PKL: पवन सेहरावत (Pawan Sehrawat) ने एशियन कबड्डी चैंपियनशिप में भारत की कप्तानी करते हुए टीम को विजेता बनाया था। हालांकि प्रो कबड्डी (Pro Kabaddi 2023) सीजन से पहले तमिल थलाइवाज (Tamil Thalaivas) ने उन्हें रिलीज़ करने का चौंकाने वाला फैसला लिया है। इसी वजह से आगामी ऑक्शन में पवन को लेकर अन्य टीमों के बीच जंग छिड़ सकती है।
इस बीच स्पोर्ट्सकीड़ा को दिए एक इंटरव्यू में पवन ने PKL की लोकप्रियता, पिछले सीजन में अपनी चोट और इस विषय पर भी बात की कि कैसे बढ़ती उम्र कबड्डी खिलाड़ी के करियर पर क्या असर डाल सकती है। उन्होंने खुशी जताई कि कबड्डी विश्वभर में लोकप्रिय हो रही है।
उन्होंने कहा:
"PKL के कारण कबड्डी के खेल को दुनियाभर में पहचान मिली है। हम चाहे भारत की बात करें, ईरान की या दक्षिण कोरिया की। ये खेल बहुत लोकप्रिय बनता जा रहा है और PKL ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।"
पवन ने ये भी बताया कि कुछ विदेशी खिलाड़ी भारतीय खिलाड़ियों से मूव्स सीख रहे हैं। उदाहरण के तौर पर फज़ल अत्राचली ने यू मुम्बा में रहते सुरेंदर नाडा की मदद से एंकल होल्ड लगाने में महारत हासिल की थी। भारतीय कप्तान ने आगे कहा:
"विदेशी खिलाड़ी भारत आकर ट्रेनर्स से नई स्किल्स सीखना चाहते हैं, अच्छे खिलाड़ियों के इर्दगिर्द रहना चाहते हैं तो उन्हें हमसे जरूर कुछ नया सीखना चाहिए। परदीप की डुबकी अच्छी है, मैं और नवीन जम्प अच्छा लगाते हैं। फज़ल से पहले सुरेंदर नाडा अच्छा एंकल होल्ड लगाया करते थे। फजल़ ने ये स्किल सुरेंदर से सीखी है। ये बताता है कि PKL से सब खिलाड़ी कुछ ना कुछ सीख रहे हैं।"
पवन सेहरावत को चोट के कारण PKL 9 से बाहर बैठना पड़ा था, लेकिन उन्हें सीजन के दौरान कमेंट्री करते देखा गया था। उन्होंने खुशी जताई कि वो कमेंट्री के जरिए सीजन से जुड़े रहे थे। उन्होंने कहा:
"मुझे कमेंट्री करना बहुत पसंद आया, लेकिन मैं एक एथलीट हूं। इसलिए मैं जब तक रिटायर नहीं हो जाता, तब तक कमेंट्री बॉक्स में जाना मेरे लिए अच्छा नहीं होगा और मैं खेलना चाहता था। मगर चोट के बावजूद मैं कबड्डी से जुड़े रहना चाहता था, इसलिए उस समय कमेंट्री बॉक्स से जुड़ना मेरे लिए अच्छा फैसला रहा।"
"जब तक खिलाड़ी फिट है, उम्र मायने नहीं रखती" - PKL 10 से पूर्व Pawan Sehrawat ने बड़ा बयान दिया
पवन सेहरावत का मानना है कि जब तक कोई खिलाड़ी अपनी फिटनेस को स्थिर बनाए रखेगा, तब तक बढ़ती उम्र उनपर हावी नहीं होगी। उन्होंने धर्मराज चेरलाथन का उदाहरण देते हुए कहा:
"मुझे लगता है कि जब तक खिलाड़ी फिट है, तब तक उम्र मायने नहीं रखती। अगर एक खिलाड़ी फिट है तो वो भविष्य में अच्छा खेलता रहेगा, वहीं एक युवा खिलाड़ी फिट नहीं है तो वो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएगा। इसलिए हमारे लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती और टाइमिंग का महत्व काफी अधिक होता है। ऐसा नहीं है कि प्लेयर खेल नहीं सकता, उन्हें केवल अच्छी टाइमिंग चाहिए होती है। अगर धर्मराज चेरलाथन 46 साल की उम्र में अच्छी टाइमिंग के साथ खेल पा रहे हैं तो वो फिट हैं।"