क्या क्रिकेट कभी ओलम्पिक का हिस्सा बन पाएगा?

हाल ही में भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाडी वीरेंदर सहवाग ने ओलम्पिक में क्रिकेट के शामिल न होने को लेकर एक बयान दिया, जिससे ये मुद्दा चर्चा का विषय बन गया। हालांकि इस मुद्दे को लेकर पहली बार किसी ने चर्चा की हो, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। समय-समय पर खेलों के जानकर इस विषय पर चर्चा करते रहे हैं, और क्रिकेट के ओलम्पिक का हिस्सा नहीं बन पाने को लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त करते रहे हैं। लेकिन इसपर बात चर्चा से आगे नहीं बढ़ पाई है, और इस दिशा में न तो क्रिकेट को संचालित करने वाली ICC और न ही ओलम्पिक संघ की ओर से कोई गंभीर प्रयास किये गए हैं। अब जब ये विषय फिर से सुर्ख़ियों में आया है तो हम सभी खेल प्रेमियों को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि लगभग नामुमकिन सी दिखने वाली ये बात कैसे सम्भव हो, इस पर भली भांति मंथन करना चाहिए। ओलम्पिक खेलों की दुनिया का वो महाकुम्भ है, जिसमें दुनियाभर के लगभग सभी लोकप्रिय खेलों को शामिल किया जाता है । ओलम्पिक में इन खेलों से जुड़े सभी प्रमुख देशों के जाने-माने खिलाडी शिरकत करते हैं और अपनी प्रतिभा के बल पर अपने देश को ओलम्पिक पदक दिलाने के लिए अपनी जी-जान लगा देते हैं। ओलम्पिक में भाग लेना और पदक हासिल करना जैसे दुनिया के प्रत्येक खिलाडी का सपना होता है। ओलम्पिक खेलों का आयोजन हर चार साल के बाद किया जाता है। खेलों के महाकुम्भ ओलम्पिक खेलों का जादू हमेशा से ही लोगों के सिर चढ़कर बोलता रहा है। क्रिकेट इस समय दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में शामिल है, इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि दुनियाभर में इसे पसंद करने वाले लोगों की संख्या करोड़ो में है। लेकिन फिर भी ये हैरानी की बात है कि ओलम्पिक की तरह अत्यधिक लोकप्रिय होने के बाबजूद क्रिकेट इस महाकुम्भ न तो वर्तमान समय में हिस्सा है और न ही अतीत में कभी रहा है। इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात तो ये है कि आने वाले कई ओलम्पिक आयोजनों में भी इसके शामिल होने की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि इतना लोकप्रिय होने पर भी क्रिकेट ओलम्पिक खेलों का हिस्सा नहीं बन पाया है? ओलम्पिक ही की तरह प्राचीन हो चले क्रिकेट का नाम अभीतक उसके साथ क्यों नहीं जुड़ पाया है? आज भी ओलम्पिक और क्रिकेट एक ही नदी के उन दो किनारों की तरह क्यों हैं, जो कभी एक-दूसरे के साथ नहीं मिल पाते? जब हम इसपर मंथन करते हैं तो इसकी पहली वजह जो नज़र आती है वो ये है कि आज भी क्रिकेट भले ही दुनियाभर में 100 से भी ज्यादा देशों में खेला जाता हो, लेकिन इसके पूर्णकालीक सदस्य और टेस्ट खेलने के लिए मान्यता प्राप्त देशों की संख्या मात्र 12 ही है। दूसरा ये भी है कि क्रिकेट खेलने वाले सभी प्रमुख देश दुनिया के केवल कुछ भागों तक ही सीमित हैं। इनमें एशिया के दक्षिणी भाग से भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान की टीमें, अफ्रीका के कुछ भाग से दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्बे की टीमें, अमेरिका के कैरिबियाई क्षेत्र के कई देशों जैसेकि गुयाना, त्रिनिडाड एंड टोबेगो, जमैका, बारबाडोस आदि को मिला कर बनाई गई एक टीम वेस्टइंडीज, यूरोप के कुछ भाग के रूप में UK से इंग्लैंड, आयरलैंड की टीम, और ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप के दोनों देश ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड की टीमें शामिल हैं। विश्व की कई महाशक्तियां जैसे की जापान, कोरिया, चीन, जर्मनी, रूस, फ़्रांस आदि अभी भी इस खेल से दूर हैं। खेलों की दुनिया के कई अन्य बड़े नाम जैसे कि स्पेन, इटली, ब्राजील, अर्जेंटीना, स्विट्जरलैंड, स्वीडन आदि ने भी अभीतक इसे अपनाया नहीं है। हालांकि पिछले कुछ समय में क्रिकेट के विस्तार को लेकर ICC में जागरूकता आई है। दुनिया के अलग-अलग भागों में इसे