एकेडमिक में शानदार प्रदर्शन करने वाले दीपक के लिए कबड्डी उनकी पहली पसंद नहीं थी बल्कि अपने परिवार की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर उठाने के लिए उन्होंने कबड्डी को खेलना प्रारंभ किया। एक समय ऐसा भी था जब वह सुबह सुबह अंधेरे में तीन घंटे की प्रैक्टिस के लिए जाया करते थे। जिसके बाद खेतों पर काम करते थे और वहीं दोपहर में वह लोकल स्कूल में पढ़ाने को जाते थे व अंत में शाम को घर आकर फिर से 3-4 घंटे की प्रैक्टिस किया करते थे। लोकल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर वह कुछ पैसे कमाते थे जिसे वह अपनी बहन और दो बच्चों की सहायता को देते थे। अपनी कबड्डी की प्रतिभा को और निखारने के लिए वह हर रोज़ गांव से 30 किलोमीटर दूर प्रैक्टिस के लिए जाते थे। लेकिन कहते है ना किस्मत भी बहादुरों का साथ देती है। दीपक को उनकी मेहनत का फल तब मिला जब अजय ठाकुर की मदद से एयर इंडिया ने उन्हें भर्ती कर लिया फिर उनकी मेहनत ने उन्हें प्रो कबड्डी लीग में पहुंचा दिया। वह ऐसे 8 खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्हें अपनी टीम ने अपने ही पास बरकरार रखा है और वह एक बार फिर से पुनेरी पलटन की तरफ से खेलेंगे।