कबड्डी विश्व कप 2016 में भारत ने अपना दूसरा मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला और आसन जीत दर्ज की। भारतीय कबड्डी टीम को, जो इस खेल की दिग्गज टीम मानी जाती रही है, अपने पहले ही मैच में दक्षिण कोरिया से हार का सामना करना पड़ा था और ये हमारी अंतररास्ट्रीय प्रतियोगिताओं में केवल दूसरी हार थी। हालांकि, शनिवार रात की कहानी एकदम अलग रही। पिछले मैच की गलतियों को न दोहराते हुए, इस बार भारतीय टीम शुरू से ही सजगता से खेली और खेल पर अपनी पकड़ मजबूत रखी और अंततः ऑस्ट्रेलियाई टीम को 34 अंकों के बड़े फासले के साथ हराने में कामयाब रही। #1 शुरुआती लाइन-अप में बदलाव और सतत प्रतिस्थापन पिछले मैच में खिलाई गयी टीम में महत्वपूर्ण बदलाव किये गए और इस मैच के लिए मोहित छिल्लर के स्थान पर ऑलराउंडर प्रदीप नरवाल को टीम में जगह दी गई। राहुल चौधरी जो कि पिछले मैच में पूरी तरह से विफल रहे थे, उनके स्थान पर इस बार पटना पाइरेट्स के युवा रेडर प्रदीप नरवाल को मौका दिया गया। जसवीर सिंह, जो कि कबड्डी के वेटेरन खिलाड़ी हैं, उन्हें भी बेंच पर वापस भेजा गया और उनके स्थान पर आक्रामक ऑलराउंडर दीपक हूडा को खिलाया गया। हालांकि, शुरुआत में ही अंकों की बड़ी लीड मिल जाने से फायदा ये रहा कि खेल के दौरान बेंच पर बैठे खिलाड़ियों जैसे अजय ठाकुर, नितिन तोमर, किरण परमार, सुरेंद्र नाडा और राहुल चौधरी को भी समय -समय पर दूसरे खिलाड़ियों से प्रस्थापित किया जाता रहा ताकि उन्हें भी अपनी क्षमताएं आंकने और साबित करने का मौका मिले। #2 भारत का शुरू से ही रहा बोलबाला डिफेन्स का नेतृत्व संदीप नरवाल, सुरजीत और मंजीत छिल्लर ने शुरू से ही बखूबी संभाला, ऑस्ट्रेलियाई रेडर्स को कभी भी हावी नहीं होने दिया गया और भारत पहले ही हाफ में सुपर फाइव का स्कोर करने में कामयाब रहा। कभी-कभार मिलने वाले बोनस अंकों के सिवा भारतीय खिलाडियों ने यह सुनिश्चित किया कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को, जिनमें ऑस्ट्रेलियाई कप्तान कैम्पबेल ब्राउन, कुलदीप सिंह और कनिंघम भी शामिल रहे, मुफ्त में कोई भी अंक न दिया जाए। जहाँ तक भारतीय खिलाड़ियों की बात की जाए, न सिर्फ अधिकतर रेड्स सफल रहीं, बल्कि भारतीय खिलाडी पूरे खेल के दौरान कई बोनस अंक लेने में भी सफल रहे, क्योंकि भारतीयों के आक्रामक तेवर देख ऑस्ट्रेलियाई डिफेन्स ने उन्हें रोकने की कोई खास कोशिश नहीं की। हाफ -टाइम के बाद, अपनी ज़बरदस्त रेड्स और मज़बूत डिफेन्स के दम पर, भारत के खाते में 25 अंकों की विशाल लीड थी। #3 बार-बार होते रहे ऑलआउट्स ने ऑस्ट्रेलिया की नैय्या डुबाई भारतीय खिलाड़ियों ने ऑस्ट्रेलिया की अनुभवहीनता को बखूबी भुनाते हुए,एक बार नहीं, कई-कई बार ऑस्ट्रेलियाई टीम को ऑलआउट किया जिससे उनका पक्ष कमज़ोर होता गया। पांचवे मिनट में ही पहला ऑलआउट देखने को मिला और उसके साथ ही भारत ने अपनी लीड 10-0 कर ली थी। जैसे -जैसे खेल प्रगति करता गया, भारतीयों की झोली में अंक भी बढ़ते गए और अनूप कुमार और कम्पनी के लिए दूसरे ऑलआउट का मौका 11वें मिनट में आया जिसके बाद मेजबान टीम के पक्ष में स्कोर 20-2 का था। ऑलआउट्स का सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं हुआ, ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को दुसरे हाफ के शुरुआत में ही तीसरा ऑलआउट भी झेलना पड़ा और भारतीय टीम का स्कोर 30 अंकों की बढ़त के साथ 37-7 तक जा पहुंचा। जहाँ भारत पर कोरिया के खिलाफ अपने पहले मैच में अंत तक दबाव रहा था, इस मैच में भारत ने ये सुनिश्चित किया कि लीड-अंकों का फासला कम न होने पाए, और इस मैच में सोची समझी रणनीति के साथ शांत चित्त से भारत ने गेम की पेस को धीमा किया। चौथा और अंतिम ऑलआउट 36वें मिनट में देखने को मिला जिसके साथ स्कोर 49-15 हो गया, यहाँ से ऑस्ट्रेलिया का खेल में वापस आना नामुमकिन था। #4 भारतीय रेडर्स ने किया कमाल, ऑस्ट्रेलिया को टैकल में नहीं मिला एक भी अंक कोरिया के खिलाफ मैच में भी रेडर्स का प्रदर्शन देखने लायक था पर अंत में कुछ गलतियों की वजह से हमें मैच गंवाना पड़ा। पर इस बार तो रेडर्स ने समां बाँध दिया। एक समय तो ऐसा था की टीम में 7 में से 6 खिलाड़ी रेड में अंक ला रहे थे, और डिफेंडर के नाम पर टीम में सिर्फ सुरेन्द्र नाडा थे। सभी रेडर्स एक होकर खेलते दिखे। अजय ठाकुर के खाते में आये 7 अंक, युवा प्रदीप नरवाल ने 6 अंक अपने नाम किये, राहुल चौधरी भी 6 अंक लाने में कामयाब रहे और किरण परमार, संदीप नरवाल और नितिन तोमर का भी इस जीत में योगदान रहा। ये जीत आने वाले मुकाबलों के लिए टीम का मनोबल बढाने में ज़रूर अहम साबित होगी। भारत की तरफ से इस आक्रामक खेल के कारण सबसे महत्वपूर्ण बात यह हुई कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को इस मैच में एक भी टैकल अंक जीतना नसीब नहीं हुआ। #5 भारतीय टीम में दिखी एकजुटता, डिफेन्स अभी भी चिंता का विषय भारतीय टीम इस मुकाबले में एकजुट दिखी। पहले ही मिनट से भारतीय रेडर्स को रोकना नामुमकिन था पर कई बार डिफेंस में कई मूर्खतापूर्ण गलतियों से हमने अंक गँवाए। भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी कुलदीप सिंह 7 अंक लेने में कामयाब रहे, कप्तान कैंपबेल ब्राउन भी अपनी टीम को 6 अंक दिलाने में सफल रहे और थॉमस शार्प ने भी अपनी रेड्स से 4 अंक कमाए। इनमें से कई अंक बचाए जा सकते थे, अगर डिफेंस और अधिक चुस्त होता। जब तक मंजीत छिल्लर मैदान पर थे, उन्होंने सुनिश्चित किया कि प्रतिद्वंदियों के खाते में एक भी मुफ्त का अंक न जाए। उनके प्रतिस्थापन के साथ ही, आसानी से बोनस अंक दिए गए, जिसका प्रभाव अंततः ऑस्ट्रेलिया की झोली में 20 रेड अंकों के रूप में साफ़ दिखाई दिया। हालांकि, डिफेन्स के क्षेत्र में अभी भी सुधार की ज़रुरत है। इस जीत के साथ भारत पूल 'ए' में शीर्ष स्थान पाने में कामयाब रहा है।