स्टार स्पोर्ट्स प्रो कबड्डी का चौथा सत्र पटना द्वारा हाल ही में मेजबानी के साथ अपना आधा सफर तय कर चुका हैं। आयोजकों द्वारा सत्र की शुरुआत से पहले टीमों में फेरबदल करने के फैसले के बाद, सभी टीमें इस सत्र में खतरनाक नजर आ रही हैं और यही वजह है कि टूर्नामेंट के इतिहास में यह संस्करण सबसे प्रतिस्पर्धी हो रहा है। इसका प्रमाण इस बात से मिल गया कि सेमीफाइनल की दौड़ में बनी शीर्ष तीन टीमों के बीच महज एक अंक का फासला है। अब जब प्रो कबड्डी का कारवां आधा पूरा हो चुका है, चलिए टीमों के प्रदर्शन पर ध्यान देते हैं और पता करते हैं कि वह उम्मीदों पर पूरी तरह खरे उतरे हैं या नहीं। इसी आधार पर उनकी ग्रेडिंग भी की गई हैं, ताकि पता चल सके कि कौनसी टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया है और किसे अपना प्रदर्शन सुधारने की जरुरत है : बंगाल वॉरियर्स : एफ ग्रेड इस बार सबसे बड़ी निराशा कोलकाता की बंगाल वॉरियर्स से मिली है। सत्र तीन में बंगाल पहली बार सेमीफाइनल चरण तक पहुंची थी और इस बार उनसे बहुत उम्मीदें थी। पिछले सत्र की उपलब्धि से बंगाल ने विश्वास अर्जित नहीं किया और मौजूदा सत्र में उसका अब तक का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है। 7 मैचों के बाद निलेश शिंदे के नेतृत्व वाली बंगाल वॉरियर्स की टीम 8 अंकों के साथ तालिका में अंतिम स्थान पर है। सत्र की शुरुआत से पहले बंगाल ने रवि दलाल, सुरजीत नरवाल और विशाल माने को खरीदा था, जबकि कप्तान निलेश, जेंग कुन ली, नितिन मदाने, महेंद्र राजपूत और गिरीश मारुती एर्नाक को रिटेन किया था। हालांकि इनमें से कोई भी खिलाड़ी बाजीराव हडागे और नितिन तोमर की जगह भरता नहीं दिखा। इस सत्र में अब तक बंगाल की टीम सिर्फ एक मुकाबला दबंग दिल्ली के खिलाफ जीत पाई है। नितिन मदाने एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने कुछ कमाल का प्रदर्शन किया है। अन्य नए खिलाड़ी फ्लॉप होते ही दिखे। अब बंगाल के पास सिर्फ सात मुकाबले ही बचे हैं, और अब उसे पिछले सत्र की तरह ही दमदार प्रदर्शन करके परिणाम बदलने की जरूरत है। बेंगलुरु बुल्स : सी ग्रेड तीसरे सत्र में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बेंगलुरु बुल्स ने सत्र चार की शुरुआत से पहले भारी निवेश करके सभी ट्रांसफर रिकॉर्ड को तोड़ते हुए मोहित छिल्लर को 53 लाख रूपए में खरीदा। बुल्स की टीम पिछले सत्र में सातवें स्थान पर थी और उसे अपना भाग्य बदलने के लिए पूरी तरह बदलाव की जरुरत थी। और उन्होंने ऐसा ही नीलामी में किया। यू मुंबा के दो डिफेंसिव खिलाड़ी मोहित और सुरेंदर नाडा को मोती रकम में खरीदा गया। सुरेंदर को टीम की कमान भी सौंपी गई। रोहित बालियान को तेलुगु टाइटन्स से लिया गया जबकि सत्र तीन के सबसे मूल्यवान खिलाड़ी रोहित कुमार को आगामी सत्र के लिए खरीदने में कामयाब रही। हालांकि कोर्ट पर टीम ने अपेक्षाकृत प्रदर्शन नहीं किया है। भले ही टीम इस समय चौथे