महेंद्र सिंह धोनी भले ही भारतीय टीम में शामिल होने के तीन साल बाद ही कप्तान बन गए थे लेकिन जब उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी तो ज्यादातर क्रिकेटरों के लिए वो जूनियर ही थे। इन्ही में से एक क्रिकेटर हैं युवराज सिंह, जिन्होंने धोनी से चार साल पहले अपने करियर की शुरुआत की थी। जब धोनी ने 2004 में भारत के लिए डेब्यू किया, तब ड्रेसिंग रूम में उन्हें सबसे ज्यादा चिढ़ाने वालों में युवराज ही थे। तीन साल पहले युवराज की आत्मकथा के अवलोकन के पर युवराज और धोनी की दोस्ती के बारे में बातें उठी थी। उसी दौरान उन्होंने बताया कि कैसे उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई और कैसे युवराज ने अपना सीनियर होने का फायदा उठाया था। झारखण्ड के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज धोनी जब टीम में आये थे तो ज्यादातर सीनियर उनके मज़े लेते थे। युवराज इनमें सबसे आगे थे और वो उन्हें 'बिहारी' कहकर बुलाते थे। जब धोनी ने पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ 2005 में दो धमाकेदार शतक लगाए थे, तब युवराज ने कहा था कि जरूरत के समय मैच जिताऊ पारी ही खेलनी होती है, न कि सिर्फ चौके-छक्के मारने होते हैं। जब धोनी भारत के लिए एकदिवसीय में एक बेहतरीन फिनिशर बन गए, तब युवराज ने उन्हें कहा था कि एक असली क्रिकेटर की पहचान टेस्ट क्रिकेट से ही होती है। इसके बाद धोनी से रहा नहीं गया और उन्होंने युवराज से कहा कि आप हमेशा गुस्से में क्यों रहते हैं? इसके बाद युवराज को हंसी आ गई और फिर दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। युवराज के पिता योगराज सिंह पिछले कई महीनों से महेंद्र सिंह धोनी की आलोचना करते आ रहे हैं लेकिन युवराज ने कहा कि उन्हें धोनी की कप्तानी में खेलना बहुत पसंद है और वो आगे भी उनकी कप्तानी में खेलते रहना चाहेंगे। इस साल की शुरुआत में कई महीनों बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए युवराज की भारतीय टीम में वापसी हुई थी और उसके बाद उन्होंने एशिया कप और वर्ल्ड टी20 में भी हिस्सा लिया।