कबड्डी विश्व कप के बारे में पांच तथ्य जो आपको मालूम होने चाहिए

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कबड्डी विश्व कप में भारत सभी की पसंदीदा टीम है और इसके लगातार तीसरी बार जीतने की उम्मीदें की जा रही है। कबड्डी विश्व कप कबड्डी के खेल में सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है। कबड्डी विश्व कप के तीसरे संस्करण को भारत होस्ट कर रहा है जो कि अगले महीने अहमदाबाद के "द अरेना बाय ट्रांसस्टेडिया" में होने जा रहा है। इस टूर्नामेंट में कुल 12 अंतरराष्ट्रीय टीमें हैं जिनमे शामिल हैं - भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, केन्या, इरान, इंग्लैंड, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका, थाइलैंड, बांग्लादेश, पोलैंड और अर्जेंटीना। यह सब टीमें वर्ल्ड टाइटल के लिए मुकाबला करेंगी। भारत पिछले दो बार से कबड्डी विश्व कप का विजेता रहा है। अब फिर एक और जीत के साथ खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए भारत अपने पहले मुकाबले के लिए दक्षिण कोरिया के खिलाफ 7 अक्टूबर को मैदान में उतर रहा है। इससे पहले कि यह टूर्नामेंट शुरू हो, आइये जानते हैं इसके बारे में कुछ दिलचस्प तथ्यों को। #1 खेल का प्रारम्भ यह खेल पहले तमिलनाडु में खेला जाता था। कबड्डी विश्व कप खेलों में एक प्रसिद्ध इवेंट है और एशियाइ देशों में एक ख्याति प्राप्त खेल है।हालांकि आज यह खेल सभी कॉन्टिनेंट के देशों में खेला जाता है पर इस खेल का प्रारम्भ बहुत पहले तमिलनाडु में हुआ था और यह एक तमिल शब्द " काई पीडी" जिसका मतलब है हाथों को पकड़ना। यह खेल एक फिजीकल कॉन्टैक्ट वाला खेल है जो दो टीमों के बीच मिट्टी में या फिर कोर्ट में खेला जाता है। सबसे दिलचस्प बात है कि इसमें हिस्सा लेने वाले खिलाडी बलवान, शक्तिपूर्ण और चुस्त होते हैं। उनकी शक्ति का अंदाजा केवल उनके दौड़ने की क्षमता से नहीं बल्कि उनकी तेज़ी से भी किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह खेल 4000 साल पहले भी खेला जाता था। पर समय के साथ यह खेल USA और यूरोप की विभिन्न जगहों तक पहुच गया । #2 यह फॉर्मेट सर्कल फॉर्मेट से थोड़ा अलग है। 2 सर्कल फॉर्मेट को बाहर ग्राउंड में या फिर मिट्टी में खेल जाता है। कबड्डी के दो मुख्य फॉर्मेट हैं -एक है "अंतरराष्ट्रीय रूल्स वाली कबड्डी" जो कि इस बार के विश्व कप में देखी जाएगी। दूसरा है "सर्कल स्टाइल कबड्डी" जो कि ज्यादातर पंजाब में देखी जाती है।हालांकि दोनों फॉर्मेट की मुख्य विशेषताएं एक ही जैसी हैं, मगर दोनों के नियमों में अंतर होता है। अंतरराष्ट्रीय रूल्स वाली कबड्डी में एक (13 X 10 ) मीटर्स का समकोण कोर्ट का इस्तमाल होता है जबकि सर्कल स्टाइल कबड्डी रेती या मिट्टी में खेली जाती है और इसमें एक सर्कुलर पिच होती है जिसका रेडियस 11 मीटर्स होता है। दोनों ही फॉर्मेट के अपने अलग अलग विश्व कप होते हैं इसीलिए आप इस विश्व कप को भ्रमित होकर सर्कल स्टाइल कबड्डी का विश्व कप ना समझें। सर्कल स्टाइल कबड्डी का विश्व कप भी भारत में लकभग हर साल होता है। पुराने समय में भारत में तीन स्टाइल्स होते थे - अमर, संजीवनी और गमिनी। मगर आधुनिक कबड्डी इन तीनो स्टाइल्स का मिश्रण है जो कि रूल्स के कुछ बदलाव के साथ खेला जाता है। #3 कबड्डी बंगलादेश का राष्ट्रीय खेल है। 