नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 का फाइनल जीतने वाली भारतीय टीम अब कहां है

3 जुलाई, यह तारीख भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यादगार है। 16 साल पहले इसी तारीख को क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर भारत ने मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। जीत के नायक युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ रहे और कैफ के करियर की यह सबसे यादगार पारी रही थी। सौरव गांगुली की अगुवाई में भारत के सामने 325 रनों का स्कोर इंग्लैंड ने खड़ा किया था। उस दौर में यह लक्ष्य काफी विशाल था और भारत ने 5 विकेट महज 146 रन पर ही खो दिए थे लेकिन आखिर में जीत की उम्मीद बरकरार रखते हुए भारत ने रोमांचक फाइनल में इंग्लैंड को 2 विकेट से हराया था। फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम ने 49.3 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 326 रन बनाकर जीत दर्ज करने में सफलता हासिल की थी। अब इस जीत को 16 साल बीत गए हैं, ऐसे में यहां जानते हैं 2002 में खेले गए उस फाइनल टीम के सदस्य आज कहां हैं: वीरेंदर सहवाग नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में वीरेंदर सहवाग भी टीम का हिस्सा थे और सलामी बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 49 गेंदों में 7 चौकों की मदद से 45 रन की पारी खेली थी। उन्होंने सौरव गांगुली के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए 106 रनों की साझेदारी की थी। इस फाइनल के बाद सहवाग टीम इंडिया के अहम हिस्सा बन गए और विश्व कप 2011 में भी अहम योगदान दिया। फिलहाल सहवाग क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं और आईपीएल में कोच और मेंटर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं सहवाग कमेंट्री भी कर रहे हैं। इसके अलावा सहवाग सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं। सौरव गांगुली कप्तान गांगुली ने नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में 43 गेंदों में 10 चौके और 1 छक्के की मदद से 60 रनों की पारी खेली। इस फाइनल में जीत के बाद उनका शर्ट उतारकर हवा में लहराना आज भी याद है। इसके बाद उन्होंने अपनी कप्तानी में टीम को 2003 विश्व कप के फाइनल में भी पहुंचाया। फिलहाल गांगुली बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा गांगुली आईपीएल की गर्वनिंग काउंसिल के सदस्य भी हैं। दिनेश मोंगिया दिनेश मोंगिया नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए और 15 गेंदों में 1 चौके की मदद से 9 रन ही स्कोर कर पाए थे। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद मोंगिया ने कोचिंग में अपना हाथ आजमाया। इसके अलावा मोंगिया कई फिल्मों में अभिनय करते हुए भी दिखाई दिए। सचिन तेंदुलकर नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का बल्ला भी खामोश रहा। सचिन ने इस मुकाबले में 19 गेंदों में 1 चौके की मदद से 14 रनों की पारी खेली। हालांकि इसके फाइनल के बाद सचिन तेंदुलकर ने एक दशक से भी ज्यादा टीम इंडिया के लिए और खेले। इस दौरान उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर में 100 शतक, वनडे में 200 रन जैसे कई कीर्तिमान स्थापित किए। इसके अलावा विश्व कप 2011 में खेलते हुए सचिन ने अपने करियर में विश्व कप जीतने का सपना भी साकार किया। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सचिन ने अपनी बॉयोग्राफी लिखी। इसके अलावा सचिन पर बनी बॉयोग्राफी फिल्म भी बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। वहीं सचिन आईपीएल में मुंबई इंडियंस की टीम के मेंटर भी हैं। इसके साथ ही सचिन संसद के सदस्य भी हैं। राहुल द्रविड़ नेटवेस्ट फाइनल में राहुल भी टीम इंडिया के लिए कुछ खास कमाल नहीं कर पाए और 12 गेंदों में महज 5 रन ही स्कोर कर सके। द वॉल के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ इस मुकाबले के बाद टीम इंडिया के मुख्या खिलाड़ियों में शामिल रहे। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने कई शानदार पारियों को अंजाम दिया और हर मुश्किल घड़ी में टीम के साथ बने रहे। राहुल द्रविड़ ने टीम इंडिया की कप्तानी भी की। फिलहाल राहुल क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम के हेड कोच हैं। अपनी कोचिंग में ही राहुल ने इस साल अंडर-19 क्रिकेट टीम को खिताब हासिल करवाया था। वहीं हाल ही में राहुल द्रविड़ को आईसीसी हॉल ऑफ फेम से भी सम्मानित किया गया है। युवराज सिंह नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल मुकाबले के दो स्टार बल्लेबाजों में से एक युवराज सिंह ने उस मैच में 63 गेंदों में 9 चौके और 1 छक्के की मदद से 69 रन की पारी खेलकर टीम की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। मोहम्मद कैफ के साथ मिलकर युवराज ने 121 रनों की साझेदारी को अंजाम दिया था। इसके बाद टी20 विश्व कप 2007 और विश्व कप 2011 में युवराज सिंह ने बेहतरीन खेल दिखाया और आखिर में मैन ऑफ द टूर्नामेंट भी बने। टी20 विश्व कप 2007 में युवराज सिंह ने 6 गेंदों में 6 छक्के मारने का कारनामा भी कर दिखाया था। वहीं युवराज ने कैंसर से जंग लड़ी और साल 2012 में वापसी भी की। फिलहाल युवराज अपनी खराब फॉर्म के चलते टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं और वापसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मोहम्मद कैफ नेटवेस्ट सीरीज फाइनल के हीरो मोहम्मद कैफ रहे। अगर कैफ उस मैच में अपने बल्ले से कमाल नहीं दिखाते तो शायद ही भारत को जीत नसीब हो पाती। इस मुकाबले में कैफ ने 75 गेंदों में 6 चौके और 2 छक्कों की मदद से 87 रनों की पारी को अंजाम दिया था और आखिर तक नाबाद रहकर टीम को जीत दिलवाई थी। हालांकि इस फाइनल के बाद कैफ लंबे समय तक टीम में नहीं रह सके और हाल ही में कैफ ने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है। हरभजन सिंह हरभजन सिंह भी नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में टीम का हिस्सा रहे थे। भज्जी ने इस मुकाबले में 13 गेंदों में 1 छक्के की मदद से 15 रन स्कोर किए तो वहीं गेंदबाजी में नाकाम रहे और कोई भी विकेट हासिल नहीं कर पाए। बाद में भज्जी लंबे समय तक टीम के साथ बने रहे और टी20 विश्व कप 2007 और विश्व कप 2011 में टीम के लिए अहम भूमिका अदा की। फिलहाल भज्जी ने क्रिकेट से संन्यास नहीं लिया है लेकिन काफी समय से वो टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं। भज्जी इस साल आईपीएल में विजेता टीम चेन्नई सुपरकिंग्स का हिस्सा रहे थे। अनिल कुंबले नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल मुकाबले में अनिल कुंबले ने 10 ओवर कर 1 विकेट हासिल किया तो बल्लेबाजी में 2 गेंदे खेल कर बिना खाता खोले ही आउट हो गए थे। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद आईपीएल की मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम के कुंबले मेंटर रहे और बाद में भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच भी नियुक्त किए गए। जून 2016 से कुंबले ने भारतीय क्रिकेट टीम के कोच पद को संभाला। हालांकि उनका कार्यकाल ज्यादा नहीं रहा और उन्हें एक साल में ही इस्तीफा देना पड़ा। इसके अलावा विराट कोहली के साथ उनके विवादों ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थी। जहीर खान नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में भारतीय टीम की ओर से जहीर खान ने सबसे ज्यादा 3 विकेट हासिल किए। वहीं बल्लेबीजी में 7 गेंदों में 4 रन बनाकर नॉट आउट रहे। इसके बाद जहीर खान टीम इंडिया की तेज गेंदबाजी आक्रमण का अहम हिस्सा बन गए। जहीर विश्व कप 2011 की विजेता भारतीय टीम के बेस्ट गेंदबाज रहे थे। क्रिकेट से संन्यास के बाद साल 2017 तक जहीर खान आईपीएल में खेलते रहे हैं। आशीष नेहरा आशीष नेहरा ने नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल मुकाबले में 10 ओवर में 1 विकेट हासिल किया और भारत की ओर से 66 रन देकर सबसे महंगे गेंदबाज रहे। इस फाइनल के बाद नेहरा काफी सालों तक टीम इंडिया में जहीर खान के साथ मिलकर पेस आक्रमण की बागडोर संभालते रहे। अपने करियर में उन्होंने काफी चोटों का सामना भी किया। चोटों के चलते उनका करियर भी प्रभावित हुआ और टीम से अंदर बाहर की स्थिति भी उनके लिए बनी रही। साल 2017 तक वो टी20 खेलते रहे और संन्यास लेने के बाद उन्होंने आईपीएल 2018 में रॉयल चैंलेंजर्स बेंगलोर की ओर से गेंदबाजी कोच की भूमिका अदा की। लेखक: सुब्रमण्यम टीजी अनुवादक: हिमांशु कोठारी

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