स्टार स्पोर्ट्स प्रो कबड्डी सीजन 4 की जब शुरुआत हुई थी, तो पटना पाइरेट्स की नज़र सीजन 3 की सफलता को दोहरने पर थी। पाइरेट्स ने की टीम ने नीलामी के समय अच्छे डिफ़ेंडर्स खरीदे, जो उनकी टीम को मजबूती प्रदान कर सके। उन्होंने इस साल फज़ल अत्राचली, बाजीराव होडगे और कप्तान धर्मराज चेरालाथन को खरीदा, जिन्होंने पूरे सीजन में टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया और टीम को लगातार दूसरे साल फ़ाइनल में पहुंचाया। बाजीराव और धर्मराज आराम से खेले। लेकिन फजल ने अपनी विरोधी पर बिल्कुल भी दया नहीं दिखाई। जब एक डिफ़ेंडर टैकल के लिए जाता है, तो उम्मीद की जाती है कि उसके बाकी साथी उसका साथ देंगे, लेकिन ईरान के कप्तान के लिए यह बात लागू नहीं होती, क्योंकि जब वो डिफेंस के लिए जाते है, तो उन्हें किसी की जरूरत नहीं होती। उनके टैकल रैप की तरह तेज़ और जोरदार होते हैं। पटना की टीम का फ़ाइनल तक का सफर शानदार रहा और टीम लीग स्टेज में सिर्फ 4 मैच ही हारी। उन्होंने इस सीजन की शुरुआत में लगातार पहले 4 मैच जीते। परदीप नरवाल और टीम ने एक स्टैंडर्ड सेट किया हुआ था, जिसका मुक़ाबला करना नामुमकिन सा था। हालांकि जुलाई का दूसरा हफ्ता पटना के लिए अच्छा नहीं रहा और टीम ने अपने घर में लगातार दो मैच हारने पड़े। सबसे पहले दबंग दिल्ली के खिलाफ 15-33 से रिकॉर्ड हार और उस के बाद दूसरी फ़ाइनलिस्ट जयपुर पिंक पैन्थर्स के हाथों हार झेलनी पड़ी। उसके बाद बाकी टीमों ने भी पटना पर हमला करना शुरू कर दिया। पटना की टीम में इतनी काबिलियत थी कि उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने जबर्दस्त वापसी की और बाकी टीमों से बहुत आगे निकल गई। पटना ने कम समय में पहले बेंगलुरु बुल्स, यू मुंबा और उसके बाद बंगाल वॉरियर्स को हराकर अपने इरादे साफ कर दिए। यह बात पूरी सीजन में होती रही है कि पटना की टीम जरूरत से ज्यादा परदीप नरवाल पर निर्भर करती है, लेकिन जब आपके पास वर्ल्ड का सबसे अच्छा रेडर होगा, तो आप किसी और के पास क्यों जाओगे? 19 वर्षीय खिलाड़ी ने इस साल 115 रेड पॉइंट्स हासिल किए और तीसरे सीजन के प्रदर्शन को दोहराया, जहां उन्होंने 116 पॉइंट्स हासिल किए। एक ऐसी लीग जहां हर समय निरंतरता की जरुरत होती है, ऐसे बहुत कम मैच आए, जब वो ना चल पाए हो। पटना की टीम फ़ाइनल में सिर्फ परदीप नरवाल की वजह से नहीं पहुंची। उनके साथी रेडर राजेश मोंडल और सुरजीत सिंह ने भी उनका अच्छा साथ दिया। जब 19 वर्षीय नरवाल 3 मैच तक नहीं चल पाए, तब इन दोनों रेडर ने ही टीम को मुसीबत से निकाला। उन दोनों ने क्रमश 55 और 31 पॉइंट्स हासिल किए। मोंडल ने सारा दबाव अपने ऊपर लिया, जिससे टीम के ऊपर से काफी भार कम हो गया। राजेश मोंडल ने मुश्किल स्तिथि में 10 में से 9 बार कामयाब होकर दिखाया। कोई भी कप्तान इस प्रदर्शन से खुश होगा। सुरजीत सिंह ने बड़ी शांति से अपना काम किया। उन्होंने कई बार टीम को मुश्किल से उभारा, उनकी सबसे बड़ी खूबी थी की वो लगातार बोनस पॉइंट्स हासिल करने में कामयाब रहते थे। पटना की बेंच स्ट्रेंथ ने भी जरूरत पड़ने पर अपना कम किया। ईरान के दो खिलाड़ी अबोलफजेल और हादी ओस्त्रोव ने टीम को काफी गहराई प्रदान की। हादी ने डिफेंस में टीम के लिए काफी अच्छा किया और उन्होंने सेमी फाइनल में पुनेरी पल्टन के खिलाफ कप्तान धर्मराज चेरलाथन की जगह ली और शानदार सुपर टैकल करकर टीम को फ़ाइनल तक पहुंचाया। रविवार को जब पटना का सामना जयपुर की टीम से होगा, तो डिफ़ेंडिंग चैम्पियंस को शानदार खेल दिखाना होगा। पाइरेट्स की टीम सीजन 4 में जयपुर के खिलाफ खेले दोनों लीग मैच हारी थि और फाइनल में वो इस रिकॉर्ड से बचना चाहेंगे। सीजन 4 फ़ाइनल का 31 जुलाई को हैदराबाद के गाचीबाउली इंडोर स्टेडियम में रात 9 बजे शुरू होगा।