3 बांग्लादेश ने कबड्डी को अपना राष्ट्रीय खेल चुना है। आप जानते हैं कि कबड्डी का खेल तमिल नाडु से शुरू हुआ था मगर धीरे धीरे यह खेल दुनिया के विभिन्न अंगों में फैल गया। 90 के दषक में कुछ ही देशों में यह खेल खेला जाता था मगर सदी के नजदीक आते ही यह खेल कई देशों में लोकप्रिय हो गया। यह खेल आज कई देशों में खेला जाता है जिस कतार में भारत सबसे आगे है। भारत के पड़ोसी देशों ने भी सहायक बनकर इसे काफी दिलचस्प बनाया है जैसा कि आप जानते हैं की बांग्लादेश ने भी कबड्डी को अपना राष्ट्रीय खेल बना लिया है। पाकिस्तान का नाम भी उन देशो में है जो कबड्डी में अच्छा प्रदर्शन दिखाता है। बदकिस्मती से पाकिस्तान के साथ भारत के खराब रिश्ते के चलते इस बार पाकिस्तान विश्व कप में शामिल नहीं हो पाएगा। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पंजाब ने इस खेल को राज्य खेल के रूप में घोषित किया है जिससे इस खेल को एक पहचान मिलेगी और ज्यादा से ज्यादा लोग इसका पालन भी करेंगे। #4 यह कबड्डी विश्व कप का केवल तीसरा संस्करण है 4 भारत ने पिछले दो कबड्डी विश्व कप में जीत हासिल की है। आपको बता दें कि कबड्डी विश्व कप इस बार से पहले केवल दो ही बार हुआ है। सबसे पहला विश्व कप 2004 में हुआ था उसके बाद दूसरा विश्व कप 2007 में हुआ। अंतरराष्ट्रीय कबड्डी फेडरेशन ने फिर कबड्डी विश्व कप को अन्य विश्व कप (फुटबॉल, क्रिकेट आदि) की तरह ही करवाने का फैसला किया। अंतरराष्ट्रीय कबड्डी फेडरेशन ने हर चार साल में एक विश्व कप करवाने का फैसला लिया। उस हिसाब से तीसरा विश्व कप 2011 में होने वाला था मगर फिर यह पोस्टपोन कर दिया गया। इसके बाद विश्व कप को 2015 में पंजाब में कराने का फैसला किया मगर पंजाब में चल रही सामाजिक अशांति के चलते 2016 को गुजरात राज्य में पुनर्निर्धारित किया गया। यह खेल 1990 से एशियाई गेम्स में खेला जाता है जिसमे भारत ने 7 गोल्ड मेडल्स जीते हैं और अभी नंबर 1 के पद में है। बांग्लादेश 3 सिल्वर मैडल जीत के दुसरे पद में है। टूर्नामेंट जैसे कि एशिया कबड्डी कप भी आयोजित किये जाते हैं जो कि पहले इरान में 2011 में हुआ था। इसके बाद 2012 में लाहौर, पाकिस्तान में हुआ जिसमें मेजबान ने भारत को फाइनल्स में हराया था। #5 इस खेल का फॉर्मेट 5 इस खेल का फॉर्मेट सर्कल फॉर्मेट से अलग है। अगर आप इस खेल को पहली बार भी देख रही हैं तो भी इस खेल को समझना आपके लिए आसान है। इस खेल में दो टीमें होती है जिसमें 10 -12 खिलाड़ी होते हैं जिसमें से 7 खिलाड़ी ही मैट में होते हैं बाकी 5 खिलाडी सब्स्टीट्यूट होते हैं। हर खेल काम से काम 40 मिनट का होता है जो 20 मिनट के दो भागों में होता है। हाफ टाइम ब्रेक के बाद खेलने वाले 7 खिलाड़ियों को सब्स्टीट्यूट से बदला जा सकता है। इस खेल में एक टीम से एक खिलाड़ी " कबड्डी कबड्डी " कि बांग देते हुए जाता है और दूसरी टीम केखिलाड़ियों को छूकर वापस आकर अगर बनी हुई दोनों लकीरों में से एक को भी हाथ लगाने में सक्षम होता है तो उसे पॉइंट मिलता है। अगर वह खिलाड़ी लकीर को हाथ लगाने में सक्षम नहीं हो पाता है तो प्रतिद्वंदी टीम को पॉइंट मिलता है और वह खिलाड़ी आउट हो जाता है।अगर एक टीम ने प्रतिद्वंदी टीम के सभी खिलाड़ी को आउट करदिया तो उस टीम को 2 पॉइंट मिलते हैं। अंत में जिस टीम के पास सबसे ज्यादा पॉइंट होते हैं, वह विजेता घोषित की जाती है।

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