जब दिग्गज रिटायर होते हैं, तो वे मैदान पर, टीम पर, देश और लाखों क्रिकेट फैंस के दिलों पर अपनी छाप छोड़ते हैं। हालांकि, अपनी छाप छोड़ने के अलावा वो अपनी जगह भी छोड़ते हैं जिसे भरना असंभव लगता है। रविन्द्र जडेजा फिलहाल दिग्जों की श्रेणी में शुमार नहीं हैं। वे टेस्ट क्रिकेट में दुनिया के नम्बर 1 गेंदबाज हैं और इसी प्रारूप में उन्हें दुनिया के नम्बर 2 ऑलराउंडर का तमगा भी हासिल है। इसलिए ये कहा जा सकता है कि अगर जडेजा अपनी इस बेहतरीन फॉर्म को कायम रखेंगे, तो वो जल्द ही दिग्गजों की श्रेणी में अपनी जगह कायम कर लेंगे। वो भारतीय टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं और उनकी गैर मौजूदगी से टीम के प्रदर्शन पर काफी असर पड़ता है। इसलिए ये जरुरी है कि खिलाड़ियों को इस तरह से तैयार किया जाए कि जब टीम का कोई नियमित खिलाड़ी चोट या फिर संन्यास की वजह से टीम में शामिल ना हो, तो वो खिलाड़ी उनकी जगह ले पाए। हालांकि एक खिलाड़ी का बिल्कुल वैसा ही विकल्प तलाशना काफी मुश्किल है। इसलिए, जब हमें कोई ऐसा खिलाड़ी मिलता है, तो ये जरुरी है कि हम सुनिश्चित करें कि उसे इस तरह से तैयार किया जाए कि वो जरुरत के समय काम आ सके। ठीक इसी तरह, ये जरुरी है कि गुजरात के ऑलराउंडर अक्षर पटेल को रविन्द्र जडेजा की तरह ही तैयार किया जाए। अक्सर पटेल और रवींद्र जडेजा की बीच समानताएं अक्षर पटेल और रविन्द्र जडेजा में सबसे बड़ी समानता यह है कि वो दोनों ही बाएं हाथ से बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग करते हैं। दोनों बेहतरीन फील्ड़िंग करते हैं और बड़े शॉट्स लगाने का भी दम रखते हैं। इसमें कोई शक नहीं हैं कि पटेल जरुरत के समय में जडेजा का बेहतरीन विकल्प हैं। भारत को शानदार स्पीनर्स प्रोड्यूस करने के लिए जाना जाता है और इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि आज भी ऐसा होता है। हालांकि कई अच्छे खिलाड़ी काफी समय से टीम में अपनी जगह बनाने में सफल नहीं हो पाए क्योंकि दूसरे खिलाड़ी को उनकी जगह ज्यादा तवज्जो दी गई। बीसीसीआई को ये समझना होगा कि अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ियों को भी राष्ट्रीय टीम में खेलने के लिए पर्याप्त मौका देना होगा। जिस तरह पांच मैचों की सीरीज में रविन्द्र जडेजा तीन से चार मैच खेलते हैं, उसी तरह अक्षर पटेल को कम से कम कुछ मैच खेलने का मौका मिलना जरुरी है। इसके अलावा, जब भारतीय टीम जिम्बाब्वे, वेस्टइंडीज और बांग्लादेश जैसे दौरे पर जाती है, उस वक्त तो पटेल को जडेजा के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए। अभी तक मिले सीमित मौकों पर पटेल ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है ऐसा नहीं है कि गुजरात के इस खिलाड़ी को अभी तक भारतीय टीम में जगह नहीं मिली है। 30 वनडे मुकाबलों में पटेल ने 30.20 की औसत से 35 विकेट झटके, जिसमें उनकी इकॉनमी 4.38 रही। जब बात भारत के लिए टी-20 मुकाबले खेलने की हो, तो उन्होंने 7 मैचों में 23.00 की बेहतरीन औसत से विकेट चटकाए, जिसमें उनकी 5.96 की इकॉनमी रही। गेंदबाजी में उन्होंने खुद को बखूबी साबित किया है। लेकिन जहां तक बात बल्लेबाजी की है, तो 30 वनडे मुकाबलों में अब तक उन्होंने महज 14.16 की औसत से 170 रन बनाए, जबकि 7 टी20 मैचों में उन्होंने 62 रन ही बनाए हैं। हालांकि प्रथम श्रेणी क्रिकेट के आंकड़ों पर नजर डालें, तो 23 मैचों में 48.45 की औसत से बनाए 1163 रन इस बात का सबूत देने के लिए काफी है कि वो अच्छी बल्लेबाजी करना बखूबी जानते हैं। पिछले कई सालों में आईपीएल में उनका शानदार प्रदर्शन भी उन्हें उभारने में काफी मददगार साबित हुआ है, डेथ ओवर्स में स्ट्राइक संभालने की कला वो अच्छी तरह से जानते हैं। आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब के लिए वो पिछले तीन सालों से बल्लेबाजी और गेंदबाजी में अपने दम दिखा रहे हैं। साथ ही उनकी एथलेटिक फील्डिंग क्षमता भी उन्हें सीमित ओवर के लिए एक बेहतरीन खिलाड़ी बनाती है। चयनकर्ताओं को उन्हें ज्यादा से ज्यादा मौके देने चाहिए इस वक्त अक्षर पटेल क्रिकेट के लम्बे प्रारूप की बजाय सीमित ओवर के खेल के लिए सही खिलाड़ी हैं। हालांकि जडेजा भी अपने करियर के शुरुआती समय में इसी तरह के खिलाड़ी ही दिखते थे। लेकिन जब चयनकर्ताओं ने उन्हें टेस्ट क्रिकेट के लिए चुना, तो उन्हेंने अपने सारे आलोचकों के मुंह बंद कर दिए। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और यहीं वजह है कि आज वो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में से एक हैं जबकि टेस्ट क्रिकेट में वो विश्व के नम्बर एक गेंदबाज हैं। ऐसा ही अक्षर पटेल के साथ भी हो सकता है, जिनमें काफी प्रतिभा और क्षमता है। चयनकर्ताओं को उन्हें सफेद जर्सी पहनने का मौका देना चाहिए ताकि उनके अंदर छिपी प्रतिभा बाहर आ सके। 23 फर्स्ट क्लास मैचों में उनकी बल्लेबाजी औसत करीब 49 की रही है जबकि 30.37 की औसत से उन्होंने 79 विकेट अपने नाम किए हैं। गेंदबाजी के आंकड़े शायद उतने शानदार नहीं हैं लेकिन अनुभव के साथ वो और भी बेहतरीन हो जाएंगे।