अगले हफ्ते शुरू हो रहे कबड्डी विश्व कप की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, दक्षिणी कोरिया, बंगलादेश, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, थाईलैंड, अर्जेंटीना, इंग्लैंड, पोलैंड समेत १२ देश इस बार कबड्डी विश्व -चैंपियन बनने के लिए जूझेंगे। टूर्नामेंट के उदघाटन मैच में गत विजेता भारत का सामना होगा साउथ कोरिया के साथ और भारत के कप्तान रहेंगे स्टार रेडर अर्जुन अवार्ड विजेता अनूप कुमार । भारत ने 2007 में ईरान को हरा कर ये विश्व कप जीता था और कप इस बार भी मेजबान देश के पास कायम रहे, ये सुनिश्चित करने के लिए ख़ास तौर पर विश्व कप से पूर्व एक विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था जिसके बाद विश्व कप के लिए 14 सदस्यीय टीम चुनी गयी है । हालांकि, कोच बलवान सिंह और उनके सहयोगी ई भास्करन के लिए सबसे बड़ी समस्या है भारत में स्टार कबड्डी खिलाड़ियों का बहुतायत में होना। इतने सारे खिलाड़ी और हर खिलाड़ी एक ऐसा सितारा जिसकी भारतीय ड्रीम टीम में कहीं न कहीं जगह बनी ही हुई है। फिलहाल इस विश्व कप के लिए चुनी गयी टीम है- अनूप कुमार(कप्तान), अजय ठाकुर, दीपक हुड्डा, धर्मराज चेरलाथन, जसवीर सिंह, किरण परमार, मंजीत छिल्लर (उपकप्तान), मोहित छिल्लर, नितिन तोमर, प्रदीप नरवाल, राहुल चौधरी, संदीप नरवाल, सुरेंद्र नाडा और सुरजीत। 14 स्टार खिलाड़ियों की ये टीम कौशल, अनुभव और युवा जोश का उत्तम सम्मिश्रण है। स्पोर्ट्सकीड़ा के हिसाब से ये 7 खिलाड़ी दक्षिण कोरिया के खिलाफ खेल की शुरुआत कर सकते है - अनूप कुमार (कप्तान, रेडर) हरियाणा का ये पुलिसवाला अपने शांत स्वभाव और दबाव की स्थिति में सहज रहने की क्षमता के कारण "कैप्टन कूल" के नाम से भी जाना जाता है, और यही गुण उन्हें भारतीय टीम की अगुवाई के लिए सर्वश्रेष्ट उमीदवार बनाता है। चूँकि अनूप प्रो कबड्डी लीग के चार संस्करणों में यू मुम्बा के कप्तान रह चुके हैं इसलिए उन्हें टीम की जिम्मेदारियों और जरूरतों की अच्छी समझ भी है। 32 वर्षीय ये खिलाड़ी दाहिने रेडर के रूप में खेलता है। टो-टच इसकी विशेषता है और ज़रूरत के मुताबिक़ सही रणनीति का चुनाव कर खेलना इसका कौशल। प्रो कबड्डी के पहले संस्करण का सबसे मूल्यवान खिलाड़ी और दूसरे संस्करण की विजेता टीम का कप्तान, एशियाई खेल में दो स्वर्ण पदक विजेता- अनूप कुमार। ये तय है कि इनका मार्गदर्शन भारतीय टीम के लिए तनाव की स्थिति में सहज खेल के प्रदर्शन में बहुमूल्य साबित होगा। मंजीत छिल्लर (उपकप्तान, ऑल राउंडर) प्रो कबड्डी लीग से एक और कप्तान, पुनेरी पलटन के पूर्व कप्तान रह चुके 30 वर्षीय मंजीत छिल्लर इस विश्व कप उपकप्तान रहेंगे। खेल की शैली के मामले में एक ऑल राउंडर, प्रो कबड्डी लीग में छिल्लर के सिर्फ 59 मैचों में 400 से अधिक अंक हैं। मंजीत डिफेन्स में टीम की रीढ़ तो हैं ही, जरूरत के वक़्त अपनी ज़बरदस्त रेडों के दम पर टीम को अंक दिलाने और संकट से उबारने की क्षमता भी बखूबी रखते हैं। पूर्व पहवान रह चुके मंजीत को