Kabaddi World Cup 2016: उदघाटन मैच में दक्षिण कोरिया से भारत की हार के पीछे रहे ये 5 कारण

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अहमदाबाद के नवनिर्मित अत्याधुनिक द एरीना बाय ट्रांस स्टेडियम में शुक्रवार को कबड्डी विश्व कप 2016 का पहला मैच खेला गया जिसमे दक्षिण कोरिया ने भारत को 34-32 से पछाड़ दिया। दक्षिण कोरिया के जैंग कुन ली जो कि वैसे तो पूरे मैच में अपेक्षाकृत शांत थे, आखिरी कुछ मिनटों में अपनी जबरदस्त रेडों के दम पर आश्चर्यजनक रूप से बढ़त बनाने में कामयाब रहे और उस बढ़त को कोरियाई टीम ने मैच के अंत तक भुनाया और जीत हासिल की। एक समय पर 8 अंकों की बढ़त बनाने के बाद, आखिर में भारत लडखडाया और अंततः मैच हार गया और ये हार कबड्डी के इतिहास में भारत की केवल दूसरी हार है। पहली बार 1993 में भारत एशियन फेडरेशन गेम्स के फाइनल में पाकिस्तान से 23 साल पहले हारा था। चलिए, बिना देर किये, अब देखा जाए कि ये अजेय दिखने वाली भारतीय टीम कैसे टूर्नामेंट का उदघाटन मैच ही हार गयी – 1. राहुल चौधरी का फ्लॉप शो प्रो कबड्डी लीग के इतिहास में शीर्ष स्कोरर रहे राहुल चौधरी इस टूर्नामेंट के ओपनिंग मैच में फ्लॉप रहे। बिजनौर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले चौधरी मैच में 9 बार रेड करने के लिए गए और केवल 2 ही बार अंक लाने में सफल हो पाए। चौधरी ने बाहर बेंच पर 15 मिनट का समय बिताया और वापस मैदान मे आकर भी सिर्फ 3 अंक लेने में कामयाब हुए जिससे पूरा प्रेशर कप्तान अनूप कुमार पर आ गया। तेलुगू टाइटन्स के कप्तान चौधरी से बहुत उम्मीदें की गयीं थीं, शुरूआती लाइनअप में उनके अनुभव को युवा प्रदीप नरवाल के ऊपर तरजीह दी गयी पर उन्होंने पूरी तरह से निराश किया। खैर, कल की सचाई ये रही कि राहुल चौधरी बुरी तरह से विफल रहे और इस हार की ज़िम्मेदारी उन्हें स्वीकार करनी ही होगी। #2 मोहित छिल्लर का सुस्त प्रदर्शन mohit-1475859655-800 प्रो कबड्डी लीग के चौथे संस्करण में बेंगलुरू बुल्स ने मोहित छिल्लर को 53 लाख में खरीदा था और छिल्लर कबड्डी के इतिहास में सबसे महंगे खिलाड़ी रहे थे पर अगर दक्षिण कोरिया के खिलाफ खेले गए मैच में छिल्लर के प्रदर्शन को आधार बनाया जाए तो न सिर्फ छिल्लर इस टीम में प्रथम सात में अपनी जगह बनाये रखने में समर्थ दिख रहे हैं और न ही प्रो कबड्डी लीग के पांचवे संस्करण में किसी टीम के लिए महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में। छिल्लर ने पूरे मैच में सिर्फ एक टैकल करने की कोशिश की और उसमें भी वो असफल रहे। उनके लिए ज़रूर ही ये उनकी ज़िन्दगी का सबसे ख़राब मैच रहा होगा । अगर इस बार हमें ये विश्व कप जीतना है तो इस राइट कार्नर डिफेंडर को अब अपने नाम और ख्याति के दम पर टीम में रहने की आदत बदलकर कुछ तगड़ा प्रदर्शन करके दिखाना होगा। #3 जैंग कुन ली : देर आये दुरुस्त आये jang-kun-lee-1475859723-800 35 मिनट तक भारत ने इस कोरियाई रेडर को