जॉनी बेयर्स्टो के क्रिकेटर बनने के पीछे की दुखभरी कहानी

टीम इंडिया को दूसरे टेस्ट में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर इंग्लैंड के हाथों एक पारी और 159 रन के विशाल अंतर से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इंग्लैंड की इस जीत में क्रिस वोक्स और जेम्स एंडरसन ने अहम भूमिका निभाई थी। इस मैच में विकेटकीपर बल्लेबाज जॉनी बेयर्स्टो ने भी 144 गेंदों पर 12 चौकों की मदद से 93 रन की पारी खेलकर मैच जीतने में अहम योगदान दिया था। जॉनी बेयर्स्टो के एक सफल क्रिकेटर बनने के पीछे बेहद दुखभरी कहानी छिपी है। जॉनी जब सिर्फ 8 साल के थे, तभी उनके पिता ने खुदकुशी कर ली थी। उनके पिता डेविड बेयर्स्टो भी एक विकेटकीपर-बल्लेबाज थे। डेविड ने इंग्लिश क्लब यॉर्कशायर के लिए करीब 20 साल और इंग्लैंड के लिए चार टेस्ट मैच खेले थे। डेविड बेयर्स्टो ने साल 1998 में आत्महत्या कर ली थी। एक इंटरव्यू में जॉनी ने कहा, 'जब पिताजी ने खुदकुशी की उस वक्त मैं और मेरी बहन काफी छोटे थे। उनकी मृत्यु हमारे परिवार के लिए किसी गहरे सदमे से कम नहीं था। खासतौर पर मेरी मां को उनकी मौत से काफी बड़ा झटका लगा था। पिताजी की मौत के बाद मैंने सोच लिया था कि अब उन्हें सिर्फ क्रिकेटर बनना है।'जॉनी ने बताया 'आत्महत्या करने से पहले ही उनके पिता तनाव का शिकार हो गए थे। पैसों की तंगी और शराब पीकर गाड़ी चलाने से जुड़े एक मुकदमे को लेकर वह काफी परेशान रहते थे। इसके अलावा यॉर्कशायर मैनेजमेंट और उनके बीच मतभेदों ने भी उन्हें काफी लंबे समय तक घेरे रखा था।' जॉनी ने आगे कहा 'साल 1990 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने बतौर एक रेडियो कमेंटेटर अपनी पहचान बनाई। लेकिन इन सबके बावजूद अतीत से जुड़ी परेशानियां कम ही नहीं हो रही थीं। साल 1997 में परिवार को एक बड़ा झटका तब लगा जब पिताजी ने दवाइयों का ओवरडोज लेकर अपनी जिंदगी को खत्म करने का फैसला कर लिया था। कुछ समय तक जिंदगी से संघर्ष करने के बाद उन्होंने खुद को फांसी लगा ली। पंखे से लटकता पिताजी का शव आज तक मेरी नजरों में बसा हुआ है। उनके देहांत के बाद मैंने सोच लिया था क्रिकेट के मैदान पर जो वो नहीं कर पाए, वो एक दिन मैं जरूर करके दिखाउंगा।'