करियर के इस पड़ाव में अजय ठाकुर की आदत बन चुकी है कि वह फैंस से घिरे रहते हैं और ऑटोग्राफ व सेल्फी की मांग पूरी करते रहते हैं। 2016 कबड्डी विश्व कप फाइनल के हीरो अजय ठाकुर ने कई बार ध्यान दिलाया कि वह आराध्य में कैसे प्रकट होता है। वही फैंस आज भी अजय ठाकुर को पहचानते हैं। अब अजय ठाकुर के चेहरे पर मास्क होता है, उनके शरीर पर कबड्डी के बजाय पुलिस की वर्दी होती है। मगर फैंस उनके पास जाते हैं। तब हिमाचल प्रदेश के डीएसपी सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए खुद को एक कदम पीछे खींच लेते हैं।
अजय ठाकुर ने आखिरी बार फरवरी में कबड्डी मैच की तैयारी की थी। तब अजय ठाकुर ने राज्य चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था जहां उन्हें सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर का खिताब मिला था। तब से अजय ठाकुर की ड्रेस खेल जर्सी के बजाय हिमाचल प्रदेश पुलिस सर्विस की वर्दी में बदल चुकी है। कोरोना वायरस महामारी के कारण 34 साल के अजय ठाकुर को हिमाचल प्रदेश में पोस्टिंग दी गई। वह सड़कों पर पट्रोलिंग करते हुए नजर आते हैं या फिर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में प्रयास करते हुए दिखते हैं। अजय ठाकुर के दिमाग में आखिरी बात कबड्डी आती है।
कबड्डी स्टार अजय ठाकुर के मन में हमेशा एक डर बैठा रहा
अजय ठाकुर ने कहा, 'यह हमारे जैसे उम्रदराज खिलाड़ियों के लिए बड़ा नुकसान है, जिनका करियर पांच साल से भी कम का बचा है। सबसे बड़ी चीज यह रही कि हमें कबड्डी बिलकुल खेलने को नहीं मिली। मगर एक बात का डर हमेशा लगा रहा कि यार, मुझे भी कोरोना वायरस तो नहीं हुआ?' कबड्डी की मैट पर अजय ठाकुर का लक्ष्य विरोधी खेमे को झकझोंरने के बाद अपने पाले में लौटना होता है। मार्च के बाद से अजय ठाकुर पुलिस की भूमिका में हैं और वह लोगों को बिना जरूरी काम के घर से निकलने से रोकते हैं।
अजय ठाकुर ने कहा, 'सबसे मुश्किल चीज प्रवासी मजदूरों से बात करना था, जिन्हें क्वारंटीन होने के लिए अपने घर लौटना था। मैं सुबह जल्दी उठकर निकल जाता था और रात 11 बजे या कभी देर 2 बजे घर लौटता था। यह वो लोग थे, जो दिन के किसी भी समय निकलते थे। लोग असल में आधी रात निकलना पसंद करते थे, तो यह हमारे लिए 24 घंटे की नौकरी थी।'
34 साल के पूर्व भारतीय कप्तान, अर्जुन अवॉर्डी, एशियाई गेम्स गोल्ड (2014) और ब्रॉन्ज (2018) व पद्म श्री अजय ठाकुर ने प्रो कबड्डी लीग के आठ सीजन में शिरकत की। इस साल उनका ज्यादा समय पुलिस की नौकरी में गया। बिलासपुर की गर्मी में उनका क्या हाल हुआ, इसका अनुभव उन्होंने साझा किया। अजय ठाकुर ने कहा, 'फोर्स में मेरे लिए बड़ा मुश्किल समय था और मैं अभी भी शारीरिक रूप से इससे उबर रहा हूं।' दुनियाभर में खेल गतिविधियां शुरू हुई हैं। मगर कबड्डी में छुना पड़ता है, इसलिए यह शुरू नहीं हो पा रही है।
अजय ठाकुर ने कहा, 'जब मैंने पिछले साल अर्जुन अवॉर्ड जीता तो विश्वास था कि अगले तीन साल खेल पाऊंगा। मैं अब भी तीन साल खेलना चाहता हूं, लेकिन फिट रहना मुश्किल है। यह उम्र के कारण नहीं है। जब मैं 18 साल का था, तब परिवार की कोई जिम्मेदारी मेरे पर नहीं थी। अभी सभी जिम्मेदारी मुझ पर है। इससे दूर भागना मुश्किल है। उम्र आपको नहीं झुकाती, जिम्मेदारी झुकाती है।'