सर्कल फॉर्मेट को बाहर ग्राउंड में या फिर मिट्टी में खेल जाता है। कबड्डी के दो मुख्य फॉर्मेट हैं -एक है "अंतरराष्ट्रीय रूल्स वाली कबड्डी" जो कि इस बार के विश्व कप में देखी जाएगी। दूसरा है "सर्कल स्टाइल कबड्डी" जो कि ज्यादातर पंजाब में देखी जाती है।हालांकि दोनों फॉर्मेट की मुख्य विशेषताएं एक ही जैसी हैं, मगर दोनों के नियमों में अंतर होता है। अंतरराष्ट्रीय रूल्स वाली कबड्डी में एक (13 X 10 ) मीटर्स का समकोण कोर्ट का इस्तमाल होता है जबकि सर्कल स्टाइल कबड्डी रेती या मिट्टी में खेली जाती है और इसमें एक सर्कुलर पिच होती है जिसका रेडियस 11 मीटर्स होता है। दोनों ही फॉर्मेट के अपने अलग अलग विश्व कप होते हैं इसीलिए आप इस विश्व कप को भ्रमित होकर सर्कल स्टाइल कबड्डी का विश्व कप ना समझें। सर्कल स्टाइल कबड्डी का विश्व कप भी भारत में लकभग हर साल होता है। पुराने समय में भारत में तीन स्टाइल्स होते थे - अमर, संजीवनी और गमिनी। मगर आधुनिक कबड्डी इन तीनो स्टाइल्स का मिश्रण है जो कि रूल्स के कुछ बदलाव के साथ खेला जाता है।