2011 का विश्व कप भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुनहरे पन्नों पर लिखा गया है। यही वो पल था, जब भारत ने दूसरी बार विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल किया था। 2011 का विश्वकप मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का आखिरी वर्ल्ड कप था। उस दौरान भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और कोच दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन थे। अब कई साल बाद विश्व कप में भारत के प्रदर्शन को लेकर गैरी कर्स्टन ने अपनी जुबान खोली है। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्वकप में बहुत शानदार क्रिकेट नहीं खेली थी। बस टीम का प्रदर्शन औसत था। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए क्वार्टर फाइनल में उसने अच्छा क्रिकेट खेला था।
इंडियन प्रीमियर लीग के 12वें संस्करण में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कोच गैरी कर्स्टन ने कहा कि पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम का प्रदर्शन औसत रहा था। बस हमने दबाव वाले क्वार्टर फाइनल में अच्छा क्रिकेट खेला था। बार-बार मेरे जेहन में यह बात घूम रही थी कि हम अच्छा नहीं खेल रहे हैं, तब भी लगातार जीत हासिल हो रही है। अगर अच्छा खेल जाएं तो कोई बराबर से खड़ा नहीं हो सकेगा। भारत और श्रीलंका के बीच हुआ फाइनल मुकाबला बहुत कांटे का था। फिर भी मैं जानता था कि हमारी टीम में भी बहुत मजबूत खिलाड़ी हैं। इस वजह से मैंने खुद पर या टीम पर दबाव नहीं बनने दिया।
2011 विश्वकप के फाइनल मुकाबले में महेंद्र सिंह धोनी को ऊपर के क्रम में भेजने के बारे में कर्स्टन ने कहा कि हमने विचार किया कि मुरलीधरन के खिलाफ दाएं-बाएं हाथ के बल्लेबाज का मिश्रण रखना बहुत जरूरी था। इस वजह से धोनी ने ऊपर के क्रम में खेलने को लेकर उत्सुकता दिखाई थी। उन्होंने मेरे रूम को नॉक किया और कहा कि मैं ऊपर जाना चाहता हूं क्योंकि वहां मैं अच्छा खेलूंगा। मैं उन्हें मना नहीं कर सका। वैसे सच बताऊं तो 274 रनों का स्कोर कम नहीं था पर मुझे मालूम था कि हमारे पास मजबूत बल्लेबाजी क्रम है। मैंने सोचा था कि अगर कोई शतक बना दे तो जीत का आधार बन जाएगा। वही हुआ। गौतम गंभीर की 97 रनों की पारी जीत का आधार बनी।
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