कल यानी 5 जनवरी से भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच 3 टेस्ट मैचों की सीरीज़ का पहला टेस्ट खेला जाएगा। केपटाउन में खेले जाने वाले इस टेस्ट मैच के साथ ही भारत के दक्षिण अफ्रीका दौरे की शुरुआत हो जाएगी। 3 टेस्ट मैचों की इस सीरीज को भारतीय टीम के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। पिछले कुछ समय से भारत ने हर फॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन इस अफ्रीकी दौरे पर टीम इंडिया की राह आसान नहीं होगी। टीम इंडिया के पिछले सभी अफ्रीकी दौरे इस बात के गवाह हैं कि ये दौरा टीम इंडिया के लिए फूलों की सेज नहीं बल्कि कांटों की राह हो सकता है। भारत ने दक्षिण अफ्रीका में जाकर कभी भी टेस्ट सीरीज नहीं जीती है। ये सीरीज टीम इंडिया के लिए हाल ही में खेली गई सभी सीरीजों के मुकाबले सबसे कठिन होगी। ये सीरीज ही टीम इंडिया की दशा और दिशा तय करेगी। इसी सीरीज के माध्यम से ही पता चल सकेगा कि भारतीय टीम वर्ष 2018-19 के आगामी कठिन दौरों पर कैसा प्रदर्शन कर पाएगी। भारत ने सन 1992-93 में पहली बार दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया था। तब से अब तक 25 वर्षों का सफर बीत चुका है, लेकिन भारत एक भी बार सीरीज जीतने में नाकाम रहा है। दोनों टीमों के बीच अफ्रीकी जमीन पर कुल 17 मैच खेले जा चुके हैं। यदि भारत द्वारा दक्षिण अफ्रीका में जीते गए टेस्ट मैचों की बात करें तो इनकी संख्या मात्र 2 है, जबकि भारत के हारे हुए टेस्ट मैचों की संख्या इससे चार गुनी है अर्थात 8। इनमें भी कई हारे शर्मनाक थीं, शेष 7 मैच ड्रा रहे हैं। अपने पहले ऐतिहासिक अफ्रीकी दौरे पर ही टीम इंडिया को ये एहसास हो गया कि यहां की परिस्थियां उनके अनुकूल नहीं हैं। उस समय क्रिकेट जगत में कई दशक बाद वापसी कर रही दक्षिण अफ्रीका की अनुभवहीन टीम ने सितारों से सजी टीम इंडिया को न सिर्फ संघर्ष करने के लिए मजबूर किया, बल्कि उसे 4 मैचों की सीरीज में 1-0 से हरा भी दिया। इसके बाद अगली बार टीम इंडिया जब 1996-97 में सचिन तेंदुलकर के नेतृत्व में अफ्रीका के दौरे पर आई, तो उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इस सीरीज के डरबन टेस्ट में टीम के बेहद शर्मनाक प्रदर्शन को तो कोई भी क्रिकेट प्रेमी याद नहीं रखना चाहेगा। इस मैच में टीम इंडिया एक ही दिन में दो बार 100 और 66 रनों के मामूली से स्कोर पर आउट होकर मैच हार गई। उस समय टीम में कप्तान सचिन तेंदुलकर के अलावा मोहम्मद अजहरुद्दीन, डब्ल्यू वी रमन, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले जैसे दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे। इस दौरे पर टीम को 3 मैचों की सीरीज में अफ़्रीकी टीम के हाथों 2-0 से हार का सामना करना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका के अगले दौरे 2001-02 पर भी पुरानी कहानी ही दोहराई गई। इस बार 2 मैचों की सीरीज में टीम इंडिया 1-0 से हार गई। 2006-07 के दौरे में टीम इंडिया ने अपनी संघर्ष क्षमता दिखाई और पहली बार दक्षिण अफ्रीका में उसे कोई टेस्ट मैच जीतने में कामयाबी मिली। लेकिन 3 मैचों की सीरीज को भारत 2-1 से हार गया। अगले दौरे 2010-11 में भारत पहली बार दक्षिण अफ्रीका में बिना सीरीज हारे स्वदेश वापस आया। भारत सीरीज जीत तो नहीं सका, लेकिन 3 मैचों की सीरीज 1-1 से बराबरी पर छूटी। उसके बाद 2013-14 में अपने पिछले दौरे पर जब टीम इंडिया धोनी के नेतृत्व में अफ्रीकी दौरे पर पहुंची तो लगा कि इस बार टीम इंडिया अपने सीरीज जीतने के सूखे को खत्म करके लौटेगी, लेकिन अपेक्षा के विपरीत टीम का प्रदर्शन बेहद लचर रहा। 2 मैचों की इस सीरीज को टीम इंडिया ने 1-0 से गवां दिया। यदि किस्मत ने अफ्रीका का साथ दिया होता तो ये अंतर 2-0 भी हो सकता था, क्योंकि जो मैच ड्रा रहा था उसमें अफ्रीका की टीम मैच जीतते-जीतते रह गई, क्योंकि जिस समय मैच समाप्त हुआ अफ्रीकन टीम जीत के लक्ष्य से मात्र 8 रन ही दूर थी। वैसे इस बार अपेक्षा यही की जा रही है कि वर्तमान दौरे पर टीम इंडिया अपने चाहने वालों को निराश नहीं करेगी। जो कारनामा पहले नहीं हो सका नए साल पर मिले नए अवसर पर टीम इंडिया इस बार उस कारनामे को अंजाम देगी। अफ्रीका में चला आ रहा सीरीज जीत का सूखा इस बार समाप्त होगा। आशा तो यही की जा रही है, वैसे इस बार टॉप रैंकिंग वाली दोनों टीमों के बीच कड़ा संघर्ष होने का अनुमान है। मेरा मानना है कि भारतीय टीम इस बार टेस्ट सीरीज में न सिर्फ शानदार प्रदर्शन करेगी, बल्कि नया इतिहास रचते हुए सीरीज जीतने में भी कामयाब रहेगी। मुझे ऐसा लगता है कि सीरीज का परिणाम 2-1 से भारत के पक्ष में रहेगा। वर्तमान समय में भारतीय टीम पूरी तरह से संतुलित नज़र आ रही है, इसलिए उससे जीत की आशा की जा रही है। बैटिंग की बात करें तो टीम में मुरली विजय, शिखर धवन और के एल राहुल के रूप में 3 इन्फॉर्म ओपनर हैं। मध्यम क्रम में टीम इंडिया के पास 3 नम्बर के लिए चेतेश्वर पुजारा जैसे भरोसेमंद बल्लेबाज हैं, वहीं 4 नम्बर पर खुद कप्तान विराट कोहली और 5 नम्बर पर अजिंक्य रहाणे मौजूद हैं। 6 और 7 के लिए आर अश्विन और ऋद्धिमान साहा हैं। इसके अलावा समीकरण बदलने पर रोहित शर्मा, हार्दिक पांड्या और पार्थिव पटेल जैसे विकल्प भी मौजूद हैं। गेंदबाजी में भी भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी, उमेश यादव, इशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह के अलावा लेफ्ट आर्म स्पिनर रविंद्र जडेजा भी विकल्प के तौर पर मौजूद हैं। भारतीय टीम के लिए अगर चिंता की कोई बात है तो वो है रहाणे की खराब फॉर्म। मेरा मानना है कि बल्लेबाजी में पुजारा और गेंदबाजी में भुवनेश्वर कुमार भारत के लिए 'की प्लेयर' होंगे। इन दोनों का प्रदर्शन सीरीज के परिणाम में निर्णायक प्रभाव डालेगा।