पाकिस्तान के इंग्लैंड दौरे पर अनुभवी बल्लेबाज युनिस खान से बहुत उम्मीदें बंधी हुई थी। मगर ओवल में संपन्न चौथे टेस्ट से पहले युनिस ने पहले तीन टेस्ट की छह पारियों में केवल 122 रन ही बनाए थे। आलोचक अनुभवी बल्लेबाज पर हमला बोलने के लिए तैयार थे जबकि साथी खिलाड़ियों के बीच भी उन्हें लेकर कुछ बातचीत होने लगी थी। समय निकलता जा रहा था और युनिस खान के लिए चौथा टेस्ट आखिरी मौका नजर आ रहा था। अगर वह इसमें प्रदर्शन करने में विफल रहते तो चयनकर्ताओं के निशाने पर जरुर आ जाते। इन सब मामलो से बेफिक्र 38 वर्षीय युनिस ने जादूई पारी खेली, जिसकी कई वर्षों तक चर्चा होगी। दिग्गज बल्लेबाज को अपनी उपयोगिता साबित करने में दो दिन का वक़्त लगा और इससे उनकी टीम को सबसे अधिक लाभ मिला। टेस्ट के दूसरे दिन युनिस 139 गेंदों में 100 रन बनाकर नाबाद रहे और अगले दिन उन्होंने 281 गेंदों में दोहरा शतक पूरा कर लिया। यह यूनिस और पाकिस्तान के लिए बहुत लाभदायक रहा। उनसे जब पूछा गया कि इस तरह समय पलटने में कामयाब कैसे रहे? तो युनिस ने जवाब दिया कि यासिर शाह ने जिस तरह इंग्लिश गेंदबाजों की गेंद अपने शरीर पर सही उससे उन्हें काफी प्रेरणा मिली। टीम भी अपनी साख बचाने के लिए मैदान पर थी। मगर इस बीच उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिससे सभी की नजरें उन पर जाना स्वाभाविक है। पाकिस्तानी बल्लेबाज ने कहा कि उन्होंने सीमा पार यानी भारत के एक बल्लेबाज से बातचीत की थी जिसकी मदद से वह दोहरा शतक लगाने में कामयाब हुए। मैच के बाद युनिस ने कहा, 'टेस्ट से पूर्व मुझे अजहर (मोहम्मद अजहरुद्दीन) भाई का कॉल आया जिन्होंने मुझे क्रीज पर स्थिर खड़े रहने की सलाह दी और इंग्लैंड में अपने अनुभव के बारे में भी बताया। इससे मुझे काफी मदद मिली और मैं अजहर भाई का शुक्रगुजार हूं कि उनकी सलाह से मुझे काफी मदद मिली।' पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का नाम सुनते ही एक पल की हैरानी होना लाजिमी है, लेकिन असलियत यह है कि मैदान से बाहर अजहर और यूनिस के बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं। यह भी सच है कि मैदान से बाहर खिलाड़ियों के बीच संबंध काफी अच्छे रहते हैं और अजहर व युनिस के बीच भी मामला कुछ ऐसा ही है। युनिस की पारी की मदद से पाकिस्तान ने अपने स्वंत्रता दिवस पर टेस्ट जीतकर देशवासियों को तोहफा दिया। पूर्व भारतीय कप्तान की सलाह बहुत ही सही समय पर पाकिस्तान के काम आई। दोनों देशों के बीच राजनितिक संबंध भले ही संवेदनशील हो, लेकिन अजहर की फोन पर बातचीत से बेहतर उपहार भारत शायद ही अपने पड़ोसी मुल्क को स्वंत्रता दिवस पर दे सकता था।