दुनिया के हार काम में गुरु की भूमिका अहम होती हैै। वैसे ही क्रिकेट में भी कोच की महत्वता को कोई नकार नहीं सकता। भारत को विश्व चैंपियन बनाने में जिस तरह गैरी कर्स्टन ने अहम भूमिका निभाई वैसे ही एक दौर में इस टीम को अलग-थलग करने में ग्रैग चैपल को रोल महत्वपूर्ण रहा।
इन दो घटनाओं से यह साफ होता है कि कोच कैसे किसी टीम को फर्श से अर्श और अर्श से फर्श तक पहुंचा सकता है। हालांकि आज बात करते हैं दुनिया के ऐसे महान कोचों की जिन्होंने अपने योगदान से एक टीम को निचले पायदान से शीर्ष तक पहुंचाया।
5. बॉब वूल्मर
बॉब वूल्मर एक इंग्लिश क्रिकेटर थे जिन्होंने 1991 में एक स्थानिय क्लब के साथ अपने कोचिंग करियर की शुरुआत की थी। वूल्मर को 1994 में दक्षिण अफ्रीका ने कोच नियुक्त किया। उनके कार्यकाल के दौरान दक्षिण अफ्रीकी टीम ने 15 टेस्ट मैचों में से 10 में जीत हासिल की।
इसके बाद 2004 में उन्हें पाकिस्तान ने अपने यहां क्रिकेट सुधार की जिम्मेदारी सौंपी। इसके तुरंत बाद ही पाकिस्तान ने भारत को एकदिवसीय सीरीज में 4-2 से हराया। उनके कोच रहते पाकिस्तान ने काफी तरक्की की। यही कारण था कि उन्हें पाक ने अपने यहां सितारा-ए-इंतियाज से नवाजा।
हालांकि उनकी मौत भी रहस्यों के साथ हुई। पाक के 2007 विश्वकप में आयरलैंड के हाथों हार के बाद बाहर होने के कुछ ही देर बाद उनकी मौत की खबर मिली।
4. डेव वॉटमोर
डेव वॉटमोर का अंतरराष्ट्रीय करियर बहुत बड़ा नहीं रहा है। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी के तौर पर उन्होंने सिर्फ सात टेस्ट और एक वनडे मुकाबला खेला, लेकिन कोचिंग में धमाल मचाया। वॉटमोर ने अंतरराष्ट्रीय कोचिंग करियर की शुरुआत श्रीलंका के साथ की थी। उन्हीं के कार्यकाल में श्रीलंका ने 1996 का विश्वकप जीता।
2003 से 2007 के बीच उन्हें बांग्लादेश का कोच बनाया गया। इसी दौरान बांग्लादेश ने 2005 में टेस्ट जीता था। वॉटमोर को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के साथ भी काम करने का मौका मिला। पाक के साथ दो साल के कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने उसे 2012 एशिया कप जिताया। इसके साथ ही उन्होंने आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स को भी कोचिंग दी।
3. डंकन फ्लेचर
जिम्बाब्वे को 1982 में आईसीसी ट्रॉफी दिलाने वाले डंकन फ्लेचर ने 1999 में इंग्लैंड के साथ कोचिंग करियर की शुरुआत की थी। उनके कोच रहते इंग्लैंड की टीम ने काफी तरक्की की। 2007 तक वे इंग्लैंड के साथ रहे और इस दौरान उन्होंने एशेज सीरीज में उसे 18 साल बाद जीत दिलाई। साथ ही उन्होंने 2007 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज में भी उसे जीत दिलाई।
उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के साथ भी काम किया। 27 अप्रैल 2011 को उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम की जिम्मेदारी मिली। उनके कार्यकाल में भारत ने आठ अंतरराष्ट्रीय सीरीज में जीत दर्ज की और इसमें 2013 चैंपियंस ट्रॉफी भी शामिल हैं।
2. गैरी कर्स्टन
गैरी कर्स्टन का नाम आते ही भारतीय क्रिकेट जगत का वो सुनहरा दौर याद आता है जब महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई और गैरी के मार्गदर्शन में टीम इंडिया लगातार जीत हासिल कर रही थी। दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट के इतिहास में एक जमाने में एकदिवसीयी मैैचों में सबसे ज्यादा (188) रन बनाने वाले कर्स्टन भारतीय टीम के लिए भाग्यशाली रहे।
उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय कोचिंग करियर की शुरुआत भारतीय टीम के साथ 1 मार्च 2008 में की। 2011 तक वे टीम के कोच रहे। इस दौरान भारत ने 2011 का विश्वकप जीता। इसके अलावा 2009 कॉम्पैक कप में भी जीत दर्ज की। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उन्होंने भारत को एक बेहतरीन कप्तान भी दिया। 2011 में उन्हें दक्षिण अफ्रीकी टीम का कोच बनाया गया।
1 जॉन बुकानन
जॉन बुकन्न के क्रिकेट इतिहास का सबसे सफल और सम्मानित कोच माना जाता है। क्वींसलैंड बुल्स के लिए लगभग पांच साल तक कोचिंग करने के बाद अक्टूबर 1999 में उन्हें ऑस्ट्रेलिया का कोच बनाया गया। उनके कार्यकाल के दौरान ऑस्टेलियाई टीम ने अंतरराष्ट्रीय सीरीज में जीत की झड़ी लगा दी।
उसने 2003 विश्वकप, 2007 विश्वकप, 2004 में भारतीय दौरे पर जीत के साथ 2006 की चैंपियंस ट्रॉफी भी अपने नाम की। उन्होंने इसके बाद 2009 तक आईपीएल की टीम कोलकाता नाइटराइडर्स को भी कोचिंग दी। 2010-11 के दौरान इंग्लैंड क्रिकेट ने उन्हें एशेज सीरीज के लिए सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया था।