पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने टीम में बने रहने के लिए यो-यो टेस्ट की आलोचना की है। उन्होंने सिर्फ इस टेस्ट को ही मैच खेलने का पैमाना बनाने पर कहा कि यह करना ठीक नहीं है। 1983 में विश्वकप जीतने वाले इस पूर्व ऑलराउंडर ने कहा कि खिलाड़ी अगर मैच में खेलने के लिए फिट है तो यो-यो टेस्ट की बाध्यता नहीं होनी चाहिए। टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत करते हुए कपिल देव ने कहा कि खिलाड़ी अगर मैच में फिट है तो उसके लिए कोई दूसरा पैमाना तय नहीं करके खिलाना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि फुटबॉल के महान खिलाड़ी डियागो माराडोना भी तेज नहीं थे लेकिन जब गेंद उनके पास होती थी तो वे भी तेज हो जाते थे। इस तरह क्रिकेट के मैदान पर भी फिटनेस के लिए खिलाड़ियों के अलग तरीके होते हैं। आगे कपिल देव ने कहा कि बल्लेबाज की तुलना में एक गेंदबाज यो-यो टेस्ट जल्दी पास कर लेता है लेकिन इसे ही अंतिम टेस्ट नहीं मानना चाहिए। यह मैदान पर आपके प्रदर्शन में नजर आता है तथा क्रिकेटर को मैदान पर प्रदर्शन के आधार पर ही परखा जाना चाहिए। पूर्व भारतीय ऑलराउंडर ने इसी क्रम को जारी रखते हुए एक और अहम बात कही कि वीवीएस लक्ष्मण, सौरव गांगुली और अनिल कुंबले इस स्तर के टेस्ट को पास ना कर पाते लेकिन भारत के श्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक बनकर निकले हैं। गौरतलब है कि इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में चुने गए अम्बाती रायडू को सिर्फ यो-यो टेस्ट पास नहीं करने की वजह से बाहर कर दिया गया। उनके स्थान पर सुरेश रैना को वन-डे टीम में जगह मिली है। भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए इस टेस्ट को ही अंतिम पैमाना बना दिया गया है। यही वजह रही कि तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी भी टीम इंडिया में शामिल नहीं किये का सके।