करीब 400 खिलाड़ियों की बोली लगती है और उसमें 230 खिलाड़ियों का चुनाव होता है। सभी फ्रेंचाइजी अपने बेड़े में टीम के लिए बेस्ट खिलाड़ी चुनते हैं। कई बार टीमें बैलेंस बनाने में नाकामयाब हो जाती हैं और अपने मुख्य उद्देश्य से भटक जाती हैं। ऐसे में उनका एक हाथ तो भरा होता है लेकिन दूसरा हाथ खाली रह जाता है। इन टीमों के पास कागजी रूप में मजबूत डिफेंडर तो होते हैं लेकिन बात जब हकीकत की आती है, तो यह कागज खोखले साबित हो जाते हैं। आइए नजर डालते हैं उन पांच टीमों पर जो इस सीज़न में औसत डिफेंसिव लाइन अप से साथ मैच खेलने उतरेंगी: बंगाल वॉरियर्स पिछले सीजन में वॉरियर्स आखिरी से दूसरे स्थान पर रहे थे और लेकिन सच तो यही है कि बंगाल टीम को एक डिफेंसिव लीडर की बेहद जरुरत है। इस सीजन में उनके मुख्य डिफेंडर के रूप में पूर्व यू मुंबा खिलाड़ी सुरजीत सिंह होंगे। हालांकि सिंह ने निश्चित रूप से एक खिलाड़ी के तौर पर सुधार किया है और यही उम्मीद मैच दर मैच उनसे इस सीजन में भी होगी। यू मुंबा में उन्हें गाइड करने के लिए अनुभवी अनूप कुमार और जीवा मौजूद थे लेकिन बंगाल की टीम में उनको डिफेंडिंग के सारे निर्णय खुद ही लेने होंगे। बंगाल की टीम में रण सिंह भी मौजूद हैं लेकिन वह पूरी तरफ डिफेंडर की भूमिका नहीं निभाते हैं। सुरजीत और उनके साथी खिलाड़ियों को अगर इस खराब फॉर्म से निकलना है तो उन्हें इस सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन का नजारा पेश करना होगा। बेंगलुरू बुल्स
प्रो कबड्डी लीग सीजन 4 में बुल्स एक और टीम थी जिसे पूरे सीज़न में प्वाइंट टेबल में नीचे रहकर ही संतोष करना पड़ा था। कागज पर बाकी 11 टीमों की तुलना करने पर बेंगलुरु की टीम सबसे कमजोर दिखती है। बेंगलुरू ने रेडर्स पर काफी खर्च किया पर डिफेंसिव विभाग में कमजोर रह गई। इस सीजन में रविन्दर पहल बेंगलुरू को लीड करते दिखेंगे। यकीनन लीग के सर्वश्रेष्ठ डिफेंडरों में से एक पहल के द्वारा एक छोर संभालने से टीम को मजबूती मिलती है लेकिन क्या कभी कबड्डी एक इंसान का खेल रहा है? पहल वह खिलाड़ी है जो हमेशा ही कप्तान के मार्गदर्शन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देता है लेकिन इस बार उनके आसपास उन्हें देखने और उन्हें गाइड करने के लिए कोई नहीं होगा। उनके सह खिलाड़ी उनसे टीम का नेतृत्व करने की उम्मीद करेंगे, ऐसे में उनके नेतृत्व क्षमता के अंर्तगत टीम की अनुभवहीन डिफेंस लाइन अप के लिए कबड्डी की मैट पर कुछ रंग दिखाना एक कठिन चुनौती होगी। तेलुगु टाइटंस
प्रो कबड्डी लीग के पिछले संस्करण के टॉप 10 डिफेंडरों में से एक भी खिलाड़ी तेलगु टाइटन्स का शामिल नहीं था। स्टार रेडर खिलाड़ी और कप्तान राहुल चौधरी ने हमेशा ही डिफेंस पर जोर दिया है। हालांकि वह कई मुश्किल परिस्थितियों से टीम को बाहर निकालने में सफल रहे हैं। एक बार फिर से लगातार पांचवे संस्करण में भी चौधरी के कंधों पर ऐसी ही जिम्मेदारी होगी। रोहित राणा, तेलुगु टाइटन्स के लिए मुख्य डिफेंडर के रूप में काम करेंगे। उनका साथ 20 वर्षीय विनोद कुमार और अमित सिंह की जोड़ी देगी। जिन्हें समीक्षकों को गलत साबित करने की उम्मीद भी रहेगी। टाइटंस के पास खराब डिफेंस नहीं है बल्कि उनके पास उन डिफेंडरों की कमी है, जो लीग में अपने तूफान से विपक्षी टीमों के हौसले तोड़ सके। यू मुंबा
मोहित छिल्लर, सुरेंद्र नाडा, विशाल माने, जीवा कुमार ये सभी खिलाड़ी एक बार मुंबई के लिए विपक्षियों से लोहा लेते नजर आते थे। लेकिन लगातार दो नीलामी से अनूप कुमार की टीम को गहरा झटका लगा है। टीम को अपने सर्वश्रेष्ठ डिफेंडर्स को एक के बाद एक गंवाना पड़ा है, जिसके कारण यू मुंबा की झोली खाली नजर आती है। उनकी रक्षा चुनौती एक समय में विपक्षियों के लिए एक अभेद किला थी, जो अब नजर नहीं आती है। इस बार अनुभवी और पुराने खिलाड़ी जोगिंदर नरवाल मुंबई की रक्षा चुनौती का नेतृत्व करेंगे। उनकी कंपनी के लिए टीम में ईरानी खिलाड़ी हैडी ओशटॉर्क, जो पटना पायरेट्स में सीजन 4 के अंतिम चरण में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं, वह उनका साथ देंगे। नरवाल पिछले सीजन में टॉप 10 डिफेंडरों में शामिल थे लेकिन पुणे में उनकी मदद के लिए मंजीत और रविन्दर पहल मौजूद थे, जिन्होंने कई टैकल्स से उनकी मदद की थी। एक बार फिर से सभी की उम्मीदें और नजरें दोनों ही कप्तान अनूप कुमार पर मौजूद होंगी। क्या इस बार यू मुंबा की ये उम्मीद पूरी हो सकती हैं? गुजरात फॉर्च्यूनजायंट्स
यदि वे खुद को 5 सीजन में दिग्गजों के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, तो गुजरात को बहुत फॉर्च्यून यानि भाग्य के साथ की आवश्यकता होगी। इस तथ्य के बावजूद कि लीग में उनके पास सबसे अच्छे डिफेंडर मौजूद हैं पर यह विडंबना है कि उन्हें डिफेंस में अपनी छाप छोड़नी पड़ेगी ईरान के पावरहाउस यानि फजल अत्राचली गुजरात के डिफेंस का नेतृत्व करेंगे और ऐसी में संभावनाओं को रौशनी जरूर मिलेगी। उन्हें अपनी टीम के अन्य साथियों से भी इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद होगी। फजल ने अब तक 32 गेम खेले हैं लेकिन उन्हें एक तरफ छोड़ दिया जाए, तो टीम में मौजूद अन्य पांच डिफेंडर्स ने कुल मिलाकर सिर्फ 25 मैच खेले हैं। जिसमें से दो खिलाड़ी इस बार अपना डेब्यू करने जा रहे हैं वहीं सुनील कुमार ने लीग में अबतक सिर्फ एक मैच ही खेला है। कई में गुजरात के लिए कई चुनौतियां सामने इंतजार कर रही हैं। लेखक- सोमेश चंद्रन अनुवादक- सौम्या तिवारी