महेंद्र सिंह धोनी को बल्ले से पारी समाप्त करने की उनकी क्षमता के साथ ही विकेट के पीछे उनकी चपलता के लिए भी जाना जाता है। भारत को टी-20 और एकदिवसीय क्रिकेट दोनों के आईसीसी वर्ल्ड कप जिता चुके धोनी को अपनी सूझबूझ के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इस बार उनके प्रदर्शन को देखकर यह लग रहा है कि कहीं न कहीं यह 37 वर्षीय खिलाड़ी अब अपनी चमक खो रहा है।
पूर्व भारतीय कप्तान ने इस वर्ल्ड कप में अपनी 6 पारियों में 188 रन बनाए हैं। इसमें धोनी की इंग्लैंड के खिलाफ 31 गेंद पर 42 रनों की नाबाद पारी भी शामिल है, जब टीम इंडिया 31 रनों से मैच हार गई और इस पारी के बाद उनकी काफी आलोचना भी हुई। भारतीय टीम के लिए इससे भी बड़ी समस्या यह रही है कि विकेट के पीछे कई मैचों के परिणाम अकेले दम पर बदलने वाला यह खिलाड़ी अभी तक वर्ल्ड कप में अपने ही प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाया है और वे पूरे टूर्नामेंट में विकेट के पीछे जूझते नजर आए हैं।
विकेट के पीछे बल्लेबाजों को आउट करने के मामले में वर्ल्ड कप 2019 में धोनी तीसरे सबसे खराब विकेट कीपरों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं। उन्होंने छह मैचों में सिर्फ दो कैच पकड़े हैं, जबकि दो बार स्टपिंग की है। इस वर्ल्ड कप में दुनिया भर के विकेट कीपरों में सिर्फ अफगानिस्तान के इकराम अली खिल और मोहम्मद शहजाद से ही धोनी आगे हैं। विकेट के पीछे सरफराज अहमद भी धोनी से अधिक बल्लेबाजों को शिकार बना चुके हैं। इसके अलावा अभी तक विकेट के पीछे बाई में सबसे ज्यादा रन देने का रिकॉर्ड भी धोनी के नाम है।
इसके अलावा डीआरएस लेने से पहले कोहली हमेशा धोनी से सलाह लेते हैं। धोनी को डीआरएस लेने में सटीक फैसलों के लिए जाना जाता है लेकिन इस वर्ल्ड कप में इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ मैच में धोनी ने कोहली को रिव्यू लेने से मना कर दिया था, जबकि दोनों ही बार बैट्समैन साफ आउट दिखाई दिए थे। ऐसे में यह तो तय है कि धोनी कहीं न कहीं इस समय मैदान पर संघर्ष कर रहे हैं और प्रशंसकों के साथ ही साथ भारतीय टीम यही चाहेगी की धोनी वापस पूरे रंग में आ जाएं, जिससे आने वाले मैचों में टीम को उनके अनुभव का पूरा लाभ मिले।
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