अगले हफ्ते शुरू हो रहे 2016 कबड्डी विश्व कप में भारत के कुछ महानतम खिलाड़ी अपना दम-ख़म दिखाएंगे। प्रो कबड्डी लीग के बाद अब इस टूर्नामेंट में भी भारत के कबड्डी फैन्स दुनिया के श्रेष्ठ कबड्डी सितारों के प्रदर्शन का आनंद ले पाएँगे। ये विश्व कप 7 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक इस बार अहमदाबाद, गुजरात के द एरीना बाय ट्रांसस्टेडियम में खेला जाना है। भारत के पास कबड्डी के इतने प्रतिभावान सितारे हैं कि स्टार खिलाड़ियों की बहुलता ही यहाँ दुविधा का सबब है। कड़े परिश्रम के बाद विश्व कप के लिए 14 प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का चयन किया गया पर दुर्भाग्यवश कुछ अच्छे खिलाड़ी आगामी टूर्नामेंट में अपनी जगह नहीं बना पाए। स्पोर्ट्सकीड़ा के मुताबिक़ ये 5 ऐसे खिलाडी हैं जिन्होंने प्रो कबड्डी लीग के चौथे संस्करण में अच्छा प्रदर्शन तो किया पर इस टूर्नामेंट में अपनी जगह सुनिश्चित नहीं कर सके। #5 अमित हूडा हाल ही में समाप्त हुई प्रो कबड्डी लीग में ये 20 वर्षीय खिलाड़ी यकीनन सर्वश्रेष्ठ डिफेंडर रहा। अपने नाम 47 टैकल पॉइंट्स के साथ हूडा लीडर बोर्ड के टॉप पर रहे। जयपुर पिंक पैंथर्स का पक्ष लीग में मज़बूत रखते हुए अमित ने दिखाया कि वे हैं भारतीय कबड्डी का उजला भविष्य। बाज जैसी दृष्टि के साथ हूडा इस चतुराई से टैकल करते हैं कि रेडर कुछ समझे इससे पहले अंक हूडा की झोली में होता है। किसी भी डिफेंडर के लिए ज़रूरी है चपलता और गति, और अमित इसके धनी हैं। अपनी मौजूदा फॉर्म के आधार पर वे भारतीय सात में जगह पाने का पूरे हकदार थे। #4 सचिन शिंगाड़े एक और ज़बरदस्त खिलाड़ी जो इस बार भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाया वो है सचिन शिगाड़े। इस लेफ्ट कार्नर ने कबड्डी को पिछले एक साल में एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। लेफ्ट कार्नर से खेलते हुए इस डिफेंडर के नाम अबतक प्रो कबड्डी लीग में 39 टैकल पॉइंट्स हैं। 5 सुपर टैकल्स के साथ सचिन शिगाड़े से ऊपर सूची में सिर्फ 3 ही ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने सचिन से ज्यादा सुपर टैकल्स किये हैं। हालांकि दिल्ली के लिए ये सीज़न भुला देने वाला था पर सचिन शिगाड़े एक ऐसा सितारा था जो टीम में सब कुछ गलत होते रहने के बावजूद भी अपने खेल में नयेपन और कौशल के कारण खूब चमका। #3 रोहित कुमार रोहित कुमार का टीम में जगह न बना पाना सबसे चौंकाने वाला था। इनके चयनित न होने पर सबसे बड़ा और लाजिम सवाल तो ये उठता है कि ये चयन खिलाड़ी की फॉर्म को ध्यान में रख कर किया गया या प्रधानता अनुभव को दी गयी? क्योंकि अगर फॉर्म को ध्यान रखा जाए तो रोहित का नाम सूची में प्रथम स्थान पर आता है। रोहित के नाम लीग में प्रति मैच 5 रेड की औसत से कुल 93 रेड पॉइंट्स (लीग में चौथा स्थान) का ज़बरदस्त आंकड़ा है. रोहित के साथ कुल मिला कर लीग में सिर्फ तीन ही रेडर्स हैं जिनका प्रति मैच 5 रेड्स का औसत है. रोहित ने कई बार अकेले दम पर बेंगलुरु बुल्स को जीत दिलाई है और उसकी डूबती नय्या को पार लगाया है। #2 रविंदर पहल जब इस साल प्रो कबड्डी लीग शुरू हुई थी तब पुणे के कोच ने ये माना था कि रविंदर पहल का फॉर्म चिंता का विषय है और अगर ज़रूरत पड़ी तो वे पहल की जगह किसी और खिलाड़ी को टीम में जगह देना चाहेंगे। पर जैसे जैसे सीजन ने प्रगति की, हमने देखा कि रविंदर पहल भी बढ़ते गए। एक के बाद एक लगातार हर मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए पुणे की सेमी-फाइनल में जगह पक्की करने में पहल का अहम योगदान रहा। पहल के टूर्नामेंट में 37 टैकल पॉइंट्स रहे। राईट कार्नर से खेलते हुए उनकी शुरुआत ज़रूर धीमी हुई थी पर टूर्नामेंट के ख़तम होते-होते पहल ने कुछ ज़बरदस्त टैकल्स का मुजायरा पेश किया। आलोचक उनकी इनकंसिस्टेंट फॉर्म को चिंता का विषय ज़रूर बताते हैं पर कोच बलवान सिंह सिर्फ इनकी शानदार रक्षात्मक क्षमता के आधार पर ही इन्हें टीम में रखने का रिस्क उठा सकते थे। #1 रिशांक देवाडिगा यू मुम्बा के ये स्टार रेडर इस टूर्नामेंट में टीम में जगह न मिलने पर ज़रूर निराश होंगे. लीग के पिछले सत्र में रिशांक ने अविश्वसनीय 100 रेड पॉइंट्स के साथ उत्कृष्ट खेल दिखाया था। इस सत्र में, उनके नाम 70 रेड पॉइंट्स रहे. ये ज़रूर उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं था पर उन्होंने अपने खेल से ये ज़रूर दिखाया कि क्यों यू मुम्बा ने उन्हें इस बार भी टीम में रीटेन किया। खेल में निरंतरता की कमी ज़रूर इस मराठी खिलाड़ी की परेशानी का सबब है पर 22 साल के रिशांक धीरे-धीरे प्रगति पथ पर अग्रसर हैं। अगर वो टीम का हिस्सा होते तो ज़रूर टीम के लिए अमूल्य साबित होते। इनका आक्रामक रुख और प्रभावशाली खेल इस टूर्नामेंट में कबड्डी फैन्स और क्रिटिक्स दोनों के लिये देखने लायक होता।