शांत रखा पर वो कहते हैं न 'ऑपुरचुनिटीज़ मेक्स अ मैन' ! एक मिनट से कुछ ज्यादा वक़्त बचा था और भारत 29-27 की बढ़त के साथ खेल रहा था, अनूप कुमार रेड्स में अपनी कलाबाजी दिखा रहे थे। एक तरफ उन्होंने गेम के टेम्पो को धीमा कर रखा था और दूसरी तरफ भारत के लिए स्कोरबोर्ड भी बढ़ रहा था। देखने वालों के हिसाब से तो भारत ये मैच जीतने ही वाला था कि ली ने अपना चतुर खेल खेला। इस 23 साल के रेडर ने भारतीय डिफेंडर्स की सुस्ती का फायदा उठाया और एक सुपर रेड की और वहां से पूरा खेल बदल गया। #4 नीतिगत अनुशासनहीनता deepak-1475859971-800 35वें मिनट में कोरियाई रेडर डोंग जीओन ली दो भारतीय डिफेंडर्स के बीच में एक लंबा गैप ढूँढने में कामयाब रहे और अपनी टीम के लिए दो अंक लाने में भी जिसने दक्षिण कोरिया के लिए जीत की इबारत लिखी। ये मूव भारत के लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं थी क्योंकि सिर्फ 4 मिनट पहले ही जैंग कुन ली ने ऐसा ही मूव किया था जिसे दीपक निवास हूडा ने सफल नहीं होने दिया था। कुछ ही क्षणों बाद, वैसा ही गैप फिर से दिखाई दिया और इस बार कोरियन खिलाड़ी डोंग जीओन ली ने कोई गलती नहीं की। कोच बलवान सिंह को शायद इस गलती के लिए भारतीय खिलाड़ियों को आगाह करना चाहिए था जब जैंग कुन ली ने इसे भुनाने की कोशिश की थी, एक ऐसी गलती जो भारत के लिए अंततः महंगी साबित हुई। #5 अति आत्मविश्वास anup-kumar-1475859812-800 टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले भारतीय खिलाड़ी और कोच बात करते दिखे कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती ईरान हो सकती है पर शायद वो भूल गए कि उन्हें इस पश्चिम एशियाई टीम से भिड़ने के लिए नॉकआउट स्टेज में पहुचना होगा। ईरान दुनिया की दूसरी सर्वश्रेष्ठ टीम है पर साउथ कोरिया जो कि विश्व नंबर 3 टीम है, उसे हल्के में लेना भारत को भारी पड़ा। विश्वविजेता टीम के लिए ऐसे टूर्नामेंट में अपने प्रतिद्वंदियों को हल्के में लेना वो भी जब वो विश्व नंबर 3 की टीम हो, अति आत्मविश्वास का ही उदाहरण है जिसका फल हमें भुगतना पड़ा। एक समय पर भारत के पास 8 अंकों की बढ़त थी और फिर अंत में 2 अंकों से हार जाना, ये हार भारत को जीवन भर सालती रहेगी। खेल में ये कहा जाता है कि अति दूरदर्शिता भारी पड़ती है और शायद यही भारत के साथ भी हुआ। जहाँ ध्यान अपने आने वाले मैच तक केन्द्रित होना चाहिए था, वहां भारतीय खिलाड़ी सिर्फ ईरान को अपना एकमात्र कड़ा प्रतिद्वंदी माने बैठे रहे और पहले ही मैच में निराशा हाथ लगी। हालांकि, भारत के खिलाफ अब ग्रुप स्टेज के अंत तक अपेक्षाकृत आसान प्रतिद्वंदी रहेंगे, पर फिर भी, अनूप कुमार और साथियों को अब वर्तमान में रह कर खेलना होगा, क्योंकि सेमी फाइनल स्टेज पर पहुँचने और अपने सबसे कड़े प्रतिद्वंदी ईरान के साथ मैच खेलने के लिए अब भारत को इस ग्रुप स्टेज के अपने सारे मैच जीतने होंगे। लेखक: सारांश गहलोत, अनुवादक: सुधा शुक्ल