हंबनटोटा में खेले गए पांचवें एकदिवसीय में ज़िम्बाब्वे ने श्रीलंका को 3 विकेट से हराकर इतिहास रच दिया। ज़िम्बाब्वे ने पहली बार श्रीलंका को किसी एकदिवसीय सीरीज में हराया है। मेहमान ज़िम्बाब्वे ने मेजबान श्रीलंका को उन्हीं के घर में पांच मैचों की सीरीज में 3-2 से हराया। श्रीलंका ने सिर्फ 203/ स्कोर बनाया था, जिसे ज़िम्बाब्वे ने सात विकेट खोकर 39वें ओवर में हासिल कर लिया। मैच में बेहतरीन ऑलराउंड प्रदर्शन करने वाले सिकंदर रज़ा (3 विकेट एवं 27*) को मैन ऑफ़ द मैच और सीरीज में 258 रन बनाने वाले हैमिलटन मासाकाद्ज़ा को मैन ऑफ़ द सीरीज चुना गया। ज़िम्बाब्वे ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का निर्णय लिया और ये फैसला बिलकुल सही साबित हुआ। नौवें ओवर में ही 31 के स्कोर तक श्रीलंका के तीन बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे। दनुष्का गुनातिलका ने 52 रनों की पारी खेली और कप्तान एंजेलो मैथ्यूज (24) के साथ टीम को सम्भालने की कोशिश की, लेकिन ज़िम्बाब्वे के गेंदबाजों ने फिर से शानदार वापसी की और कुछ ही देर में श्रीलंका की पारी काफी मुश्किल में दिखने लगी। 35वें ओवर में स्कोर 126/7 और 42वें ओवर में 153/8 हो चुका था। असेला गुनारत्ने ने 59 रनों की पारी खेलकर टीम को 200 के पार पहुँचाया। उन्होंने दुश्मांथा चमीरा (18*) के साथ नौवें विकेट के लिए 50 रन जोड़े। ज़िम्बाब्वे की तरफ से सिकंदर रज़ा ने सबसे ज्यादा 3 विकेट लिए। कप्तान ग्रेम क्रीमर ने 2, टेंडाई चटारा, शॉन विलियम्स और मैलकम वॉलर ने 1-1 विकेट लिया। लक्ष्य के जवाब में हैमिलटन मासाकाद्ज़ा (73) और सोलोमन मीरे (43) ने 92 रनों की जबरदस्त शुरुआत दी, लेकिन 24वें ओवर में 137 के स्कोर पर मासाकाद्ज़ा के आउट होने के बाद श्रीलंका ने वापसी करने की कोशिश की। 35वें ओवर में ज़िम्बाब्वे का स्कोर 175/7 हो गया था और मैच काफी रोमांचक स्थिति में थी। यहाँ सिकंदर रज़ा ने 27 रनों की बेहद कीमती पारी खेली और ग्रेम क्रीमर के साथ मिलकर टीम को ऐतिहासिक जीत दिला दी। श्रीलंका की तरफ से अकिला धनंजय ने 4 विकेट लिए, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके। मलिंगा ने भी 2 और असेला गुनारत्ने ने 1 विकेट लिया। किसी भी टेस्ट देश के खिलाफ ज़िम्बाब्वे की ये चार सालों में पहली सीरीज जीत है, वहीं अपने देश से बाहर आठ सालों में ये उनकी पहली सीरीज जीत है। स्कोरकार्ड: श्रीलंका: 203/8 (असेला गुनारत्ने 59*, सिकंदर रज़ा 3/21) ज़िम्बाब्वे: 204/7 (हैमिलटन मासाकाद्ज़ा 73, अकिला धनंजय 4/47)