अटैक और डिफेंड करना हर खेल का एक महत्वपूर्ण पहलू होता है। कहा जाता है कि आक्रमण बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। इसके कारण ही अटैक करने वाले खिलाड़ियों की उपयोगिता बेहद बढ़ जाती है। टीम को लीड कर रहे कप्तानों को अपने खिलाड़ियों से किसी भी हाल में अपने विरोधी टीमों के मुंह से जीत छीन लाने की ही उम्मीद होती है और ऐसे में टीम में अटैकर खिलाड़ियों का होना टीम को जीत के और अधिक करीब ले जाता है। हालांकि कबड्डी में एक अच्छा रेडर बनना बच्चों का खेल नहीं है। अटैक करने वाले खिलाड़ी अपने विपक्षी पर हावी तो होना ही चाहते हैं साथ ही वह अपने साथी खिलाड़ियों को प्रेरित भी करते हैं। आज हम आपको प्रो कबड्डी लीग के सीज़न के 5 टॉप रेडर के बारे में बताने जा रहे हैं- अजय ठाकुर हिमाचल प्रदेश से आने वाला 31 साल का यह खिलाड़ी 2016 कबड्डी विश्व कप का नंबर 1 रेडर रह चुका है। अजय प्रो कबड्डी सीज़न 5 में इस बार तमिलनाडु की टीम की तरफ से खेलते नजर आयेंगे। इसके पहले अजय सीज़न 1 और 2 में बेंगलुरू बुल्स की तरफ से और सीज़न 3 और 4 में पुनेरी पलटन की ओर से कुल 58 मैच खेल चुके हैं। अजय 2016 कबड्डी विश्वकप और 2014 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। अजय के खाते में 5.45 की औसत से 316 रेड प्वाइंट दर्ज है। वहीं अजय की अबतक 721 रेड्स में कुल 237 सफल रही हैं। इसके अलावा अजय को 9 ग्रीन कार्ड और 1 यलो कार्ड भी मिल चुका है। प्रदीप नारवाल पटना से आने वाले इस 20 साल के खिलाड़ी ने पटना पाइरेट्स को लगातार दो बार चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। जिसके कारण पटना ने बिना किसी आश्चर्य के उन्हें अपनी टीम में बनाए रखने का फैसला किया है। मैदान के बाहर शर्मीले अंदाज के लिए मशहूर इस खिलाड़ी को मैट पर पॉइंट्स लेने में कोई शर्म नहीं आती है। प्रदीप नरवाल को पटना पाइरेट्स ने बेंगलुरु बुल्स से अपनी टीम में शामिल किया था। उन्होंने सीजन 3 और 4 में पटना पाइरेट्स के इस फैसले को सही साबित कर दिखाया। इसके अलावा प्रदीप नारवाल कबड्डी विश्व कप 2016 में गोल्ड मेडलिस्ट का खिताब भी जीत चुके हैं। प्रदीप ने अबतक 38 मैचों में 6.74 की शानदार औसत से अबतक 256 रेड प्वाइंट्स हासिल किये हैं। जिसमें 488 बार किये गये हमलों में 190 बार उन्हें सफलता मिली है। अनूप कुमार हरियाणा के इस 33 साल के होनहार राइडर के पास अनुभव की कोई कमी नही है। यह खिलाड़ी 2010 और 2014 में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय राष्ट्रीय कबड्डी टीम का हिस्सा रह चुका है। उन्होंने 2016 के कबड्डी विश्व कप में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। उनकी इन तमाम उपलब्धियों के लिए भारत सरकार की तरफ से उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। अनूप भारत की राष्ट्रीय हॉकी टीम के कप्तान होने के साथ ही साथ प्रो कबड्डी लीग की टीम यू मुम्बा टीम के कप्तान भी हैं। अनूप ने अबतक सभी सीज़न यू मुंबा की तरफ से खेले हैं और प्रो कबड्डी लीग का पांचवां सीज़न में भी अनूप यू मुंबा की तरफ से ही खेलते नजर आयेंगे। अबतक खेले गये कुल 57 मैचों में अनूप ने 6.61 की बढ़िया औसत से 377 रेड प्वांइट स्कोर किये हैं। अबतक कुल 938 रेड्स में उन्हें 307 बार सफलता मिली है। हालांकि उनके अटैकिंग खेल की वजह से उन्हें अबतक 16 ग्रीन कार्ड और 2 यलो कार्ड मिल चुके हैं। काशीलिंग अडाके प्रो कबड्डी लीग सीज़न 2 में बेस्ट रेडर रह चुका महाराष्ट्र का 24 साल का यह खिलाड़ी इस पांचवें सीज़न में यू मुंबा की तरफ से खेलता हुआ नजर आयेगा। काशीलिंग अब प्रो कबड्डी के सभी सीज़न में दबंग दिल्ली की टीम की ओर से खेल रहे थे। साथ ही एशियन गेम्स 2014 में गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं। काशीलिंग अब तक प्रो कबड्डी में खेले गए 52 मैचों में 380 रेड प्वाइंट अपने नाम कर चुके हैं। जिसमें उनका औसत 7.31 का रहा है। वहीं उनकी 803 रेड्स में से 293 रेड्स सफल रही हैं। इसके अलावा उन्हें 6 ग्रीन कार्ड भी मिल चुके हैं। राहुल चौधरी उत्तर प्रदेश से आने वाला यह खिलाड़ी भारतीय कबड्डी का पोस्टर ब्वॉय बनकर उभरा है। 2016 में विश्व कप और 2016 साउथ एशियन गेम्स में सोना जीतने वाली भारतीय नेशनल कबड्डी टीम में राहुल भी हिस्सा थे। तेलुगु टाइटन्स के कप्तान राहुल चौधरी ने सारे सीज़न इसी टीम के सात खेले हैं और इस साल भी वह अपने टीम का नेतृत्व करते नजर आयेंगे। राहुल को साल 2014 में रेडर ऑफ़ द टूर्नामेंट का ख़िताब मिला था। राहुल सीज़न 4 के अलावा सीज़न 1 में भी नंबर-1 रेडर बन कर उभरे, साथ ही साथ राहुल इस प्रो कबड्डी लीग के पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने 500 पॉइंट्स का आंकड़ा पार किया है। राहुल ने अब तक प्रो कबड्डी के 57 मैचों में 8.46 की औसत से रिकॉर्ड 482 अंक अपने खाते में दर्ज किए हैं। जो कि किसी भी खिलाड़ी का सर्वतश्रेष्ठ स्कोर है। राहुल के खाते में 957 में से 385 सफल रेड्स दर्ज हैं। वहीं उनके नाम 6 ग्रीन कार्ड और 1 येलो कार्ड भी दर्ज है। लेखक: अरमानूर रहमान अनुवादक: सौम्या तिवारी