकती हैं, साथ ही साथ रिटेन होने वाले खिलाड़ियों के हित में भी आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने सोचते हुए एक शानदार फ़ैसला किया है। जिसके तहत अगर कोई टीम 3 खिलाड़ियों को रिटेन करती है तो पहले को 15 करोड़ रुपये मिलेंगे जबकि दूसरे को 11 करोड़ और तीसरे को 7 करोड़ की रक़म मिलेगी। लेकिन अगर फ़्रैंचाइज़ी दो ही खिलाड़ियों को रिटेन करती है तो पहले को 12.5 करोड़ और दूसरे को 8.5 करोड़ रुपये मिलेंगे, ठीक इसी तरह अगर किसी फ़्रैंचाइज़ी ने सिर्फ़ एक खिलाड़ी को ही रिटेन करने का फ़ैसला किया तो फिर उस खिलाड़ी को 12.5 करोड़ रुपये मिलेंगे। यानी टीम अब इस तरह भी सोच सकती है कि किसी 1 या 2 खिलाड़ी को ही रिटेन किया जाए और बाक़ी के खिलाड़ियों को राइट टू मैच के तहत अपने साथ रखा जाए। क्योंकि अगर तीन खिलाड़ियों को रिटेन किया तो फिर 80 में से 33 करोड़ रिटेन में ही ख़त्म हो जाएंगे। साथ ही साथ अगर किसी टीम ने एक भी खिलाड़ी नीलामी से पहले रिटेन नहीं किया तो फिर उन्हें नीलामी के दौरान 3 ही खिलाड़ियों पर राइट टू मैच का अधिकार मिल सकता है। राइट टू मैच के तहत नीलामी के दौरान किसी खिलाड़ी पर उस फ़्रैंचाइज़ी का ऑनर कोई बोली लगाए या न लगाए इससे फ़र्क नहीं पड़ता, मान लीजिए मुंबई इंडियंस ने जसप्रीत बुमराह को रिटेन नहीं किया। और नीलामी के दौरान बुमराह पर आख़िरी बोली 5 करोड़ ही लगी, तो इस स्थिति में मुंबई राइट टू मैच कार्ड का इस्तेमाल कर बुमराह को वापस रिटेन कर सकती है। यहां उन्हें 2 करोड़ का फ़ायदा होगा, क्योंकि तीसरे खिलाड़ी के तौर पर भी रिटेन करने के लिए उन्हें 7 करोड़ तो ख़र्च करने ही होते। लेकिन राइट टू मैच में एक जोखिम ये भी है कि मान लीजिए उस खिलाड़ी को टीम ऑनर ने रिटेन सिर्फ़ इसलिए नहीं किया क्योंकि उसके लिए फ़्रैंचाइज़ी को कम से कम 7 करोड़ देने होते। यहां टीम ऑनर ने ये सोचा कि इस खिलाड़ी को मैच टू कार्ड के ज़रिए इससे कम में रिटेन किया जा सकता है, लेकिन नीलामी के दौरान अगर उस खिलाड़ी की आख़िरी बोली 7 करोड़ से ज़्यादा लग गई तो आपके हाथ से वह निकल भी सकता है। मतलब इस बार खिलाड़ियों का पूरा ध्यान रखने की कोशिश की गई है, अगर ऐसा नहीं होता तो फिर हार्दिक पांड्या या जसप्रीत बुमराह जैसे पहले बेस प्राइज़ पर बिके खिलाड़ियों के साथ नइंसाफ़ी कहलाती। रिटेन करने के लिए भी कुछ नियम हैं, जो इस तरह हैं: #1 अधिकतम 3 ही कैप्ड भारतीय खिलाड़ियों को एक टीम रिटेन कर सकती। #2 अधिकतम 2 ही विदेशी को खिलाड़ियों एक फ़्रैंचाइज़ी अपने साथ रोक सकती है। #3 अधिकतम 2 अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ियों को ही रिटेन करने का अधिकार एक फ़्रैंचाइज़ी के पास होगा। साथ ही साथ इस बार टीम का बजट भी 66 करोड़ से बढ़ाकर 80 करोड़ कर दिया गया। और इसे 2019 में बढ़ाकर 82 और 2020 में 85 करोड़ करने का भी आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने घोषणा की है। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने ये भी साफ़ कर दिया है कि पिछले दो सीज़न में खेलने वाली राइज़िंग पुणे सुपरजायंट्स और गुजरात लायंस इस सीज़न में नहीं होगी, यानी उन टीमों में खेलने वाले वैसे खिलाड़ियों को वापस नीलामी से गुज़रना होगा जो न कभी चेन्नई का हिस्सा थे और न ही राजस्थान के साथ थे। यानी बेन स्टोक्स और एलेक्स हेल्स पर जहां नीलामी में बोली लगना तय है तो पिछले सीज़न में पुणे के कप्तान रहे स्टीवेन स्मिथ को इस बार उनकी पुरानी टीम राजस्थान रॉयल्स रिटेन कर सकती है। इन सब के अलावा भारतीय अनकैप्ड खिलाड़ियों के स्लैब में भी आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने इज़ाफ़ा किया है जो बेस प्राइज़ पहले 10, 20 और 30 लाख का स्लैब था अब उसे बढ़ाकर 20, 30 और 40 लाख कर दिया गया है। साथ ही साथ भारत के लिए कम से कम एक अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले खिलाड़ियों का बेस प्राइज़ अब 50 लाख कर दिया गया है, जो पहले 30 लाख रुपये था। बस अब इंतज़ार इस बात का है कि कौन सी टीमें किन खिलाड़ियों को रिटेन करती हैं और किन्हें नीलामी के लिए आज़ाद करती हैं। सबसे ज़्यादा अगर फ़ैंस की किसी चीज़ पर नज़र है तो वह ये कि चेन्नई सुपरकिंग्स, मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइटराइडर्स किन किन खिलाड़ियों को रिटेन करती हैं। क्योंकि अगर इन 10 सालों में किसी तीन टीमों की बात की जाए जिनकी फ़ैन फॉलोविंग दूसरों से कहीं ज़्यादा है, तो नि:संदेह वे तीनों टीमें चेन्नई, मुंबई और कोलकाता ही होंगी।