अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। आईसीसी की वार्षिक बैठक में सर्वसम्मति के साथ उस पर सुशासन के सिद्धांतों का पालन ना करने का आरोप लगाते हुए फैसला किया गया है। इसको लेकर परिषद ने आधिकारिक बयान जारी कर दिया है। जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड सरकारी हस्तक्षेप को खत्म करने में नाकाम रहा था, जिस वजह से उस पर यह कार्रवाई की गई।
आईसीसी अध्यक्ष शशांक मनोहर ने कहा कि हम किसी भी सदस्य को निलंबित करने के फैसले को साधारण रूप से नहीं लेते हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए अपने खेल को राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखा जाए। जिम्बाब्वे में जो हुआ है, वो आईसीसी संविधान का एक गंभीर उल्लंघन है। हम इसे अब अनियंत्रित तरीके से जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकते हैं। हम चाहते हैं कि आईसीसी संविधान के तहत जिम्बाब्वे में क्रिकेट जारी रहे।
हाल ही में सरकार के खेल एवं मनोरंजन आयोग ने जिम्बाब्वे क्रिकेट को संवैधानिक नियमों का उल्लघंन करने के लिए निलंबित कर दिया था। आईसीसी के कड़े फैसले के बाद अब जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड की फंडिंग को रोक दिया जाएगा और देश की प्रतिनिधि टीमों को आईसीसी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। ऐसे में जिम्बाब्वे की टी-20 वर्ल्ड कप क्वालिफायर को लेकर भागीदारी भी खतरे में पड़ जाएगी। बैठक में साफ किया गया कि जिम्बाब्वे क्रिकेट लोकतांत्रिक तरीके से निष्पक्ष चुनाव कराने का माहौल तैयार करने के साथ ही क्रिकेट के प्रशासन में सरकार के दखल को दूर करने में नाकाम साबित हुआ है।
धीमी ओवर गति के लिए सिर्फ कप्तान ही जिम्मेदार नहीं होगा
आईसीसी की वार्षिक बैठक के दौरान कुछ और फैसले भी लिए गए। इसमें स्लो ओवर रेट के कारण केवल टीम के कप्तान को ही जिम्मेदार नहीं माना जाएगा। नए फैसले के मुताबिक, कप्तान के अलावा टीम के सभी खिलाड़ी भी उतने ही जिम्मेदार होंगे।
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