प्रो कबड्डी लीग का जोश और जुनून लोगों के सर चढ़कर बोलने लगा है और इसका उदाहरण नीलामी प्रक्रिया में देखने को मिला जब 400 से अधिक खिलाड़ियों ने पांचवे संस्करण के लिए खुद को प्रत्याशित किया। जिसमें से 230 खिलाड़ियों का चुनाव कर 12 फ्रेंचाइजियों ने अपनी टीम में जगह दी। सभी ने डिफेंस और आक्रमण दोनों विभागों को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत और बैलेंस टीम बनाने की कोशिश की। टीमों के खराब चयन पर उनकी थिंक टैंक की कमजोरियों की वजह से सभी टीमें बैलेंस बनाने में नाकाम रहीं और सामने आयी टीमों की सबसे बड़ी कमजोरी। उनके पास टीम में डिफेंड के लिए मजबूत दावेदारी थी लेकिन अटैक उनके लिए कमजोर कड़ी साबित हुई। आज हम बात करते हैं ऐसी ही पांच टीमो के बारें में जिनके पास है कमजोर अटैकिंग साइड- तमिल थलाइवा वे विश्व कप के बेस्ट रेडर अजय ठाकुर को अपनी टीम में शामिल होने पर गर्व कर सकते हैं और इस खिलाड़ी ने हमेशा ही कबड्डी की मैट पर बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, सिर्फ 58 मैच ममें 316 रेड प्वाइंट अजय के नाम हैं। लेकिन क्या हुआ अगर यह स्टार रेडर प्रदर्शन करने में असफल हो जाता है, जैसा कि पिछले संस्करणों में यानि विशेष रूप से सीजन 4 में देखने को मिला। ठाकुर पर अधिक निर्भरता टीम के लिए घातक साबित हो सकती है, साथ ही टीम में अजय को सपोर्ट देने के लिए कोई अन्य ए श्रेणी का रेडर भी नहीं है। इसके अलावा, टीम में कई अनुभवी स्थानीय प्रतिभाएं है पर वह मजबूत आक्रमण के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते समय प्वाइंट टेबल में बहुत कुछ नहीं ला सकेंगे। दबंग दिल्ली
दबंग दिल्ली की अपनी टीम में कई हमलावर हैं लेकिन इसके अलावा उनमें से प्रत्येक के साथ जुड़ी कुछ चिंताएं और कई पहलू है। टीम में अटैक का नेतृत्व करने के लिए मेराज शेख होंगे, लेकिन चाहे वह रेडिंग हो और डिफेंस वह दोनों में अपने कौशल का प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे या नहीं ये अभी देखना होगा। रवि दलाल ने पीकेएल में अपने करियर की शुरूआत बहुत ही शानदार की थी। अपने पहले सीजन में ही रवि ने बेहतरीन 111 रेड प्वाइंट हासिल किए थे। लेकिन उसके बाद उनकी धार कुछ कुंद सी पड़ गयी जो कि आखिरी सीजन में देखने को मिला। पिछले संस्करण में रवि सिर्फ 13 रेड प्वाइंट ही अपने नाम कर सके। रोहित बलियान दबंग दिल्ली के लिए एक और संभावना हैं। जिन्हें मौका मिलने पर उसे चुनौती की तरह लेना होगा और खुद को साबित करना होगा। इसके अलावा टीम के मंहगे खिलाड़ी सूरज देसाई जिन्हें दिल्ली ने 52.50 लाख की कीमत पर लिया था पर पहले ही चोट के कारण टीम से बाहर हो चुके हैं। गुजरात फार्च्यूनजायंट्स
प्रो कबड्डी लीग के पांचवे संस्करण में चार नई टीमों की एंट्री हुई है, जिसमें से गुजरात एक टीम है लेकिन जब बात रेडिंग विभाग की आती है, तो गुजरात फ्रेंचाइजी खुद को कमजोर पाते हैं। उसके पास सुकेश हेगड़े जैसा बेहतरीन खिलाड़ी है जो आगामी सीजन में टीम में कमान के साथ अटैक की जिम्मेदारी भी संभालेंगे और ऐसे में उसके ऊपर कप्तानी और टीम संयोजन का भार आता है तो उस दबाव का असर उनके प्राकृतिक खेल पर पड़ सकता है। ऐसे परिदृश्य में, वे अन्य रेडर्स पर भरोसा कर सकते हैं, जिसमें महेंद्र राजपूत शामिल हैं। जिन्होंने अतीत में उनकी प्रतिभा की झलक दिखायी है लेकिन वास्तविकता यह है कि वह अपने प्रदर्शन को लगातार एक जैसा नहीं रख पाये हैं। ऐसे में टीम को विपक्षी टीम के डिफेंड के खिलाफ पार पाना मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है। बेंगलुरू बुल्स
बेंगलुरु बुल्स के पास रोहित कुमार और अजय की पसंद की जोड़ी मौजूद है जो दाएं और बाएं अटैकर के रूप में खेलते हैं लेकिन इन दोनों के अलावा, बेंगलुरू बुल्स के फ्रेंचाइजी के पास रेडर्स की कमी नजर आती है। अगर ऐसे में ये ए श्रेणी के खिलाड़ी अटैक की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाने में नाकामयाब रहते हैं या फिर इनमें से किसी एक को सीजन के बीच में चोट से जूझना पड़ता है तो यह टीम बेहद परेशानी में फंस जायेगी और वहां से वापस आने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे मौके पर गुरविंदर सिंह और सुनील जयपाल जैसे अपेक्षाकृत औसत खिलाड़ियों को इस अवसर का लाभ उठाने का मौका मिल सकता है, जो कि उनके लिए विपक्षी टीम के डिफेंडिग साइड को पछाड़ने के लिए एक कठिन काम होगा। पटना पायरेट्स
यह जानकर कबड्डी के अधिकांश खेलप्रेमियों को यह आश्चर्यजनक होगा कि यह टीम सबसे कमजोर अटैक वाली टीमों के तहत आती है। लेकिन क्या होगा अगर उनके पोस्टर ब्वॉय खिलाड़ी प्रदीप नारवाल, जिन्होंने टीम को लगातार दो खिताबों दिलाये हैं, वह इस बार पिछले संस्करणों के जैसा अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम हो जाते हैं तो? ऐसे में पटना टीम के पास ऐसा अन्य कोई हथियार नहीं है जो इस करिश्माई खिलाड़ी की जगह ले सके। सिर्फ एक खिलाड़ी है जो कुछ करीब आ सकता है वो है मोनू गोयट लेकिन बात फिर वहीं आती है कि क्या वह यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा पायेंगे, जो कि अभी देखना बाकी है। हालांकि पटना के पास बेहद मजबूत डिफेंस है, लेकिन इसके बावजूद इस खराब स्थिति में जब प्रदीप नरवाल पिछले संस्करणों जैसा प्रदर्शन करने में नाकामयाब रहे तो उन्हें इससे आगे बढ़कर आना होगा और अच्छे खेल का प्रदर्शन करना होगा। लेखक-विधि शाह अनुवादक- सौम्या तिवारी