हाल ही में संपन्न चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए फाइनल मैच में हमने देखा कि एक नो-बॉल किसी भी टीम के हारने या जीतने का करण बन सकती है। भारत के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने शुरुआती ओवरों में डाली हुई नो-बॉल जिसकी वजह से फखर जमान को जीवनदान मिला और उनकी 114 रनों की पारी की मदद से पाकिस्तान ने भारत को पहाड़ जैसा लक्ष्य दे दिया। आइये जानते हैं नो बॉल के बारे में: नो बॉल क्या होती है? नो-बॉल वो गेंद होती है, जिसे गेंदबाज के जरिए फेंकी हुई 6 गेंदों (एक ओवर) में नहीं गिना जाता है। इस गेंद का इशारा अंपायर अपना एक हाथ कन्धे की उंचाई तक उठा कर देते हैं। गेंदबाजी कर रही टीम को हर नो बॉल के बदले एक रन की पेनल्टी लगाई जाती है और वो रन बल्लेबाजी कर रही टीम के खाते में जोड़ दिया जाता है। साथ ही उस एक रन को गेंदबाज के दिए हुए रनों में भी गिना जाता है। इसके अलावा हर नो बॉल के बदले गेंदबाज को एक और गेंद फेंकनी पड़ती है। गेंद सही नहीं होती इसलिए रन आउट के अलावा किसी और तरीके से बल्लेबाज आउट नहीं हो सकता। नो बॉल के बाद अगली गेंद पर बल्लेबाज को फ्री हिट मारने का मौका मिलता है और इस पर भी वो रन आउट के अलावा किसी और तरीके से आउट नहीं हो सकता है। ये हैं नो बॉल होने की वजह:- अंपायर्स किसी भी गेंद को नो-बॉल करार दे सकते हैं अगर:-
- गेंदबाज के अगले पैर की एड़ी का कुछ हिस्सा पॉपिंग क्रीज के पीछे नहीं हुआ।
- गेंदबाज का पिछला पैर रिटर्न क्रीज से बाहर हुआ या रिटर्न क्रीज को छू रहा हो।
- गेंदबाज ने, जो गेंद फेंकी हो और गेंद बिना टिप लिए बल्लेबाज की कमर की उंचाई से ऊपर हो। हालांकि अगर ऐसी गेंद स्लो गेंदबाज फेंके तो उसे नो बॉल नहीं कहा जाता, लेकिन अगर गेंद बल्लेबाज के कन्धे से ऊपर हो तो अंपायर इसे भी नो-बॉल करार दे सकते हैं।
- गेंदबाज अंपायर को बिना बताए दूसरे हाथ से गेंद फेंकने लगे, अगर गेंदबाज पहले दांए हाथ से गेंदबाजी करते-करते बिना बताए बांए हाथ से गेंद फेंकने लगे या बांए हाथ से गेंद फेंकते हुए दांए हाथ से फेंकने लगे।
- गेंदबाजी करते हुए गेंदबाज की कोहनी मुड़ने पर वो नो-बॉल करार दी जाती है।
- गेंद एक से ज्यादा टप्पे में अगर बल्लेबाज तक पहुंचे।
- गेंद बल्लेबाज तक बिना पहुंचे रुक जाए।
- गेंद बल्ले से लगने के पहले अगर विकेट कीपर स्टंप्स के सामने आ जाए।
- नियम के अनुसार, जितने खिलाड़ी 30 गज के घेरे में होने चाहिए, उससे कम या ज्यादा होने पर नो-बॉल करार दी जाती है।
- अंपायर को लगता है कि गेंदबाज सही तरीके से गेंदबाजी नहीं कर रहा है, तो वो गेंद नो-बॉल करार दी जाती है।
नो-बॉल पर मिला हुआ रन बल्लेबाज के नहीं, बल्कि टीम के खाते में जाता है, जबकी नो-बॉल को बल्लेबाज की खेली हुई गेंदों में गिना जाता है, लेकिन नो-बॉल पर बनाए हुए रन बल्लेबाज के खाते में जाते हैं, वहीं फ्री हिट पर बनाए हुए रन भी बल्लेबाज के खाते में ही जोड़े जाते हैं। लेखक: सायन मुखर्जी अनुवादक: मोहन कुमार