लसिथ मलिंगा अपने गैरपरम्परागत एक्शन, पैरों के बीच से मिडिल स्टंप को उड़ाती हुई यॉर्कर से विश्व क्रिकेट में बल्लेबाजों के होश उड़ाने के लिए जाने जाते हैं। उनके गेंदबाज़ी एक्शन से तालमेल बिठाना आसान नहीं होता है। श्रीलंका के इस खतरनाक गेंदबाज़ ने साल 2011 से 2015 के दरम्यान 113 पारियों में 183 विकेट अपने नाम किये थे। वह उस समय नंबर एक गेंदबाज़ थे, जबकि दूसरे नंबर पर सईद अजमल 140 विकेट के साथ बहुत ही पीछे थे। मलिंगा डेथ ओवर में बल्लेबाजों को रनों के लिए तरसा देते थे। हालाँकि साल 2016 में चोटों की वजह से उन्हें क्रिकेट से दूर रहना पड़ा। जिसकी वजह से उनकी रफ्तार तो मंद हुई ही है, साथ ही अब उतने प्रभावी भी नहीं रहे। 2017 में नौ मैचों में उन्हें सिर्फ सात विकेट मिले हैं। उनकी धार कुंद हुई है, जिससे बल्लेबाज़ अब उनसे डरते नहीं हैं, जो मलिंगा के खेल में गिरावट का संकेत है: बार-बार चोटिल होना यूं तो क्रिकेट में तेज गेंदबाजों का चोटिल होना आम बात है, जिसकी वजह साफ़ है कि एक गेंदबाज़ को सयंमित होकर एक ही एक्शन में दौड़ते हुए गेंदबाज़ी करनी होती है। जिससे शरीर इस प्रोसेस में ढल जाता है। जिसकी वजह से गेंदबाज़ का चोटिल होना आम हो जाता है। वहीं अगर गेंदबाज़ का एक्शन गैरपरम्परागत है, तो उसके लिए दिक्कतें और बढ़ जाती हैं। मलिंगा ने इन्हीं दिक्कतों से बचने के लिए टेस्ट को जल्द ही अलविदा कह दिया था। साल 2016 में मलिंगा को चोट लगी और उनकी लय बिगड़ गयी, साथ ही चोटिल होने के बावजूद वह खुद की काबिलियत इजाफा नहीं कर सकते हैं। कुल मिलाकर मलिंगा के करियर में उतार का ये सबसे बड़ा कारण रहा। बल्लेबाजों को ज्यादा आज़ादी क्रिकेट को ज्यादा रोमांचकारी और दर्शकों का पसंदीदा बनाने के लिए आईसीसी ने खेल के नियमों में संतुलन के बजाय बल्लेबाजों के फेवर में नियम बनाए। जिसमें फील्डिंग रेस्ट्रिक्सन, छोटे मैदान और भारी बल्ले बल्लेबाजों के फेवर में हैं। जिससे उन्हें शॉट लगाने में आसानी होती है। इसके अलावा बल्लेबाजों ने अजीबोगरीब शॉट इन्वेंट किये हैं, जिससे मलिंगा जैसे गेंदबाज़ पर बुरा असर पड़ा है। यॉर्कर जो मलिंगा का सबसे खतरनाक हथियार था, वह मौजूदा समय के बल्लेबाजों के सामने इसलिए उतना प्रभावी नहीं रहा क्योंकि आजकल के बल्लेबाज़ क्रीज़ पर खुद को शिफ्ट करते रहते हैं। जिसकी वजह से गेंद सही जगह फेंकना कठिन हो गया है। रिवर्स स्वीप और स्कूप शॉट ने इसकी महत्ता को और कमजोर किया है। उम्र का तकाजा मानव शरीर की सबसे कड़वी सच्चाई है उसके शरीर का ढल जाना। हर किसी का शरीर एक न एक दिन ढल जाता है। जिससे उसकी क्षमता में गिरावट आती है। इससे मलिंगा भी नहीं बचे हैं। मलिंगा की उम्र 33 वर्ष है। साथ ही पिछले एक दशक से वह लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं। जिससे उनकी शारीरिक क्षमता अब पहले की तरह नहीं है। बढ़ती उम्र का असर अब मलिंगा की गेंदबाज़ी में भी दिखने लगा है। उन्हें अब पहले की तरह अपने शरीर को गेंदबाज़ी के दौरान मूव करने में दिक्कत होती है। जिससे प्रदर्शन में गिरावट होना लाजिमी है। इसी वजह से मलिंगा अब पहले की तरह खतरनाक नहीं रहे। नया करने में असफल मलिंगा एक परम्परागत गेंदबाज़ नहीं हैं जो लाइन लेंथ के लिए गेंद की सीम पर डिपेंड रहते हों। उनकी खासियत है कि वह बल्लेबाजों को हैरान करते हैं। विश्वक्रिकेट में मलिंगा अपने चौंकाने वाले गैरपरम्परागत गेंदबाज़ी एक्शन के लिए जाने जाते हैं। इसके बाद उन्होंने अपनी क्षमता को बेहतर किया और उसमें पैरों में घुसती हुई यॉर्कर का मिश्रण किया। जिसकी वजह से वह बेहद ही खतरनाक हो गये। उनकी सफलता का यही आधार भी बन गया। हालांकि पिछले एक दो वर्षों में वह कुछ नया नहीं कर पाए हैं। जबकि बल्लेबाजों ने उनके मजबूत पक्ष को भांप लिया है। जिससे उनकी गेंदें अब उतनी खतरनाक नहीं रहीं, जितनी की होती थीं। सफल बल्लेबाजों का उदय होना मलिंगा की सफलता बल्लेबाज़ के रिस्पांस पर निर्भर करती है, बल्लेबाज़ खुद की गलती से उनकी गेंदों पर आउट होता है। मलिंगा उसे गलती करने को मजबूर नहीं करते हैं। हालांकि उनके इस अप्रोच ने उन्हें खूब सफलता दिलाई। लेकिन अगर देखा जाये उन्होंने जिनके खिलाफ ज्यादा गेंदबाज़ी वह अब क्रिकेट से दूर हो गये हैं। जबकि आधुनिक बल्लेबाज़ उनकी इस क्षमता को पहले से रीड कर लेते हैं। जो बल्लेबाज़ी भी खुल कर करते हैं। बल्लेबाजों के काउंटर अटैक एटिट्यूट ने भी मलिंगा की धार को कुंद किया है। खासकर विराट कोहली, डेविड वार्नर और अजहर अली ने मलिंगा के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। जिसकी वजह से उनकी धार कुंद हो गयी है। लेखक- चैतन्य, अनुवादक- जितेंद्र तिवारी