यदि हम कहें कि मुम्बई के वानखेड़े की पिच पर जिस टीम इंडिया ने इंग्लैंड को 3-0 से हराकर एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की है वो कई मायनों में भारतीय होकर भी भारतीय नहीं तो शायद आपको आश्चर्य हो, ये बात ग़लत औऱ बकवास लगे लेकिन फिर भी हम ऐसा क्यों कह रहे हैं वोसमझाने के लिए शुरूआत आकड़ों से करते हैं। कहा जाता हैं कि वानखड़े की पिच पर आज तक वो टीम नहीं हारी जिसने पहली पारी में 350 से ज्यादा रन बनाए हो। एक ऐसा देश जिसमें आंकड़ों की किसी भी खेल में बाज़ीगरी हो, पिच पर आंकड़े टीम का मनोबल निर्धारित करते हों। उस देश में और ऐसी स्थिति में जब विरोधी टीम 400 रन बना चुकी हो ऐसै में मैच जीतने के बारे में सोचना भारतीय टीम के लिए तो मुश्किल था और इसके बाद भी यदि मौका मिले तो मैच को ड्रॉ कराने की जगह जीत के बारे में सोचना परांपरागत भारतीय टीम की सोच से उलट ही नजर आता है। 5 मैचों की टेस्ट सीरीज़ में मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में हुए चौथे मैच के पहले दिन इंग्लैड ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। सधी हुई शुरूआत के बाद भी दूसरे दिन लंच के कुछ ही देर बाद 400 रन के स्कोर पर इंग्लैड की टीम पवेलियन लौट गई। वानखेड़े की पिच के आंकड़े कहते हैं कि इस पिच पर पहली इनिंग में 400 का स्कोर बनाने वाली टीम आज तक नहीं हारी ऐसी स्थिति में भी टीम इंडिया जीत की रणनीति से खेल रही थी। यदि हम कुछ वक्त पहले कि टीम से तुलना करे तो शायद वो टीम इस स्थिती में बिना कोई रिस्क लिए मैच ड्रा कराने के लिए खेलती। और ये फैसला ग़लत भी नहीं होता क्योंकि टीम 2-0 से पहले ही आगे चल रही थी, ऐसै में रिस्क लेने से टीम बचती औऱ कोई इस फैसले पर सवाल भी नहीं उठता क्योंकि कुछ वक्त पहले तक टीम इंडिया अपने डिफेंसिव खेल के लिए जानी जाती थी। आमतौर पर हम भारतीयों का व्यवहार भी कुछ इसी तरह का होता हैं इसीलिए ये फैसला व्यवहारिक भी होता। लेकिन वानखेड़े की पिच पर जिस टीम इंडिया ने इतिहास रचा हैं वो इससे काफी अलग हैं और इसीलिए भारतीय होकर भी भारतीय नहीं। ये टीम डिफेंसिव नहीं बल्कि अटैकिंग हैं। ये बचाव की जगह वार करना जानती हैं ये जोश और जुनून से लबरेज़ हैं ये गिरना जानती हैं औऱ गिर कर उठना भी। ये ऐसी टीम हैं जो सब कुछ आज़मा कर सीखना जानती हैं। कुछ साल पहले तक वेस्टइंडीज के क्लाइव लॉयड की टीम एक ऐसी टीम थी जिसका दुनिया भर में डंका बजता था। अपने आक्रामक गेंदबाजी और बल्लेबाज़ी की बदौलत पूरे क्रिकेट जगत में इनके नाम का आतंक था और उसके बाद स्टीव वॉ की टीम ने क्रिकेट की दुनिया में राज किया जो अपने विश्व स्तरीय क्रिकेट के साथ ही खास मेंटल प्लानिंग की बदौलत विरोधी टीम के पसीने छुड़ा देते थे। अब विराट कोहली की कप्तानी में हर दिन बेहतर हो रही टीम इंडिया कुछ इसी राह पर आगे बढ़ रही हैं। जिस टीम इंडिया को हम इन दिनों खेलते देख रहे हैं वो काफी फुर्तीली हैं। किसी भी मौके को भुनाने से पीछे नहीं हटती औऱ हर मैदान पर खुद को साबित करने के लिए जूझती दिखती हैं। इसे हार का डर नहीं हैं न ही अपनी इमेज की परवाह और न ही इसे इस बात से फर्क पड़ता है कि लोग क्या कहते हैं। यदि इन्हे कुछ पता हैं तो वो सिर्फ इनका काम यानि मैदान पर खुद को साबित करना ,हर मैच में पहले से बेहतर करना टीम में हर खिलाड़ी को पता हैं कि हर खेल में उसे खुद को साबित करना ही होगा।