हर क्रिकेटर का सपना इस खेल के सबसे बड़े खिताब विश्व कप को जीतने का होता है। कुछ खिलाड़ी अपने करियर में इस सपने को पूरा कर पाते हैं तो वहीं कुछ खिलाड़ी पूरे करियर के दौरान क्रिकेट पर राज करने के बावजूद इस बेशकीमती खिताब को नहीं जीत पाते हैं।
हालांकि, क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल हैं और यहां किसी खिलाड़ी को खुद को बनाए रखने के लिए लगातार अपना सर्वश्रेष्ठ देना पड़ता है। कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे हैं जिन्होंने विश्व कप या फिर टी-20 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन उस मोमेंटम को जारी नहीं रख सके।
एक बड़े टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करके खुद को सितारा साबित करने के बाद भी कुछ खिलाड़ी मैदान से गायब हो गए। आइए एक नजर डालते हैं उन 5 खिलाड़ियों पर जिन्होंने विश्व कप में शानदार प्रदर्शन तो किया लेकिन फिर मैदान से गायब हो गए।
#5 रयान साइडबॉटम (इंग्लैंड, 2010 ICC टी-20 विश्व कप)
2001 में पाकिस्तान के खिलाफ अपना इंटरनेशल डेब्यू करने वाले साइडबॉटम बाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं। हालांकि, डेब्यू मुकाबले के बाद उन्हें अगला इंटरनेशनल मुकाबला खेलने के लिए छह साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। 2007 में उन्होंने इंग्लैंड के लिए वापसी करते हुए वेस्टइंडीज के खिलाफ आठ विकेट झटके थे।
साइडबॉटम ने इंग्लैंड के लिए 22 टेस्ट मैचों में 79 विकेट झटके थे। वह और भी मुकाबले खेल सकते थे लेकिन 2010 में इंग्लैंड के टी-20 विश्व कप जीतने के बाद उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। 2010 टी-20 विश्व कप में वह ग्रीम स्वान के साथ संयुक्त रूप से इंग्लैंड के लिए सबसे ज़्यादा विकेट झटकने वाले गेंदबाज थे।
फाइनल में भी इंग्लैंड की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले साइडबॉटम ने विश्व कप में 10 विकेट झटकने और जीत हासिल करने के लगभग चार महीने बाद ही इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था।
#4 असंका गुरुसिन्हा (श्रीलंका, 1996 विश्व कप)
1980 से लेकर 90 के दशक तक अशंका गुरुसिन्हा श्रीलंका के लिए काफी भरोसेमंद बल्लेबाज थे। उन्हें शांत और सधी हुई बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था जिससे कि उन्होंने कई मौकों पर श्रीलंका को संकट से उबारा था। श्रीलंका के लिए 41 टेस्ट मैच खेलने वाले गुरसिन्हा ने सात शतक और 38.92 की औसत से 2452 रन बनाए थे।
हालांकि, उन्हें 1996 के ICC क्रिकेट विश्व कप में की गई उनकी साहसिक बल्लेबाजी के लिए याद किया जाता है। टूर्नामेंट में गुरुसिन्हा श्रीलंका के लिए दूसरे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे और गद्दाफी स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी 65 रनों की पारी ने श्रीलंका को अपना पहला विश्व कप जीतने में काफी मदद की थी।
अरविंदा डे सिल्वा के साथ उनकी 125 रनों की साझेदारी ने मैच को पूरी तरह से ऑस्ट्रेलिया से दूर ले जाने का काम किया था और इसी के साथ श्रीलंका विश्व कप जीतने वाला तीसरा एशियन देश बना था। हालांकि, टूर्नामेंट खत्म होने के एक साल के अंदर ही गुरुसिन्हा ने खराब फॉर्म की वजह से संन्यास ले लिया।
#3 जोगिंदर शर्मा (भारत, 2007 ICC टी-20 विश्व कप)