स्थान पर काबिज यू मुंबा से दो अंक पीछे है, लेकिन नीलामी में बेंगलुरु द्वारा किए निवेश के बाद उनसे उम्मीदें ज्यादा थी। बुल्स इस समय सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए प्रयासरत है, लेकिन उसे घरेलू चरण में दमदार प्रदर्शन करना होगा। दबंग दिल्ली : सी ग्रेड दबंग दिल्ली से तीसरे सत्र में अंतिम स्थान पर रहने के बाद ज्यादा उम्मीदें नहीं थी क्योंकि पहले व दूसरे सत्र में भी वह क्रमशः छठें और सातवें स्थान पर थी। हालांकि इस सत्र में उसका प्रदर्शन जरुर सुधरा है, लेकिन प्ले-ऑफ में उसकी पहुंचने की उम्मीदें बहुत ही कम हैं। यह स्पष्ट है की ईगल्स के थिंक-टैंक को नई टीम की जरुरत थी क्योंकि उसने रेडर कशिलिंग अडाके और सेल्वामणि के को रिटेन करने के अलावा किसी पुराने खिलाड़ी को नहीं खरीदा। उन्होंने पूर्व कप्तान और सत्र दो के सर्वश्रेष्ठ डिफेंडर रविंदर पहल को भी जाने दिया। मेराज शेख के रूप में दिल्ली ने सर्वश्रेष्ठ विदेशी खिलाड़ियों में से एक के साथ करार किया जबकि दीपक नरवाल, प्रशांत राय, सचिन शिंगाडे, प्रशांत चवन और भूपेंदर सिंह को भी टीम में जोड़ा। भले ही टीम ने पटना पाइरेट्स को अपने घर में हराकर बड़ा धमाल किया हो, लेकिन उसे टूर्नामेंट में बने रहने के लिए कड़ी मेहनत की जरुरत है। जयपुर पिंक पैंथर्स : ए+ ग्रेड इस सत्र की संभवतः सबसे प्रभावी जयपुर पिंक पैंथर्स ने पिछले सत्र की निराशा को पीछे छोड़ते हुए कमाल का प्रदर्शन किया है। उद्घाटन संस्करण जीतने के बाद अगले दो सत्रों में जयपुर सेमी फाइनल के लिए भी क्वालीफाई नहीं कर पाई। मौजूदा सत्र में दूसरे स्थान पर काबिज जयपुर अपनी लय हासिल करती हुई नजर आ रही है। नीलामी के दौरान जयपुर ने जसवीर सिंह और राजेश नरवाल को रिटेन किया जबकि रोहित रना और रण सिंह को वापस खरीदा। अभिषेक बच्चन की टीम के लिए शबीर बाप्पू और अमित हूडा को जोड़ना भी मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। कोच को बदलना भी टीम के कार्य में परिवर्तन लाया क्योंकि बलवान सिंह की रणनीति पिंक पैंथर्स से मेल खाती दिखी। इस सत्र में पटना पाइरेट्स को हराने वाली सिर्फ दो ही टीमें है, और जयपुर उससे केवल एक अंक पीछे है। अगर वह अपना शानदार फॉर्म जारी रखती है तो इसमें आश्चर्य नहीं होगा की वह स्टार स्पोर्ट्स प्रो कबड्डी का खिताब दो बार जीतने वाली पहली टीम बन जाएगी। पटना पाइरेट्स : बी+ ग्रेड सत्र चार में गत चैंपियन पटना पाइरेट्स ने अपना वाही क्रम जारी रखा है, जहां पिछली बार छोड़ा है। वह अंक तालिका में शीर्ष पर काबिज है। आधे सफर तक 5 जीत और 2 हार सहने वाली पटना का लक्ष्य खिताब की रक्षा करने का है। हालांकि सत्र की शानदार शुरुआत करने के बाद वह अब थोड़ी ढीली पड़ती दिख रही है। अन्य टीमों के समान ही पाइरेट्स ने भी चौथे सत्र से पहले टीम में बड़े फेरबदल किए। वह पिछले वर्ष के शीर्ष स्कोरर 19 वर्षीय परदीप नरवाल और उपयोगी खिलाड़ी राजेश मोंडल को रिटेन करने में