भारतीय बल्लेबाज युवराज सिंह को डॉक्टरेट यानि डॉक्टर ऑफ़ फिलोसोफी की मानद उपाधि से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान ग्वालियर की आईटीएम यूनिवर्सिटी की तरफ से दिया गया है। उन्हें खेल में असाधारण योगदान और महानता और अखंडता के साथ परिवर्तन लाने के प्रेरक के रूप में मानते हुए यह सम्मान दिया है।
युवराज ने सम्मान मिलने के बाद जवाब में कहा कि डॉक्टरेट से पाकर आदर महसूस कर रहा हूँ। यह मुझे एक अलग जिम्मेदारी देती है, इससे मैं जो भी करता हूँ, उसे निरंतर करते रहने की प्रेरणा मिलेगी। इससे पहले कई अन्य भारतीय खिलाड़ियों को भी इस तरह की मांड उपाधियों से नवाजा जा चुका है। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी को असम यूनिवर्सिटी और डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी की ओर से यह सम्मान मिल चुका है। हाल ही में बैंगलोर यूनिवर्सिटी ने राहुल द्रविड़ को भी डॉक्टरेट की डिग्री देने के लिए कहा था लेकिन द्रविड़ ने इसे लेने से मना कर दिया।
कैंसर से जंग जीतकर वापस लौटने के बाद युवराज ने एक नॉन-चैरिटी ट्रस्ट यूवीकैन फाउंडेशन की शुरुआत की, बोम्बे एक्ट 1950 के अंतर्गत आने वाले इस फाउंडेशन का क्रियान्वयन 2012 में शुरू हुआ था। इसमें कैंसर पीड़ितों के इलाज का खर्च उठाया जाता है।
जून में हुई आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद युवराज को टीम से बाहर कर दिया गया था और वे फिलहाल वापसी की भरसक कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वे बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में यो-यो टेस्ट देने की तैयारी कर रहे हैं। इस टेस्ट के पास होने पर ही उनकी टीम में वापसी का रास्ता खुलेगा।
युवराज सिंह ही वह खिलाड़ी है, जिन्होंने 2007 के टी20 विश्वकप और 2011 विश्वकप में भारत को खिताब दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई है। 2011 विश्वकप में कैंसर के बावजूद उन्होंने खेलते हुए अपने ऑलराउंड प्रदर्शन के बल पर मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट का पुरस्कार भी जीता।