जब कप्तान के तौर पर आपका पहला ही मैच पाकिस्तान के खिलाफ हो तो बड़े से बड़ा खिलाड़ी भी दबाव में आ जाता है। हालांकि एम एस धोनी (MS Dhoni) के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। 14 सितंबर 2007 को जब पहली बार वो कप्तान के तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ उतरे तो अपनी बेहतरीन रणनीति से उन्हें तभी बता दिया था कि वो भारत के सबसे सफल कप्तान होने वाले हैं।
एम एस धोनी के कप्तानी करियर की शुरूआत 13 सितंबर को हुई थी लेकिन टॉस के बाद मैच ही नहीं हो पाया था। इसके बाद 14 सितंबर को पाकिस्तान के खिलाफ मैच में वो खेलने उतरे। भारतीय टीम ने पहले खेलते हुए 9 विकेट पर 141 रन बनाए थे और पाकिस्तान ने भी जवाब में इतने रन बनाए। उस वक्त मैच टाई होने की स्थिति में सुपर ओवर का नियम नहीं था और मैच का फैसला करने के लिए बॉल आउट नियम था।
एम एस धोनी ने पहले से ही कर रखी थी बॉल आउट की तैयारी
एम एस धोनी को बॉल आउट नियम के बारे में पहले से ही पता था और उन्होंने इसकी तैयारी कर रखी थी। इसलिए जब दोनों टीमों के बीच बॉल आउट का मुकाबला हुआ तो एम एस धोनी की वजह से भारतीय टीम पाकिस्तान पर भारी पड़ी। भारत के सभी गेंदबाजों ने स्टंप को हिट किया। जबकि पाकिस्तान का कोई भी खिलाड़ी स्टंप पर निशाना नहीं लगा सका।
इसकी वजह ये थी कि एम एस धोनी स्टंप के ठीक पीछे खड़े। आमतौर पर कीपिंग करते वक्त विकेटकीपर स्टंप के ऑफ साइड की दिशा में खड़ा रहता है लेकिन बॉल आउट के समय धोनी स्टंप के ठीक पीछे खड़े हुए और अपने गेंदबाजों से कहा कि वो स्टंप पर नहीं बल्कि उन्हें निशाना बनाकर गेंद डाले। उनकी ये रणनीति काफी कारगर रही और भारतीय खिलाड़ियों की हर एक गेंद सीधा स्टंप में जाकर लगी। जबकि दूसरी तरफ पाकिस्तान के विकेटकीपर कामरान अकमल आम मैच की तरह नॉर्मल पोजिशन पर खड़े थे और इसी वजह से पाकिस्तानी गेंदबाज निशाना नहीं लगा सके।