कामयाब रही। मनप्रीत सिंह की जगह टीम ने अनुभवी डिफेंडर धर्मराज चेरालाथन जबकि बाजीराव होडागे और कुलदीप सिंह के लिए सफल बोली लगाई। जोशीले संदीप नरवाल को खोने के बाद पटना ने ईरान की तिकड़ी फजल अत्राचली, अबोल्फजेल मघ्सोद्लो और हादी ओश्तोरक को खरीदा। पहले सबसे मजबूत नजर आ रही पाइरेट्स को दबंग दिल्ली और जयपुर पिंक पैंथर्स ने पिछले दो मुकाबलों में जरुर रोका। अब देखना होगा कि वह बेंगलुरु चरण में कैसा प्रदर्शन करेगी? पुणेरी पलटन : बी ग्रेड मंजीत छिल्लर के नेतृत्व वाली पुणेरी पलटन ने पिछले सत्र में पहली बार सेमीफाइनल में प्रवेश किया था। इस सत्र में टीम उतनी मजबूत नजर आ रही है कि वह पिछले सत्र की कहानी दोहरा सकती है, लेकिन यह सब प्रदर्शन में सुधार पर निर्भर करता है। रविंदर पहल और जोगिन्दर नरवाल से करार करने के बाद छिल्लर को रेड पर ध्यान देने की पूरी तरह छूट मिल गई है, वह विभाग जिसमें नितिन तोमर और सोनू नरवाल के कारण मजबूती आई है। दीपक निवास हूडा के रहते हुए पलटन का रेडिंग विभाग नितिन के खराब फॉर्म के बावजूद लीग के सबसे मजबूत में से एक नजर आ रहा है। सात मैचों में चार जीत और एक ड्रॉ खेलने वाली पलटन शीर्ष स्थान वाली पटना से केवल एक अंक पीछे है। जयपुर के खिताब विजयी पूर्व कोच काशिनाथान बसकरण इस सत्र में पुणेरी पलटन के साथ इतिहास रच सकते हैं। तेलुगु टाइटन्स : डी ग्रेड बंगाल वॉरियर्स के बाद जिस टीम ने सबसे ज्यादा निराश किया है वो तेलुगु टाइटन्स हैं। राहुल चौधरी के नेतृत्व वाली तेलुगु ने शुरुआत के तीनों मैच हारे लेकिन बाद में लय हासिल करके सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को जीवित रखा है। सत्र से पहले संदीप नरवाल, जसमेर सिंह गुलिया और संदीप धुल की तिकड़ी को खरीदने में तेलुगु ने काफी निवेश कर दिया। सत्र की खराब शुरुआत के बाद टाइटन्स ने लगातार तीन जीत दर्ज करके अपनी स्थिति सुधार ली है। तेलुगु को अगर सेमीफाइनल में पहुंचना है तो उसे अपने कप्तान राहुल चौधरी पर काफी निर्भर रहना होगा। यू मुंबा : बी- ग्रेड तीन बार की फाइनलिस्ट यू मुंबा का यह सत्र उतना बेहतरीन नहीं बीता है। कोच भास्करन एडाचेरी की टीम इस समय चौथे स्थान पर काबिज है, लेकिन प्ले-ऑफ में पहुंचने के लिए उसे बेंगलुरु बुल्स और टाइटन्स से चुनौती मिलेगी। टूर्नामेंट के इतिहास की सबसे सफल टीम नीलामी के समय बिखर गई। मोहित छिल्लर, सुरेंदर नाडा, फजल अत्राचली, विशाल माने, शबीर बाप्पू और भूपेंदर सिंह सभी सत्र चार से पहले दूसरी टीमों में चले गए। पुणेरी पलटन से डिफेंडर सुरजीत तथा रिशांक देवाडिगा और अनुप कुमार के आने से टीम को मजबूती मिली है, लेकिन सत्र 3 की तुलना में मुंबा में वह गहराई इस सत्र में नजर नहीं आ रही है। सत्र की शुरुआत में अनिरंतर प्रदर्शन कर रही यू मुंबा को सबसे खराब शिकस्त झेलना पड़ी थी। 3 हार और चार जीत के साथ यू मुंबा को अब करिश्माई प्रदर्शन करके सेमीफाइनल में पहुंचने की तैयारी करना होगी।