क्रिकेट में एल्बीडब्ल्यू (LBW) आउट वह तरीका जय जिसमें गेंद पैड पर लगने के बाद सामने वाली टीम अपील करती है और अम्पायर आउट या नॉट आउट देता है। अम्पायर को लगे कि बल्लेबाज विकेटों के सामने था औरपैर पर गेंद लगी है, तो वह आउट देता है और बाहर जाती हुई गेंद पर नॉट आउट देता है। तकनीक आने और डीआरएस से निर्णय अब आसान हो गए हैं।
क्रिकेट में पहले यह नियम नहीं आया था लेकिन 1774 में इस नियम को लागू किया गया क्योंकि बल्लेबाज विकेट पर जाने वाली गेंद को पाँव से रोक लेते थे। ऐसा करते हुए बल्लेबाज खुद को आउट होने से बचाते रहते थे। कुछ सालों के बाद गेंद कहाँ पिच होती है और बल्लेबाज के इरादे आदि तत्वों को शामिल करते हुए एल्बीडब्ल्यू नियम में बदलाव किया गया। 1839 का एल्बीडब्ल्यू वर्जन करीबन 100 साल तक रहा।
हालांकि बाद में बल्लेबाज पैड से गेंद खेलने में विशेषज्ञ बन गए और 1935 में इस नियम में सुधार किये गए। इसमें ऑफ़ स्टंप से बाहर टप्पा खाने वाली गेंद पर भी आउट देने का प्रावधान शामिल कर लिया गया लेकिन लेग स्पिन गेंदबाजों के लिए यह नकारात्मक बन गया क्योंकि उनकी कई गेंदे लेग स्टंप पर टप्पा खाकर स्टंप की तरफ जाती है और लेग स्टंप्स से बाहर टप्पा खाने वाली गेंद पर आउट देने का प्रावधान नहीं है।
बाद में पैड से गेंद खेलने पर भी नियम बनाते हुए इसमें फिर से सुधार किया गया और कई परिस्थितियों को देखते हुए आउट देने का नियम बनाया गया। अगर वे बल्ले से गेंद को हिट करने का प्रयास नहीं करते हैं, तो पैड से लगने पर आउट देने का नियम है। इसमें भले ही गेंद ऑफ़ स्टंप से बाहर ही क्यों नहीं हो। इरादा दर्शाना जरूरी होता है। अगर बल्लेबाज ने इरादा नहीं दर्शाया, तो अपील होने पर अम्पायर आउट दे सकता है।
हालांकि 1990 के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तकनीक के आने से एल्बीडब्ल्यू आउट को समझने और फैसले देने में और सरलता आई। वर्तमान समय में अम्पायर रिव्यू सिस्टम यानी DRS मौजूद है, जिसमें बल्लेबाज रिव्यू के लिए तीसरे अम्पायर के पास जाकर आउट या नॉट आउट की जानकारी ले सकता है।