टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले भारतीय खिलाड़ी और कोच बात करते दिखे कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती ईरान हो सकती है पर शायद वो भूल गए कि उन्हें इस पश्चिम एशियाई टीम से भिड़ने के लिए नॉकआउट स्टेज में पहुचना होगा। ईरान दुनिया की दूसरी सर्वश्रेष्ठ टीम है पर साउथ कोरिया जो कि विश्व नंबर 3 टीम है, उसे हल्के में लेना भारत को भारी पड़ा। विश्वविजेता टीम के लिए ऐसे टूर्नामेंट में अपने प्रतिद्वंदियों को हल्के में लेना वो भी जब वो विश्व नंबर 3 की टीम हो, अति आत्मविश्वास का ही उदाहरण है जिसका फल हमें भुगतना पड़ा। एक समय पर भारत के पास 8 अंकों की बढ़त थी और फिर अंत में 2 अंकों से हार जाना, ये हार भारत को जीवन भर सालती रहेगी। खेल में ये कहा जाता है कि अति दूरदर्शिता भारी पड़ती है और शायद यही भारत के साथ भी हुआ। जहाँ ध्यान अपने आने वाले मैच तक केन्द्रित होना चाहिए था, वहां भारतीय खिलाड़ी सिर्फ ईरान को अपना एकमात्र कड़ा प्रतिद्वंदी माने बैठे रहे और पहले ही मैच में निराशा हाथ लगी। हालांकि, भारत के खिलाफ अब ग्रुप स्टेज के अंत तक अपेक्षाकृत आसान प्रतिद्वंदी रहेंगे, पर फिर भी, अनूप कुमार और साथियों को अब वर्तमान में रह कर खेलना होगा, क्योंकि सेमी फाइनल स्टेज पर पहुँचने और अपने सबसे कड़े प्रतिद्वंदी ईरान के साथ मैच खेलने के लिए अब भारत को इस ग्रुप स्टेज के अपने सारे मैच जीतने होंगे। लेखक: सारांश गहलोत, अनुवादक: सुधा शुक्ल