और भी लोकप्रिय बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि कई सारे देशों में इसकी लोकप्रियता में काफी बढ़ावा भी आया है। आशा है कि आने वाले वर्षों में क्रिकेट विश्व के सारे भागों में अपनी जगह बना लेगा। ओलम्पिक का हिस्सा नहीं बन पाने की एक और जो मुख्य वजह है वो ये है कि क्रिकेट खेल में लगने वाला लम्बा समय। क्रिकेट की समय अवधि भी इसके ओलम्पिक का हिस्सा न बन पाने में बाधक बनी है, क्योंकि पूर्व में प्रचलित क्रिकेट के प्रारूप टेस्ट और वनडे रोमांचक जरूर हैं, लेकिन इन्हें खेलने में समय भी बहुत लगता है। हालांकि टी-20 के आने के बाद अब समय को क्रिकेट के ओलम्पिक का हिस्सा बनने में बाधक नहीं माना जा सकता। इसके अतिरिक्त क्रिकेट मैदानों और खासकर पिचों का रखरखाव भी इसके ओलम्पिक आयोजन का हिस्सा बनने की राह की एक महत्वपूर्ण बाधा है। ओलम्पिक आयोजन में जहां कई सारे अन्य खेल एक साथ एक ही मैदान में सम्पन्न हो जाते हैं, वहीं क्रिकेट के साथ एक ही मैदान पर एक ही समय अन्य खेल खेलना बड़ा ही मुश्किल है, लेकिन ये बिल्कुल असम्भव हो ऐसा भी नहीं है। यदि ओलम्पिक संघ इस विषय पर गंभीरता से विचार करे तो ये बाधा भी दूर हो सकती है। यदि क्रिकेट को ओलम्पिक का हिस्सा बनने का मौका मिलता है तो अब क्रिकेट आयोजन से पहले या क्रिकेट आयोजन के बाद उस मैदान पर अन्य खेल प्रतियोगिताएं भी सम्पन्न कराई जा सकती हैं। यूँ तो क्रिकेट के खेल में पिच का रखरखाव बड़ा जरूरी होता है, यही वजह है कि प्रायः क्रिकेट मैदानों पर अन्य खेलों का आयोजन नहीं किया जाता। लेकिन हाल ही में आई नई तकनीक 'ड्रॉप इन पिच' की वजह से अब ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में क्रिकेट स्टेडियमों पर अन्य खेल भी खेले जाने लगे हैं, इस तकनीक में क्रिकेट पिच को मैदान में तैयार न करके कहीं और तैयार किया जाता है और फिर मैच से पूर्व मैदान में लगा दिया जाता है। वैसे जबतक क्रिकेट ओलम्पिक का हिस्सा नहीं बन रहा है, तबतक इसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं के आयोजन का हिस्सा बनाने का प्रयास करना चाहिए जैसे कि कॉमनवेल्थ गेम्स (राष्ट्रमंडल खेल) और एशियाई खेल आदि। यदि क्रिकेट ऐसे आयोजनों का अंग बनेगा तो उसके ओलम्पिक का हिस्सा बनने की संभावनाओं को भी बल मिलेगा। यूँ तो क्रिकेट में विश्व कप के अतिरिक्त भी एशियाई देशों के लिए एशिया कप का आयोजन किया जाता है। लेकिन यदि अलग से एशिया कप आयोजित करने के बजाय इसे एशियाई खेलों का ही हिस्सा बना दिया जाए, तो इससे क्रिकेट के साथ-साथ एशियाई खेलों को भी लाभ होगा और इस खेल आयोजन का आकर्षण और अधिक बढ़ जाएगा। हालांकि राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट को शामिल करने की बात की जाए, तो सन 1998 में एक बार इसे राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा बनाया भी गया था, लेकिन क्रिकेट खेलने वाले प्रमुख देशों ने अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते इस आयोजन में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और अपनी मुख्य टीम की जगह कमजोर टीमें भेजीं, जिसका नतीजा ये रहा कि क्रिकेट के शामिल होने से आयोजन का जो आकर्षण बढ़ना चाहिए था वो नहीं बढ़ पाया। लेकिन भविष्य में बड़े आयोजन का हिस्सा बनने का अवसर मिलने पर ऐसी गलती दोबारा न हो, ICC को इस बात को ध्यान में रखना होगा। क्रिकेट को बड़े आयोजनों का हिस्सा बनाने पर इनके आयोजकों को गर्व महसूस हो, इसके लिए क्रिकेट खेलने वाले देशों को इनका महत्व समझकर अपनी मजबूत टीमें भेजनी होंगी। तभी क्रिकेट के विस्तार को गति मिल सकेगी। इस विश्लेषण का कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है कि यदि ओलम्पिक संघ और ICC यदि इस दिशा में प्रयास करें तो क्रिकेट को ओलम्पिक आयोजन का हिस्सा बनते देखने का सभी क्रिकेट प्रेमियों का सपना अवश्य ही सच हो सकता है। ऐसा होनेपर ओलम्पिक और क्रिकेट दोनों को ही लाभ होगा, क्रिकेट के ओलम्पिक खेलों का हिस्सा बनने से ओलम्पिक में भी चार चांद लग जाएंगे।