न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम को भारत के खिलाफ पहले एकदिवसीय मैच में मिली पराजय का विश्लेषण-
भारत दौरे पर पर आई न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के आजकल अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं | टेस्ट श्रृंखला गंवाने के बाद एकदिवसीय श्रृंखला में न्यूजीलैंड के फैन्स अपनी टीम की ओर बहुत उम्मीद भरी नजरों से देख रहे थे | लेकिन हुआ वही जो इस टीम के फैन्स नहीं चाहते थे | हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भारत एवं न्यूजीलैंड के बीच खेली जा रही वनडे श्रृंखला के पहले मुकाबले में कीवी टीम को 6 विकेट से शिकस्त का सामना करना पड़ा | टीम इंडिया ने पहले वनडे में न्यूजीलैंड को हराकर सीरीज में 1-0 से बढ़त हासिल कर ली | भारत ने 191 रन के लक्ष्य को 33.1 ओवर में 4 विकेट पर 194 रन बनाकर हासिल कर लिया | गौरतलब है कि एकदिवसीय इतिहास में भारत का यह 900वां मैच था जिसे जीतकर टीम इण्डिया ने इसे ओर भी ख़ास बना दिया | पिछले कुछ दिनों से पराजय का सामना कर रही न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम की इस मैच में पराजय के भी कुछ कारण जरुर रहे हैं |
न्यूजीलैंड की धर्मशाला एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैच में हुई पराजय के लिए कुछ उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालकर आज हम एक विश्लेषण करेंगे | आइए जानते हैं वो मुख्य कारण जो कीवी टीम के लिए धर्मशाला वनडे में शिकस्त के लिए जम्मेदार माने जा सकते हैं |
महत्वपूर्ण टॉस गंवाना
न्यूजीलैंड की हार के लिए सर्वप्रथम किसी कारक को जिम्मेदार मानें तो वो है टॉस | मैच से पहले पिच रिपोर्ट में चर्चा कर रहे रवि शास्त्री व अन्य विशेषज्ञों ने टॉस जीतने वाली टीम द्वारा पहले क्षेत्ररक्षण करने का अनुमान लगाया था | हुआ भी वही जब भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का निर्णय लिया |
टॉस हारकर बल्लेबाजी करने आई कीवी टीम के शुरूआती पन्द्रह ओवर ने ही उसे हार के दरवाजे पर लाकर पटक दिया था | पिच की ऊपरी सतह की नमी और उछाल ने उन्हें बहुत परेशान किया तथा इस उछाल और स्विंग को समझने की कशमकश में एक घंटे के भीतर 7 बल्लेबाज पेवेलियन का रास्ता नाप गए | हालांकि टॉस हारने में कप्तान का या टीम का कोई दोष नहीं है लेकिन ये एक महत्वपूर्ण कारण है जिसकी चर्चा करना जरूरी था |
टॉम लैथम को जोड़ीदार न मिलना
कीवी टीम के सलामी बल्लेबाज टॉम लैथम पिच पर मजबूती से थम गए | वो एक छोर पर खड़े होकर साथी खिलाड़ियों का विकेट पतझड़ देखते रहे | लेंथम को पता था कि शुरूआती दौर में गेंदबाजों व पिच के मिजाज को जांचना है और उसी के अनुरूप उन्होंने अपनी बल्लेबाजी शुरू की | जहाँ उनके साथी खिलाड़ी तकनीक दर्शाने में नाकाम रहे वहीँ लेंथम ने किसी भी प्रकार की हड़बड़ाहट दिखाए बगैर अंत तक खेलकर नाबाद 79 रन बनाए |
जब 67 रन पर टीम के 7 बल्लेबाज आउट हो चुके थे तब लैथम को टिम साउदी के रूप में एक साझेदार मिला जिसके साथ मिलकर लेंथम ने स्कोर को 67 रन से 190 रन तक पहुँचाया | टिम साउदी से पहले अगर एक भी अच्छा मध्यमक्रम का जोड़ीदार लैथम के साथ मैदान पर होता तो स्कोर कुछ ओर ही होता जो भारत को चुनौती प्रदान कर सकता था |
टेलर-विलियमसन का फ्लॉप होना
कीवी टीम के कप्तान केन विलियमसन विश्व क्रिकेट में सबसे अच्छी फॉर्म दर्शाने वाले बल्लेबाज हैं जिन्होंने न्यूजीलैंड के बल्लेबाजी क्रम को मजबूती प्रदान की है | लेकिन धर्मशाला वनडे में वो कुछ ख़ास नहीं कर सके और अपना विकेट फेंक चलते बने | यही स्थिति रोस टेलर के साथ भी रही जो मैदान पर बल्लेबाजी के लिए आते ही वापस पेवेलियन में जाने के लिए उतावले नजर आए | जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मनुष्य को जिन्दा रहने के लिए रीढ़ की हड्डी का होना बहुत जरूरी है वैसे ही क्रिकेट मैच में बने रहने के लिए बीच के टॉप बल्लेबाजों का चलना बहुत जरूरी है | टेलर-विलियमसन के रूप में कीवी टीम के बल्लेबाजी क्रम की रीढ़ की हड्डी जल्दी ही टूट गई | दोनों में से किसी एक बल्लेबाज का संघर्ष भी देखने को मिलता तो स्कोर 190 से 290 भी हो सकता था |
टेस्ट मैचों की पराजय से गिरा हुआ मनोबल
दौरे की शरुआत में हुई टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड को 3-0 के बड़े अंतर से शिकस्त का सामना करना पड़ा जिससे कीवी टीम के खिलाड़ियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ गया | क्रिकेट में मनोबल गिरने से प्रदर्शन पर गहरा असर पड़ता है | यही बात धर्मशाला वनडे पर भी कीवी बल्लेबाजों में देखने को मिली | उनकी शारीरिक भाषा और खेलने के अंदाज में विश्वास की कमी नजर आई |
ऐसा कहीं नजर ही नहीं आया कि यह वही न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम है जिसने 2015 में आईसीसी क्रिकेट विश्वकप का फाइनल मुकाबला खेला था | टेस्ट मैचों में अगर कीवी टीम के लिए कुछ भी अच्छा घटित हुआ होता तो धर्मशाला वनडे मैच में इस तरह से शिकस्त झेलने से पहले जरुर कुछ रोमांचक संघर्ष देखने को मिलता |