टीम में रहने के लिए अच्छे प्रदर्शन से ज्यादा कुछ औऱ की जरूरत नहीं यदि प्रदर्शन अच्छा है तो टीम में है वरना विकल्प की कोई कमी नहीं। कोई ईर्ष्या कोई राजनीति कोई ईगो क्लेशेस नहीं। न ही सीनियर जूनियर का कोई झगड़ा सिर्फ एक मूल मंत्र है औऱ वो है खेल। आप अच्छा खेल रहे है अच्छे फार्म में है तो मौकों की कमी नहीं और नहीं तो टीम में जगह नहीं।है न काफी व्यवहारिक और गैर भारतीय। एक खेल प्रेमी के तौर पर इस टीम के साथ कई बार हमने खेल में निराशा भी झेली हैं कई बार पछतावा हुआ हैं कई बार गुस्सा भी आया ,कई बार अपने पसंदीदा खिलाड़ियों पर गुस्सा भी दिखाया। कई तरह के उतार चढ़ाव देखे हैं लेकिन ये क्रिकेट हैं अनिश्चितताओं का खेल जिसमें कब क्या होगा कुछ नहीं कहा जा सकता। इन सबके साथ हमने इस टीम को खासतौर पर पिछले कुछ महीनों में काफी मज़बूती से उभरते भी देखा हैं। पूरी दुनिया अब इस टीम का लोहा मान रही है कोई भी विरोधी टीम इस टीम की जीत को सिर्फ भाग्य के भरोसे वाली जीत नहीं मान रही बल्कि हर देश की टीम औऱ क्रिकट के तमाम पंड़ित इस टीम की काबीलियत को मान रहे हैं। हाल के दिनो में अब स्पिनर्स टीम इंडिया की पहचान बन गए हैं विश्व में सबसे बेहतरीन स्पिनर्स अब इस टीम के पास हैं जिन्होने वक्त आने और जरूरत पड़ने पर टीम के लिए शतक तक जड़े हैं। टीम के पास पेसर्स हैं जो हर पिच पर टीम का साथ दे रहे हैं। वहीं पुजारा ,विजय औऱ रहाणे जैसे बल्लेबाज जो दिन भर धुंआधार बल्लेबाज़ी करने का दम रखते है। ये कुछ ऐसै खिलाड़ी है जो अपनी टीम को संकट की कैसी भी स्थिती से बाहर निकाल लाये। इस पूरी टीम के इस नए रूप में दिखाई देने में अहम योगदान है टीम इंडिया के कोच कुंबले औऱ कप्तान विराट कोहली का।कप्तान कोहली जो वक्त के साथ और विराट होते जा रहे हैं। जिनकी तारीफ इस वक्त पूरी दुनिया कर रही हैं जो वक्त के साथ दिन प्रतिदिन बेहतर फैसले लेने के लिए जाने जा रहे हैं। विराट की इस विराट सेना ने गेम को बदल कर रख दिया है इसका फोकस कड़ी ट्रेनिंग औऱ फिटनेस पर है खुद कप्तान कोहली अपनी फिटनेस को लेकर कितने फिर्क मंद है और कितना कठिन वर्कआउट करते है किसी से छिपा नहीं इस टीम में जीत की भूख है, खुद को साबित करने का जुनून है। इस टीम की आखों में दिखता है जीत का जश्त ,शतक की खुशी ,विकेट लेने का जोश , विकेट खोने का ग़म और हार के आंसू। जब कभी विरोधी टीम माइंड गेम की कोशिश करती हैं तो ये टीम उसे जवाब देती है मैदान पर अपने खेल से। ये टीम जिम्मेदार है तो सिर्फ खेल के लिए। इसे किसी की टिप्पणियों से फर्क नहीं पड़ता इसे इसे फर्क पड़ता है तो बस खेल के मैदान पर अपना बेस्ट देने से। अक्सर बात होती हैं देश से बाहर प्रदर्शन की तो ये टीम एक विश्व विजय के रथ पर सवार है ये टीम विरोधियों को उनके ही घर में मात देने का दम रखने वाली टीम है। हमारे पास ऐसे खिलाड़ी हैं जो अब तक के अपने खेल से ये साबित कर चुके हैं कि वो देश ही नहीं बल्कि देश से बाहर किसी भी देश कि किसी भी तरह की पिच पर भी अपना जलवा दिखा सकते हैं। आंकड़ो की ही बात करें तो ये टीम अपने हर मैच में कोई न कोई रिकार्ड तोड ही रही है। हमारी ये टीम आंकड़ो से आगे है ऐसा लगता है जैसे इस टीम में एक आग है जीत कि एक भूख है दुनिया में अपने नाम का डंका बजवाने की जो आसानी से शांत नहीं होने वाली। आज के इस वक्त में जब भारतीय होने की रोज़ नई परिभाषा गढ़ी जा रही है ऐसे इस दौर में टीम के इस प्रर्दशन को देखते हुए अब ये कहना गलत नहीं होगा कि मैदान पर जब ये उतरते है तब सिर्फ भारतीय के तौर पर नहीं बल्कि एक चैंपियन के तौर पर क्योंकि चैम्पियन खुद को दायरों में नही बांधते और यही उन्हे चैम्पियन बनाता हैं।