उनके सोलो टैकल्स के लिए जाना जाता है। उनका शारीरिक बल और डिफेंस में मजबूत पकड़ टूर्नामेंट में टीम की स्थिति मज़बूत बनाए रखेगी। राहुल चौधरी (रेडर) भारतीय कबड्डी का पोस्टर बॉय और तेलुगु टाइटन्स का 23 वर्षीय ये सितारा, यदि अपने पर आ जाये तो अकेले दम पर कोई भी मैच जिताने की क्षमता रखता है। लीग के पुराने संस्करणों में 146 रेड पॉइंट्स और सिर्फ 57 मैचों में 500 से अधिक कुल अंकों के साथ, राहुल एक ऐसा खिलाड़ी है जिसे कोच बलवंत सिंह निश्चित रूप से प्लेयिंग-सेवेन में खिलाना चाहेंगे। राहुल की खूबी ये है कि हर दफे जब वो रेड के लिए जाते हैं तो टीम के लिए एक से अधिक रेड पॉइंट लाने की क्षमता रखते हैं। राहुल चौधरी एक ऐसे खिलाडी है जिनसे ये आशा की जा सकती है कि वो जबतक मैदान में रहेंगे, भारत का स्कोरबोर्ड अंक प्रति अंक बढ़ता ही जाएगा। मोहित छिल्लर और सुरेन्द्र नाडा (कवर डिफेंडर्स) दाएं और बाएं कोनों पर कवर डिफेंडर्स के रूप में खेलती ये जोड़ी विरोधी टीमों के लिए विश्व कप में खतरनाक साबित होगी। प्रो कबड्डी लीग के पहले तीन संस्करणों में यू मुम्बा के लिए साथ खेलने के बाद अगले दो संस्करणों में बेंगलूरू बुल्स में एक दूसरे का साथ खेले हुए ये दोनों खिलाड़ी एक दुसरे की रणनीति को बखूबी जानते और समझते हैं। इस साल की शुरुआत में ये दोनों दक्षिण एशियाई खेलों में भारतीय टीम के लिए स्वर्ण जीत चुके है। प्रतिद्वंदी रेडरों के लिए मुसीबत ये रहेगी कि यदि किसी तरह वे मोहित छिल्लर के वेस्ट-होल्ड से बच भी गए तो दूसरे कोने से सुर्रेंदर नाडा द्वारा 10 में से 9 बार एंकल -होल्ड के शिकार होने का खतरा रहेगा ही। इस जोड़ी के 300 से अधिक अंक खुद में एक ऐसा आंकड़ा है जो भारतीय टीम के खिलाफ कबड्डी मैट पर उतरने से पहले ही प्रतिद्वंदी रेडरों के पसीने छुडाने के लिए काफी है। संदीप नरवाल और दीपक हूडा (ऑलराउंडर जोड़ी) संदीप नरवाल, जो प्रो कबड्डी के पहले तीन संस्करणों में पटना पाइरेट्स के लिये खेले थे और चौथे संस्करण में तेलुगू टाइटन्स द्वारा खरीदे गए, एक डिफेंसिव-ऑलराउंडर हैं। सशक्त, फुल-बॉडी टैकल्स के लिए मशहूर, इस खिलाड़ी का लीग के 62 गेम्स में 161 टैकल पॉइंट्स और 171 रेड पॉइंट्स का रिकॉर्ड है। लीग के तीसरे सीज़न में पटना पाइरेट्स की जीत के साथ नरवाल को इस संस्करण का सर्वश्रेष्ठ डिफेंडर घोषित किया गया था। ये दर्शाता है कि शुरूआती -सात के लिए ये कितने महत्व के खिलाड़ी है। दीपक हूडा, "द मैन विद अ गोल्डन रनिंग हैंड टच", पहले तेलुगू टाइटन्स के लिए खेले और अब पुनेरी पलटन का हिस्सा हैं। टीम को जब भी ज़रूरत होती है, चाहे फ़टाफ़ट रेड में पॉइंट्स लाने हों या डिफेंस में जलवा दिखाना हो, दीपक संकटमोचन का काम करते हैं। 22 वर्षीय इस खिलाड़ी ने पूर्व में दक्षिण एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण दिलाया है। आंकड़ों की बात करें तो 57 मैचों में 391 अंक बताते हैं कि प्लेयिंग-सेवेन में उनका होना कितना महवपूर्ण साबित होगा। लेखक: विधि शाह, अनुवादक: सुधा शुक्ल