ढाका प्रीमियर लीग में आखिर भारतीय खिलाड़ी क्यों खेल रहे हैं?

साल 2009 में ऑस्ट्रेलिया जाने वाली भारतीय अंडर-19 टीम की कप्तानी उदयपुर के बाएं हाथ के बल्लेबाज़ अशोक मनेरिया ने की थी। आईपीएल में उन्हें आरसीबी और राजस्थान ने अपनी टीम से जोड़ा था। इन सबमें सबसे खास बात ये थी कि मनेरिया शेन वॉर्न की कप्तानी में खेले थे। लेकिन आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के बाद उन्होंने इस साल ढाका प्रीमियर लीग में भाग लेने का निर्णय किया है। ढाका प्रीमियर लीग में कई भारतीय खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं, जिनमें कई राष्ट्रीय टीम में न चुने जाने और कई के आईपीएल में मौके नहीं मिल पाए हैं। क्लब क्रिकेट का कल्चर अब जमीनी स्तर पर काफी सफल हो रहा है। जिसे दुनिया भर में लीग मैच हो रहे हैं। वास्तव में ढाका प्रीमियर लीग में ऐसा क्या है, जो खिलाड़ियों को अपनी तरफ खींच रहा है। ढाका प्रीमियर लीग बांग्लादेश में प्रथम श्रेणी मैचों में आता है। जो बीते 1974-75 से चल रहा है। ये टूर्नामेंट राउंड रॉबिन बेसिस पर खेला जाता है। खिलाड़ियों को लॉटरी प्रणाली के तहत क्लब खरीदते हैं। ये फ्रैंचाइज़ी सिस्टम से अलग होता है। जहाँ खिलाड़ियों को नीलाम किया जाता है। ये मुकाबले शहरों के क्लब के बीच होते हैं, जिसमें पूरी दुनिया के खिलाड़ी 90 के दशक से भाग लेते हैं। ये बांग्लादेश के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जगह बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कपिल देव, रमन लाम्बा, युवराज सिंह और अजय जडेजा जैसे भारतीय क्रिकेटर भी इसमें खेल चुके हैं। ये लोग यहां के स्थानीय उधमी की टीम से खेले थे। अबाहानी(अबाहानी क्रिरा चकरा) सबसे सफल क्लब है, जिसने 17 बार ख़िताब जीता है। इसके आलावा मोहम्मद स्पोर्टिंग ने 9 बार ख़िताब पर कब्जा किया है। शमसुर रहमान ने इस लीग में सबसे ज्यादा रन बनाये हैं। दायें हाथ के इस बल्लेबाज़ ने बांग्लादेश के लिए 2014 में अंतिम बार खेला था। इसके आलावा अलोक कपाली और अब्दुर रज्जाक जैसे खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम के लिए लम्बे समय तक खेल चुके हैं। लीग में बहुत सारे भारतीय खिलाड़ी भी खेल चुके हैं। मनोज तिवारी जो चोट से कई मौकों पर टीम से बाहर हो चुके और इस बार आईपीएल में उन्हें कोई खरीदार नहीं मिला था। वह इस बार इस लीग में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने अबतक 15 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं। साल 2008 में उन्होंने भारत के लिए डेब्यू किया था। उनकी उम्र अब 30 के पार जा चुकी है। इसलिए उन्होंने इस लीग का हिस्सा बनना उचित समझा क्योंकि अब उनकी भारतीय टीम में वापसी मुश्किल ही लग रही है। वह इस लीग में अबाहानी की तरफ से खेलेंगे। वह भारत के लिए अपना आखिरी वनडे 2015 और टी-20 2012 में खेला था। आईपीएल 2012 के फाइनल मैच में मनविंदर बिसला ने अपने जोरदार प्रदर्शन के दम पर मैन ऑफ़ द मैच का ख़िताब जीता था। ढाका प्रीमियर लीग में वह 36 वर्षीय रजत भाटिया के साथ खेलेंगे, जिन्होंने हाल ही में आईपीएल में पुणे के लिए अच्छा प्रदर्शन किया है। धोनी ने बाद वाले मैचों के लिए युवाओं को टीम में मौका देकर उन्हें बाहर बिठाया। बीसीसीआई ने इन खिलाड़ियों को आईपीएल के आलावा अन्य टी-20 लीग में खेलने की अनुमति नहीं दी थी। जैसे बिग बैश लीग में भारतीय खिलाड़ी भाग नहीं ले सकते हैं। लेकिन हाल ही में बीसीसीआई ने प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट के लिए इस नियम में ढिलाई दी है। जिससे ढाका प्रीमियर लीग जैसी लीग को अपना खोया हुआ चार्म वापस मिल सकता है। एनओसी से खिलाड़ियों के लिए क्लबों में खेलना आसान हो गया। इसका फायदा खिलाड़ियों को मिल रहा है। युसूफ पठान ने आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें ज़िंबाबवे जाने वाली टीम में नहीं चुना था। इस वजह से पठान ने अबाहानी लिमिटेड के साथ जुड़ना उचित समझा। आईपीएल के इस सीजन में उनका औसत अच्छा रहा है। उन्होंने 15 मैचों में 361 रन बनाये थे। उन्होंने भारत के लिए अंतिम बार 2012 में खेला था। टीम के मध्यक्रम में युवा खिलाड़ियों के आने से 34 वर्षीय पठान को टीम में मौका नहीं मिल पा रहा है। इस लीग में मध्यप्रदेश के 33 वर्षीय स्पिनर जतिन सक्सेना भी शामिल हैं। उनके भाई जलज सक्सेना मध्यप्रदेश के लिए लगातार अच्छा खेल रहे हैं। हालाँकि उन्हें राष्ट्रीय टीम अभी मौके का इंतजार है। वह बीते चार साल से लगातार गेंद और बल्ले से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें हाल ही में रणजी ट्राफी में अच्छा खेलने के लिए लाला अमरनाथ अवार्ड दिया गया है। कुल मिलाकर लीग क्रिकेट खेलकर खिलाड़ी थोड़ा बहुत पैसा कम लेते हैं। जिससे वह खेल के करीब बने रहते हैं। लेखक: आद्या शर्मा, अनुवादक: मनोज तिवारी