2007 टी-20 विश्व कप शुरु होने पर शायद ही किसी ने सोचा था कि भारतीय टीम इसे जीत सकती लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम ने इसे जीतकर शानदार इतिहास रचा था। जोहान्सबर्ग में खेले गए कड़े फाइनल मुकाबले में भारत ने चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को हराया था और इस मुकाबले में जोगिंदर शर्मा भारत के लिए हीरो साबित हुए थे।
मिस्बाह उल हक काफी खरतनाक दिखाई दे रहे थे। हालांकि, भारत को मुकाबला जीतने के लिए केवल एक विकेट की दरकार थी और कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने हरियाणा के रहने वाले मध्यम गति के तेज गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को गेंद थमाई।
फाइनल में आखिरी ओवर फेंकने आए जोंगिदर की दूसरी ही गेंद पर मिस्बाह उल हक ने जोरदार छक्का जड़ दिया था लेकिन जोगिंदर ने उन्हें अपने जाल में फंसाते हुए भारतीय टीम को टी-20 विश्व कप जिताया था। भारत ने खिताब उठाया और जोगिंदर शर्मा नेशनल हीरो बन गए लेकिन दुर्भाग्यवश वह जोंगिदर के लिए आखिरी टी-20 इंटरनेशनल मुकाबला साबित हुआ।
#2 गैरी गिल्मर (ऑस्ट्रेलिया, 1975 विश्व कप)
गैरी गिल्मर 70 के दशक में बाएं हाथ के खतरनाक स्विंग गेंदबाज थे और इसके अलावा वह बल्लेबाजी में भी लंबे शॉट लगाने की क्षमता रखते थे। भले ही उनका इंटरनेशनल करियर छोटा रहा लेकिन उन्होंने कुछ यादगार परफॉर्मेंस दी थी। गिल्मर ने केवल 5 वनडे मुकाबले खेले थे और उनमें से दो उन्होंने पहली बार हुए 1975 क्रिकेट विश्व कप में खेले थे।
विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलियन टीम मैनेजमेंट ने गिल्मर पर भरोसा जताते हुए उन्हें मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ मैदान पर उतारा। गिल्मर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए केवल 14 रन देकर 6 विकेट झटक लिए और अपनी टीम को फाइनल में पहुंचा दिया।
फाइनल में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और 5 विकेट झटकते हुए खतरनाक वेस्टइंडीज को 291 रनों पर रोका लेकिन ऑस्ट्रेलिया यह मुकाबला 17 रनों से हार गई। विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के बाद उस साल गिल्मर ने केवल एक वनडे खेला। 2014 में पूर्व क्रिकेटर ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
#1 माइकल हेंड्रिक (इंग्लैंड, 1979 विश्व कप)
इंग्लैंड के लिए केवल 22 वनडे खेलने वाले हेंड्रिक का औसत वाकई शानदार था। 19.45 का औसत रखने वाले हेंड्रिक को उनके साथी खिलाड़ी इयान बॉथम और क्रिस ओल्ड की तरह ख्याति नहीं मिल पाई। उनके करियर का सबसे शानदार समय 1979 क्रिकेट विश्व कप रहा जहां 10 विकेट झटकने वाले हेंड्रिक टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा विकेट चटकाने वाले गेंदबाज थे।
हेंड्रिक ने पाकिस्तान के खिलाफ 3 विकेट लेने के अलावा सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ भी 4 विकेट हासिल किए थे और इंग्लैंड घरेल सरजमीं पर विश्व कप के फाइनल में पहुंचाया था। डिफेंडिंग चैंपियन वेस्टइंडीज ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया और हेंड्रिक द्वारा दो विकेट लेने के बावजूद विवियन रिचर्ड्स के शतक की बदौलत 286 रनों का स्कोर खड़ा किया।
इंग्लैंड के लिए माइक ब्रीअर्ली और ज्यॉफ्री बॉयकॉट ने शानदार शुरुआत करते हुए अपने-अपने अर्धशतक पूरे किए। हालांकि, इन दोनों के आउट होने के बाद इंग्लैंड की पारी ताश के पत्तों की तरह ढह गई। इसके बाद हेंड्रिक ने 1981 में अपना आखिरी इंटरनेशन मुकाबला खेला।