बीसीसीआई ने महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स मामले पर माही को सही बताते हुए आईसीसी को जवाब भेजा है। बोर्ड ने कहा कि धोनी के ग्लव्स का लोगो पैरामिलिट्री फ़ोर्स का नहीं है क्योंकि उसमें नीचे बलिदान लिखा हुआ है। देखा जाए तो बोर्ड की बात से मैं भी सहमत हूं। लोगो की बात आईसीसी ने कही है तो फिर पूरा मिलान होने के बाद ही कुछ कहा जाना चाहिए।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने आईसीसी को निवेदन करते हुए धोनी को अपने ग्लव्स में इस लोगो का उपयोग करने की अनुमति के लिए कहा है। कुछ बातों का जिक्र मैं करना चाहूँगा जहां माही को गलत नहीं बताया जा सकता। पहली बात बोर्ड ने साफ़ कर दी कि यह पैरामिलिट्री फ़ोर्स का लोगो नहीं है क्योंकि उसमें नीचे 'बलिदान' शब्द नहीं लिखा हुआ। दूसरी बात यह भी है कि जब ये पैरामिलिट्री का चिन्ह नहीं है तो इसको इतना तूल देने की कोई जरूरत नहीं है। धोनी ने किसी को दिखाने या कोई प्रचार करने के लिए इस तरह के ग्लव्स का उपयोग नहीं किया है।
ऐसा लगता है जैसे बाल की खाल निकालने के लिए आईसीसी और अधिकारियों ने इस मामले को उठाया है। ऐसा भी नहीं है कि धोनी ने किसी व्यावसायिक डील के लिए ये चिन्ह अपने दस्तानों में लगाया हो। एक और बात यह भी है कि इस लोगो का किसी धर्म का नस्ल से भी कोई लेना देना नहीं है तो आईसीसी ने किस आधार पर इसमें आपत्ति जताई।
महेंद्र सिंह धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के उन चुनिन्दा खिलाड़ियों में से एक हैं जो विवाद से कोसों दूर रहते हैं, ऐसे में उन पर ये सवाल आईसीसी की मंशा पर ही सवाल खड़ा कर देता है। धोनी अपने काम को बखूबी करने के इरादे से मैदान पर उतरते हैं और ठन्डे दिमाग और किसी भी मामले में बिना टांग अड़ाए कार्य को अंजाम तक पहुंचाते हैं। कम से कम आईसीसी को इस मामले पर बीसीसीआई से स्पष्टीकरण मांगने से पहले पूरी जांच पड़ताल जरुर करनी चाहिए थी क्योंकि नियम-कायदों के मामले में महेंद्र सिंह धोनी भी कम नहीं हैं। वे सही और गलत को भली भांति समझते हैं।
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