भारतीय टीम में जगह बनाना सभी युवा एवं अन्य क्रिकेटरों का सपना होता है। भारतीय टीम में जगह बनाने के के बाद उनका सबसे बड़ा सपना यह होता है कि वे क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट 'वर्ल्ड कप' में हिस्सा लें और अपना नाम रोशन करें। विश्व के महानतम बल्लेबाजों में से एक, सचिन तेंदुलकर ने अपने शुरुआती दिनों में करियर को आकार देने में भारत की 1983 वर्ल्ड कप की जीत के महत्व के बारे में बात की थी। इसी तरह, अतीत में कई महान क्रिकेट हस्तियां भी वर्ल्ड कप की प्रासंगिकता के बारे में बात कर चुकी हैं। अब तक कई क्रिकेटरों ने वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने के अपने सपने को पूरा किया है।
आमतौर पर टीम का चयन निर्धारित अवधि से अधिक क्रिकेटरों के प्रदर्शन को देखते हुए किया जाता है। आगामी वर्ल्ड कप के लिए भी भारतीय टीम का चयन करते समय इसी बात को ध्यान में रखा गया था। लेकिन इतिहास में कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कम अनुभव के बावजूद भी टीम में शामिल किया गया, भले ही वे भारतीय टीम में नियमित सदस्य या लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी न रहे हों।
आज हम आपको पिछले दो वर्ल्ड कप (2011 और 2015) के ऐसे ही 3 खिलाडियों के बारे में बताएंगे जो भाग्यशाली रहे कि उनको भारत की वर्ल्ड कप टीम में मौका मिला।
#3. पीयूष चावला:
सबकी आंखे खुली की खुली रह गईं जब वर्ल्ड कप 2011 के लिए घोषित भारतीय टीम में प्रज्ञान ओझा की जगह लेग स्पिनर पीयूष चावला को तरजीह दी गई। उस समय पीयूष चावला भारतीय वनडे टीम के नियमित सदस्य नहीं थे और न ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ज्यादा अनुभव था। हालांकि उन्होंने वनडे करियर की शुरुआत 2007 में ही हुई थी।
उन्होंने उस वर्ल्ड कप में खराब प्रदर्शन किया और 06 मार्च 2011 को नीदरलैंड के खिलाफ मैच खेलने के बाद वे कभी वनडे टीम का हिस्सा नहीं बने। पीयूष चावला के नाम 25 वनडे मैचों में 34.91 की औसत से 32 विकेट चटकाए हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन 4/23 है।
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#2. युसूफ पठान:
बड़ौदा के ऑलराउंडर युसूफ पठान ने साल 2007 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा था। घरेलू टीम और आईपीएल में उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए साल 2011 के वर्ल्ड कप में उन्हें भारतीय टीम में जगह दिया गया। इसके अलावा उनके चयन की वजह साल 2011 के शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में लगाया गया शतक भी था। हालांकि युसूफ पठान वर्ल्ड कप 2011 में सिर्फ लीग मैचों में ही खेल पाए और कुछ खास प्रदर्शन भी नहीं किया, इसी कारण उन्हें क्वार्टरफाइनल मैच में प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिला।
युसूफ पठान की छवि एक हार्ड हिटर बल्लेबाज के रूप में थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय मैचों में वे अपने इस छवि को बरकरार नहीं रख पाए। युसूफ पठान ने अपने वनडे करियर में 57 मैच खेले हैं और लगभग 27 की औसत से 801 रन बनाए हैं। उनका प्रदर्शन कभी स्थायी नहीं रहा जिस कारण वे 5 साल के वनडे करियर में टीम में मौका पाने के लिए जूझते रहे।
1. स्टुअर्ट बिन्नी:
2014-15 के सत्र के दौरान टीम इंडिया एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर की तलाश में थी। स्टुअर्ट बिन्नी उस समय सबसे तेजी से उभर रहे तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर थे। स्टुअर्ट बिन्नी ने अपने घरेलू टीम कर्नाटक के लिए रणजी ट्रॉफी में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। इसी प्रदर्शन के मद्देनजर ऑलराउंडर टैग के साथ उन्हें 2014 में भारतीय वनडे और टेस्ट टीम में जगह बनाने का मौका मिला।
साल 2015 का वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेला गया था, इसलिए चयनकर्ताओं ने स्टुअर्ट बिन्नी को उनकी हरफनमौला क्षमता को देखते हुए वर्ल्ड के लिए चुनी गई भारतीय टीम में शामिल किया। इस वर्ल्ड कप में उन्हें एक भी मैच में खेलने का मौका नहीं मिला क्योंकि उस दौरान रविंद्र जडेजा बेहतर ऑलराउंडर के तौर पर टीम में मौजूद थे और अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे।
उन्होंने अपने करियर में 14 वन-डे मैच खेले जिसमें उन्होंने 28.75 की औसत से 230 रन बनाए। इसके अलावा गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 20 विकेट भी चटकाए। स्टुअर्ट बिन्नी बांग्लादेश के खिलाफ 6/4 की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन के अलावा अन्य मौकों पर कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि उन्हें उस समय भारतीय क्रिकेट टीम में उनके प्रदर्शन के आधार पर नहीं बल्कि तेज गेंदबाजी ऑलराउंडरों की कमी के कारण 2015 वर्ल्ड कप टीम में स्थान मिला था।