जब दुर्गा पूजा में शरीक़ होने के लिए दादा को बनना पड़ा सरदार

भारत एक ऐसा देश है जहाँ कोई सेलिब्रिटी हो या अभिनेता या फिर क्रिकेटर जिससे लोगों ने एक बार अपने दिल में बसा दिया फिर उसे भगवान की तरह पूजने से भी पीछे नहीं हटते है | लोगों के इस लगाव के कारण सेलिब्रिटीज आम रूप से अपना जीवन नहीं जी सकते मतलब कि इनकी ज़िन्दगी सार्वजानिक हो जाती है और सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए अक्सर इन्हे रूप बदलना पड़ता है। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली जल्द ही अपनी बायोग्राफी "वन सेंचुरी इस नॉट एनफ " का पर्दार्पण करने वाले हैं। इस किताब में दादा ने एक घटना का ज़िक्र किया है जिसमें उनका कहना है कि एक बार दुर्गा पूजा और मूर्ति विसर्जन देखने के लिए उन्हें सरदार जी बनना पड़ा था। सौरव का कहना है कि सरदारजी का भेष धारण करने के लिए उनकी पत्नी डोना ने खुद एक मेकअप आर्टिस्ट को बुलाया था जिसने मुझे पूरी तरह सरदार बनाने का वादा किया। जब गांगुली ने यह बात अपने परिवार में बताई तो उनके सभी हंसने लगे और उनसे कहा कि वो आसानी से पहचान लिए जायेंगे। उनकी बात किसी तरह सच हो गयी सौरव को विसर्जन के लिए ले जा रहे मूर्ति वाले ने ट्रक में बैठने नहीं दिया। इसके बाद सौरव अपनी बेटी के साथ कार में बैठकर बाबूघाट गए थे, गाड़ियों की जाँच के दौरान एक पुलिस इंस्पेक्टर ने कार के अंदर झाँककर देखा और ध्यान से देखने के बाद सौरव को पहचान कर वह मुस्कराने लगा। पुलिस वाले की मुस्कराहट से सौरव थोड़े हिचकिचा गए और उन्होंने पुलिस को जाने देने का इशारा किया जिसके बाद वह विसर्जन में शरीक़ हो पाए। 2008 में जब सौरव ने क्रिकेट से संन्यास लिया था तब किसी को इसकी सूचना नहीं थी, इसके बाद भी सौरव ने संन्यास का कारण कभी स्पष्ट नहीं बताया लेकिन कहा जा रहा है कि उनकी आगामी पुस्तक में उन्होंने इस राज़ से पर्दा हटाया है।