आपको खेल के नये रोमांच से परिचय कराने के लिए 28 जुलाई से शुरू हो चुका है प्रो कबड्डी लीग का पांचवां सीजन, जो अब तक के सारे सीजन से ज्यादा भव्य और ज्यादा बड़ा होने वाला है। आपको इस बार चार नई टीमों का जलवा देखने को मिलेगा। यूपी योद्धा, तमिल थलाइवाज, हरियाणा स्टीलर्स और गुजरात फार्चून जाइंट्स की टीम इस बार बाकी आठ टीमों से पहली बार लोहा लेते दिखेंगी। सभी टीमों के लिए खिलाड़ियों की नीलामी मई में हुई थी। नीलामी के दौरान से 400 से अधिक खिलाड़ियों को 46.99 करोड़ रुपये में टीम मालिकों ने खरीदा। इस नीलामी में सबसे महंगे बिके नितिन तोमर को उत्तर प्रदेश की टीम ने 93 लाख रुपये में खरीदा था। इस संस्करण में भारत के 10 राज्य लगभग 140 मैचों का आयोजन करेंगे। लगभग तीन महीने तक चलने वाले इस टूर्नामेंट का फाइनल 28 अक्टूबर को चेन्नई में खेला जायेगा और पांचवें संस्करण को मिलेगा उसका सरताज। आईये बात करते है कबड्डी के कुछ मूल नियमों के बारें में। क्या आप जानते हैं एक डिफेंडर किस तकनीक द्वारा सामने से आ रहे रेडर को रोकता है? वह कैसे टैकल्स लेते हैं और कैसे अंक कमाते हैं? फुटबॉल के खेल में स्ट्राइकर को गोल करने के लिए डिफेंडर जैसी कई बाधाओं को पार करते हुए और आखिरकार कीपर को भेदते हुए गोल करने में सफलता पाता है। ठीक उसी प्रकार कबड्डी में भी अटैकर को एक प्वाइंट बनाने के लिए डिफेंडर की मजबूत चुनौती को पार करते हुए उसे छूना होता है और अंक अपने नाम करना होता है। आईये बताते हैं इसी चुनौती के बारें में- डिफेंडर कौन है जब एक रेडर रेड करने के लिए कबड्डी की मैट के आधे तरफ जाता यानि विपक्षी टीम के पाले में जाता है तो उसका सामना करने के लिए जितने खिलाड़ी मैट पर मौजूद रहते हैं उन्हें डिफेंडर कहते हैं। डिफेंडर के तौर पर कुछ खिलाड़ियों में यह विशेष कौशल होता है कि वह रेडर को अपनी विशेष स्थिति के अनुसार उन्हें मैट में गिराने और उसे रोकने का मद्दा रखते हैं। डिफेंडर के लिए मैट पर अलग अलग स्थिति क्या है- कॉर्नर ये वह डिफेंडर होते हैं दो दाएं और बाएं तरफ से सबसे बाहरी स्थिति में डिफेंस की कमान संभालते हैं और इसलिए उन्हें कॉर्नर विशेषज्ञ बोला जाता है। इन वह पहला खिलाड़ी जो दाएं और बाएं कॉर्नर के बिल्कुल बगल में खड़ा होता है वह ‘इन’ कहलाता है। सात खिलाड़ियों के पूरे डिफेंस के साथ जो बायां रेडर होता है वह दाएं इन स्थिति लेता है जबकि दायां रेडर बाएं इन की स्थिति लेता है। कवर यह किसी टीम के डिफेंस की मजबूत दीवार होती है और जब डिफेंस की बात आती है तो वह मध्य स्थिति को संभालते हैं। इस स्थिति में खिलाड़ी आमतौर पर भारी भरकम और बड़े साइज के होते हैं और उनमें बहुत ज्यादा शक्ति होती है। कोर्ट पर 7 खिलाड़ियों में दाएं और बाएं दो कवर होते है। सेंटर (केंद्र) आमतौर पर यह स्थान तीसरे नंबर पर आता है या करो या मरो के रेडर के खाते में आता है, जहां वो बैकलाइन में चला जाता है और डिफेंस के मामले में दूसरे नंबर की भूमिका अदा करता है। टैकल लेने की विभिन्न तकनीकें क्या हैं?
आमतौर पर कॉर्नर डिफेंडर इस टैकल का उपयोग करते हैं जिसमें वह रेडर का टखना पकड़ते हैं जब वह बोनस प्वाइंट लेने की कोशिश कर रहा होता है।
जांघ पकड़नायह तकनीक कई कवर डिफेंडरों द्वारा संचालित की जाती है, जो उपयुक्त समय देखकर हमला करते हैं जब रेडर अपनी दिशा को बदल रहा हो और फिर दोनों हाथों से उसकी जांघों को पकड़कर उसे नीचे की तरफ खीचता हैं।
बैक/कमर होल्ड करनाइस टैकल को करने के लिए जबरदस्त शक्ति की आवश्यकता होती है, जिसमें डिफेंडर रेडर को उसकी स्थिति से पीछे की तरफ यानि कमर और पीठ के जरिये पकड़ता है और फिर रेडर के संतुलन को बिगाड़ने के लिए उसे हवा में उछालता है। इस प्रकार प्रभावी ढंग से इस टैकल को करने पर रेडर के बच कर निकलने की संभावना कम होती है।
ब्लॉकजब एक रेडर डिफेंडर पर अटैक करने के लिए उसकी तरफ आगे बढ़ता है तभी उसके पीछे से आकर दूसरे डिफेंडर अपनी पूरी बॉडी से उसे ब्लॉक करके उसके वापसी के रास्ते को बंद कर देता है ये ब्लॉकिंग कहलाता है।
चेन टैकलयह तब होता है जब दो या अधिक डिफेंडर अपने बीच समन्वय स्थापित करते हैं और रेडर के रास्ते को ब्लॉक करने के लिए एक श्रृंखला यानि चेन बनाते हैं और फिर उसे रोकने के लिए डिफेंडर उस चेन में रेडर को फंसाते हैं और रोकने में सफलता पाते हैं। क्या रेडर को नीचे गिराने से एक से अधिक अंक प्राप्त हो सकते हैं? यह सिर्फ तब ही संभव है जब तीन या तीन से कम डिफेंडर मैट पर मौजूद होते हैं और वे सफलतापूर्वक रेडर को गिराने में कामयाब होते हैं और इस तकनीक को सुपर टैकल कहा जाता है, जिससे टीम को दो अंक प्राप्त होते हैं अन्यथा रेडर को नीचे गिराने के लिए डिफेंडर को केवल एक ही प्वाइंट प्राप्त होता है। यह भी पढ़ें: कबड्डी में रेड कर अंक प्राप्त करने के तकनीकी पहलू लेखक- विधि शाह अनुवादक- सौम्या तिवारी